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मंदी से कोसों दूर है भारत का कार बाजार

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यूरोजोन के संकट की बात हो या अमेरिका की क्रेडिट रेटिंग घटने की चिंता। वैश्विक अर्थव्यवस्था के कमजोर होने से भले ही फिर से भारत में मंदी आने की आशंका व्यक्त की जा रही हो, लेकिन भारतीय कार बाजार में इसका प्रभाव पड़ने के विपरीत इसकी पूछ-परख और बढ़ गई है।

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कहा जाता है कि आर्थिक मंदी से निपटने के लिए लोग सबसे पहले अपनी लग्जरी जरूरतों को ही कम करते हैं, लेकिन यहां ऐसा नहीं है। भारतीय कार बाजार में कारों की मांग इस कदर बढ़ती जा रही है कि कुछ कारों के लिए ग्राहकों को दो से आठ महीनों का लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। अपने इस इंतजार को कम कराने के लिए ग्राहक कार की तय कीमत से ज्यादा कीमत चुकाने के लिए भी तैयार हैं। आज डीजल कारों की डिमांड उनकी सप्लाई से ज्यादा हो रही है।

मारुति की डीजल कारों स्विफ्ट और स्विफ्ट डिजायर के लिए ग्राहकों को 4-8 महीनों का इंतजार करना पड़ रहा है। इन कारों की इतनी बुकिंग हो चुकी है कि जल्द इनकी डिलीवरी संभव नहीं है। कारों के इंतजार की सूची में मारुति के साथ-साथ टोयोटा, महिन्द्रा, ह्यूंडई और होंडा कंपनी की कारों के भी नाम शामिल हैं।

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महिन्द्रा एक्सयूवी और होंडा जेज की तो बुकिंग ही बंद हो चुकी हैं और होंडा ब्रियो के लिए ग्राहकों को 4-5 महीने का इंतजार करना होगा। इसके अलावा टोयोटा की फॉरच्यूनर, इनोवा और इटियोस (डीजल) के लिए 2-3 महीने और ह्यूंडई वर्ना (डीजल) के लिए 4-7 महीने की लंबी वेटिंग लिस्ट है।

हाल ही में सिर्फ मेट्रो तक सीमित रहने वाली कारों की अग्रणी कंपनी ऑडी ने भारत के उन शहरों की ओर भी रुख किया है जो मेट्रो की श्रेणी में नहीं आते हैं। अगर मंदी की बात होती तो कारों की यह जर्मन कंपनी करोड़ो रुपए के निवेश से पहले सौ बार सोचती। वैसे भी ऑडी इंडिया के एक शीर्ष अधिकारी कह चुके हैं कि हमारे लिए बाजार में मंदी नहीं है। ऑडी का छोटे शहरों में अपने आउटलेट्‍स खोलना साबित करता है कि कार बाजार में मंदी शब्द के लिए कोई जगह नहीं है। आगे भी लोग अपनी लग्जरी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए खर्च करते रहेंगे। (वेबदुनिया डेस्क)

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