* कोई भी रुद्राक्ष धारण करने से पहले जपें ये अमोघ दिव्य मंत्र...
रुद्राक्ष के फल (रुद्र+अक्ष) शिवजी की आंख का प्रतिरूप हैं इसीलिए रुद्राक्ष शिवजी को सर्वाधिक प्रिय है। शिव पुराण में वर्णित है कि भगवान शंकर ने कड़ी तपस्या के उपरांत जब अपने नेत्र खोले तो उनके नेत्रों से कुछ अश्रु की बूंदे गिरीं। अश्रु की उन बूंदों से वहां रुद्राक्ष नामक एक वृक्ष पैदा हो गया। बस, तभी से रुद्राक्ष की उत्पत्ति मानी गई।
रुद्राक्ष के दर्शन, स्पर्श और उन पर किए जाने वाले जाप और रुद्राक्ष धारण करने से अनेक पापों और दुष्कर्मों का नाश होता है। रुद्राक्ष का जहां धार्मिक कार्यों में प्रयोग होता है, वहीं यह औषधीय गुणों से भी सराबोर है।
शिवपुराण में एकमुखी रुद्राक्ष से लेकर चौदह मुखी रुद्राक्ष के धारण करने के दिव्य मंत्र दिए गए हैं। आइए जानें ये विशेष मंत्र-
दिव्य मंत्र
(1) ॐ हीं नमः,
(2) ॐ नमः,
(3) ॐ क्लिंनमः,
(4) ॐ हीं नमः,
(5) ॐ ही नमः,
(6) ॐ हीं हूं नमः,
(7) ॐ हूं नमः,
(8) ॐ हूं नमः,
(9) ॐ हीं हूं नमः,
(10) ॐ हीं नमः,
(11) ॐ हीं हूं नमः,
(12) ॐ क्रौं क्षौ रौ नमः,
(13) ॐ ह्रीं नमः
(14) ॐ नमः।
इस प्रकार किसी भी रुद्राक्ष को धारण करने से पहले उपरोक्त मंत्रों का 108 बार जाप करके अपार श्रद्धा व विश्वास के साथ पहनने से निश्चित ही जीवन में सभी अच्छा ही अच्छा होगा।