यह पूजा हुई : गर्भगृह में गणेशाम्बिका पूजन, वरुण पूजन, चतुर्वेदोक्त पुण्याह वाचन, मातृका पूजन, वसोर्धारा पूजन (सप्तघृत मातृका पूजन), आयुव्यमन्त्र जप, नान्दी श्राद्ध, आचार्यादि ऋत्विग्वरण, मधुपर्क पूजन, मण्डप प्रवेश, पृथ्वी-कूर्म-अनन्त-वराह-यज्ञभूमि पूजन, दिग्रक्षण, पंचगव्य प्रोक्षण, मण्डपांग वास्तु पूजन, वास्तु बलिदान, मंडप सूत्र वेष्टन, दुग्धधारा, जलधारा करण, षोडश स्तम्भ पूजनादि, मण्डप पूजा (तोरण, द्वार, ध्वज, आयुध, पताका, दिक्पाल, द्वारपालादि पूजा), मूर्ति का जलाधिवास, गन्धादिवास, सायंकालिक मंत्रोच्चारण के द्वारा अनुष्ठान किया गया।