Ram Mandir : मां बोलीं- बेटे के लिए वनवास की तरह थे दिन, आंखों में लगी चोट, नहीं ली नींद
अरुण योगीराज के परिवार ने सुनाया 6 माह का किस्सा
परिवार में खुशी का माहौल
मूर्ति में दिव्यता का अनुभव
बनाई हैं आदि शंकराचार्य और सुभाषचन्द्र बोस की प्रतिमाएं
अयोध्या के राम मंदिर में मूर्तिकार अरुण योगीराज की तराशी हुई 'रामलला' की मूर्ति को गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा। मूर्तिकार योगीराज ने इस मूर्ति को दिव्य और आलौकिक स्वरूप प्रदान करने के लिए दिन रात एक कर दिया था। उन्होंने न आंख पर लगी चोट की परवाह की और न ही नींद की। टाइम्स इंडिया की छपी एक खबर में योगीराज की मां ने कहा कि ये दिन मेरे बेटे के लिए 'वनवास' की तरह थे। मेरे बेटे ने हर मिनट अयोध्या राम मंदिर बनाने में समर्पित कर दिया।
कर्नाटक में मैसुरु के मूर्तिकार का परिवार खुशी से झूम रहा है क्योंकि अयोध्या राम मंदिर ट्रस्ट ने उनके द्वारा बनाई गए 'रामलला' की मूर्ति को राम मंदिर में स्थापना के लिए चुना है।
पत्नी ने भी सुनाया किस्सा : योगीराज की पत्नी विजेयता ने कहा कि वह इस उपलब्धि से बेहद खुश हैं। उन्होंने एक किस्सा भी साझा किया जिसमें बताया गया कि कैसे मूर्ति बनाते समय योगीराज की आंख में चोट लग गई थी। उन्होंने पत्रकारों से कहा कि मैं बहुत खुश हूं। हमें यह नेक काम करने का दायित्व सौंपा गया है।"
आंखों में दर्द में भी तराशते रहे : विजेयता ने कहा कि जब यह कार्य (योगीराज को) दिया गया तो हमें पता चला कि इसके लिए उचित पत्थर मैसूरु के पास उपलब्ध है। हालांकि, वह पत्थर बहुत सख्त था। इसकी नुकीली परत उनकी आंख में चुभ गई और उसे ऑपरेशन के जरिए निकाला गया। दर्द के दौरान भी वह नहीं रुके और काम करते रहे। उनका काम इतना अच्छा था कि हर कोई प्रभावित हुआ। हम सभी को धन्यवाद देते हैं।'
नही सोए रातभर : उन्होंने कहा कि वो (योगीराज) कई रात सोए नहीं और रामलला की मूर्ति बनाने में तल्लीन रहे। ऐसे भी दिन थे जब हम मुश्किल से बात करते थे और वह परिवार को भी मुश्किल से समय देते थे। अब ट्रस्ट की सूचना से सारी मेहनत की भरपाई हो गई है।'
भाई ने कहा यादगार दिन : योगीराज के भाई सूर्यप्रकाश ने कहा कि यह परिवार के लिए एक यादगार दिन है। उन्होंने कहा कि योगीराज ने इतिहास रचा है और वह इसके हकदार थे। यह उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण है जो उन्हें इतनी ऊंचाइयों तक ले गया।
पिता से सीखीं बारिकियां : सूर्यप्रकाश ने कहा कि योगीराज ने मूर्तिकला की बारीकियां अपने पिता से सीखीं। वे बचपन से इसे लेकर उत्सुक थे। योगीराज की माता सरस्वती ने संवाददाताओं से कहा कि यह बहुत ही हर्ष की बात है कि उनके बेटे द्वारा निर्मित मूर्ति का चयन किया गया है।
उन्होंने कहा कि जब से हमें यह खबर मिली है कि अरुण द्वारा बनाई गई मूर्ति का चयन (स्थापना के लिए) किया गया है, हम बहुत खुश हैं। हमारा पूरा परिवार प्रसन्न है।'
18 जनवरी को होगी स्थापित : मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने सोमवार को अयोध्या में घोषणा की थी कि नई मूर्ति में भगवान राम को पांच साल के बच्चे के रूप में खड़ी मुद्रा में दर्शाया गया है और कहा कि इसे 18 जनवरी को 'गर्भगृह' में 'आसन' पर विराजमान किया जाएगा।
बनाई हैं ये प्रतिमाएं : रामलला की मूर्ति चुने जाने की सूचना जैसे ही बहार आई पड़ोसियों और कुछ नेताओं ने योगीराज के परिवार से मुलाकात की और उनके बेटे की प्रशंसा के रूप में सरस्वती को माला भेंट की। योगीराज ने ही केदारनाथ में स्थापित आदि शंकराचार्य की मूर्ति और दिल्ली में इंडिया गेट के पास स्थापित की गई सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा बनाई है।
दिव्यता का अहसास कराए मूर्ति : योगीराज ने रामलला की नई मूर्ति बनाने में आई चुनौतियों के बारे में 'पीटीआई-भाषा' से कहा कि मूर्ति एक बच्चे की बनानी थी, जो दिव्य हो, क्योंकि यह भगवान के अवतार की मूर्ति है। जो भी कोई मूर्ति को देखें उसे दिव्यता का एहसास होना चाहिए।
क्या बोले योगीराज : प्रख्यात मूर्तिकार ने कहा कि बच्चे जैसे चेहरे के साथ-साथ दिव्य पहलू को ध्यान में रखते हुए मैंने लगभग 6 से सात महीने पहले अपना काम शुरू किया था। मूर्ति के चयन से ज्यादा मेरे लिए यह महत्वपूर्ण है कि ये लोगों को पसंद आनी चाहिए। सच्ची खुशी मुझे तब होगी जब लोग इसकी सराहना करेंगे। भाषा Edited By : Sudhir Sharma