जीवन में ना चाहते हुए भी कभी न कभी किसी से शत्रुता हो ही जाती है। शत्रुता प्रकट हो या गुप्त सदैव कष्टकारक होती है। शास्त्रों में कुछ ऐसे उपाय हैं जिनके प्रयोग से आप शत्रुबाधा से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं। आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ उपायों के बारे में जो आपको शत्रुपीड़ा से मुक्त कर करते हैं-
1. पाशुपतास्त्र स्तोत्र- इस स्तोत्र का एक निश्चित संख्या में पाठ कर गुग्गल से हवन करने से शत्रुबाधा से मुक्ति मिलती है।
2. सर्वारिष्ट स्तोत्र- इस स्तोत्र का नियमित 43 दिन तक पाठ व हवन करने से शत्रुबाधा सहित समस्त अरिष्टों का नाश होता है।
3. बगुलामुखी अनुष्ठान- इस अनुष्ठान को विधिपूर्वक करने से शत्रुबाधा का शमन होता है।
4. बजरंग बाण- नियमित बजरंग बाण का पाठ करने से शत्रुपीड़ा से मुक्ति मिलती है।
5. श्वेतार्क मदार- श्वेतार्क मदार (सफ़ेद अकाव) की जड़ रवि-पुष्य, गुरु-पुष्य, होली, दीपावली, ग्रहण, सर्वार्थ सिद्धि योग में गले में धारण करने से शत्रुओं से सदैव रक्षा होती है।
(दुरुपयोग की आशंका के कारण उपरोक्त प्रयोगों की विस्तारित विधि यहां नहीं दी जा रही है।)
-ज्योतिर्विद पं. हेमन्त रिछारिया