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सूर्य शांति : सूर्य ग्रह को प्रसन्न करने के हैं 5 विशेष तरीके, जानिए यहां

हमें फॉलो करें सूर्य शांति : सूर्य ग्रह को प्रसन्न करने के हैं 5 विशेष तरीके, जानिए यहां
सूर्य की शांति कैसे करें 
 
सूर्य की शांति के लिए प्रात: स्नान करने के बाद सूर्यदेव को जल अर्पित किया जाता है। इसके बाद सूर्य से संबंधित वस्तुओं का दान, जप, होम मंत्र धारण व सूर्य की वस्तुओं से जल स्नान करना भी सूर्य के उपायों में आता है। सूर्य की शांति करने के लिए इन पांच विधियों में से किसी भी एक विधि का प्रयोग किया जाता है। गोचर में सूर्य के अनिष्ट प्रभाव को दूर करने में ये उपाय विशेष रूप से उपयोगी हो सकते हैं।
 
1. स्नान द्वारा उपाय : जब गोचर में सूर्य अनिष्टकारक हों तो व्यक्ति को स्नान करते समय जल में खसखस या लाल फूल या केसर डालकर स्नान करना शुभ रहता है। खसखस, लाल फूल या केसर ये सभी वस्तुएं सूर्य की कारक वस्तुएं हैं तथा सूर्य के उपाय करने पर अन्य अनिष्टों से बचाव करने के साथ-साथ व्यक्ति में रोगों से लड़ने की शक्ति का विकास होता है।
 
सूर्य के उपाय करने पर उसके पिता के स्वास्‍थ्य में सुधार की संभावनाओं को सहयोग प्राप्त होता है। सूर्य की वस्तुओं से स्नान करने पर सूर्य की वस्तुओं के गुण व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करते हैं तथा उसके शरीर में सूर्य के गुणों में वृद्धि करते हैं।
 
2. दान :- सूर्य की वस्तुओं से स्नान करने के अतिरिक्त सूर्य की वस्तुओं का दान करने से भी सूर्य के अनिष्ट से बचा जा सकता है। सूर्य की दान देने वाली वस्तुओं में तांबा, गुड़, गेहूं, मसूर दाल दान की जा सकती है। यह दान प्रत्येक रविवार या सूर्य संक्रांति के दिन किया जा सकता है। सूर्य ग्रहण के दिन भी सूर्य की वस्तुओं का दान करना लाभकारी रहता है।
 
इस उपाय के अंतर्गत सभी वस्तुओं का एकसाथ भी दान किया जा सकता है। दान करते समय वस्तुओं का वजन अपने सामर्थ्य के अनुसार लिया जा सकता है। दान की जाने वाली वस्तुओं को व्यक्ति अपने संचित धन से दान करे तो अच्‍छा रहता है। जिसके लिए दान किया जा रहा है उसकी आयु कम होने या अन्य किसी कारण से अगर वह स्वयं वस्तु नहीं ले सकता है, तो उसके परिवार को कोई निकट व्यक्ति भी उसकी ओर से यह दान कर सकता है। दान करते समय व्यक्ति में सूर्य भगवान पर पूरी श्रद्धा व विश्वास होना चाहिए। आस्था में कमी होने पर किसी भी उपाय के पूर्ण शुभ फल प्राप्त नहीं होते हैं।
 
मंत्र जाप :- सूर्य के उपायों में मंत्र जाप भी किया जा सकता है। सूर्य के मंत्रों में 'ॐ घूणि: सूर्य आदित्य: मंत्र' का जाप किया जा सकता है। इस मंत्र का जाप प्रतिदिन भी किया जा सकता है तथा प्रत्येक रविवार के दिन यह जाप करना विशेष रूप से शुभ फल देता है। प्रतिदिन जाप करने पर मंत्रों की संख्या 10, 20 या 108 हो सकती है। मंत्रों की संख्या को बढ़ाया भी जा सकता है तथा सूर्य से संबंधित अन्य कार्य जैसे हवन इत्यादि में भी इसी मंत्र का जाप करना अनुकूल रहता है।
 
मंत्र का जाप करते समय व्यक्ति को शुद्धता का पूरा ध्यान रखना चाहिए। मंत्र जाप की अ‍वधि में व्यक्ति को जाप करते समय सूर्य देव का ध्यान करना चाहिए। मंत्र जाप करते समय एकाग्रता बनाए रखना चाहिए तथा इसके मध्य में उठना हितकारी नहीं रहता है।
 
सूर्य यंत्र की स्‍थापना :- सूर्य यंत्र की स्‍थापना करने के लिए सबसे पहले तांबे के पत्र या भोजपत्र पर विशेष परिस्थितियों में कागज पर ही सूर्य यंत्र का निर्माण कराया जाता है। सूर्य यंत्र में समान आकार के 9 खाने बनाए जाते हैं। इनमें निर्धारित संख्याएं लिखी जाती हैं। ऊपर के 3 खानों में 6, 1, 8 संख्याएं क्रमश: अलग-अलग खानों में होना चाहिए।
 
मध्य के खानों में 7, 5, 3 संख्याएं लिखी जाती हैं तथा अंतिम लाइन के खानों में 2, 9, 4 लिखा जाता है। इस यंत्र की संख्याओं की ‍यह विशेषता है कि इनका सम किसी ओर भी किया जाए उसका योगफल 15 ही आता है। संख्याओं को निश्चित खाने में ही लिखना चाहिए।
 
तांबे के पत्र पर ये खाने बनवाकर इनमें संख्याएं लिखवा लेनी चाहिए या फिर भोजपत्र या कागज पर लाल चंदन, केसर, कस्तूरी से इन्हें स्वयं ही बना लेना चाहिए। अनार की कलम से इस यंत्र के खाने बनाना उत्तम होता है। सभी ग्रहों के यंत्र बनाने के लिए इन वस्तुओं व पदार्थों से लेखन किया जा सकता है। सूर्य यंत्र इस प्रकार है।
 
सूर्य हवन कराना :- उपरोक्त जो सूर्य का मंत्र दिया गया है उसी मंत्र को हवन में प्रयोग किया जा सकता है। हवन करने के लिए किसी जानकार पंडित की सहायता ली जा सकती है।
 
सूर्य कुंडली में आरोग्य शक्ति व पिता के कारक ग्रह होते हैं। जब जन्म कुंडली में सूर्य के दुष्प्रभाव प्राप्त हो रहे हों या फिर सूर्य राहु-केतु से पीड़ित हों तो सूर्य से संबंधित उपाय करना लाभकारी रहता है, विशेषकर ये उपाय सूर्य गोचर में जब शुभ फल न दे रहा हों तो इनमें से कोई भी उपाय किया जा सकता है।

इसके अलावा जब सूर्य गोचर में छठे घर के स्वामी या सातवें घर के स्वामी पर अपनी दृष्टि डाल उसे पीड़ित कर रहा हों, तब भी इनके उपाय करने से व्यक्ति के कष्टों में कमी होती है।


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