जबलपुर (मध्यप्रदेश)। अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जबलपुर शहर की 81 साल की महिला 27 साल बाद अन्न ग्रहण करेंगी। इन वर्षों में वह केवल दूध और फलाहार के सहारे थीं। राम जन्मभूमि विवाद का समाधान होने तक महिला ने अन्न ग्रहण नहीं करने का संकल्प लिया था।
महिला के परिवार के एक सदस्य ने कहा कि अयोध्या मामले पर शनिवार को शीर्ष अदालत का फैसला आने के बाद अयोध्या में राम मंदिर बनने का रास्ता साफ हो गया है। अब उनका उपवास तोड़ने के लिए जल्द ही एक उद्यापन (व्रत आदि की समाप्ति पर किया जाने वाला धार्मिक कर्म) किया जाएगा।
उपवास कर रही महिला उर्मिला चतुर्वेदी के बेटे विवेक चतुर्वेदी ने रविवार को दावा किया कि मेरी मां पिछले 27 साल से फलाहार और दूध के आहार पर थीं। अयोध्या मामले में शीर्ष अदालत के फैसले को सुनकर वे बहुत खुश हैं।
विवेक ने कहा कि मेरी मां भगवान राम की अनन्य भक्त हैं और अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए समाधान का इंतजार कर रही थीं। वे अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 की घटना के बाद शुरू हुई हिंसा को लेकर काफी परेशान थीं।
विवेक ने कहा कि इसके बाद मां ने संकल्प लिया था कि जब तक राम मंदिर निर्माण के लिए विवाद का समाधान नहीं हो जाता तब तक वे आंशिक उपवास का पालन करती रहेंगी और उन्होंने अपना आहार फल और दूध तक सीमित कर लिया।
विवेक ने कहा कि कई मौकों पर रिश्तेदारों ने संकल्प तोड़ने के लिए दबाव बनाया, लेकिन उन्होंने सीमित उपवास जारी रखा। उन्होंने बताया कि उनकी मां संस्कृत की शिक्षिका थीं और निजी संस्थानों में पढ़ाती थीं।
विवेक ने कहा कि मां की इच्छा अब पूरी हो गई है, इसलिए मां का उपवास समाप्त कराने के लिए जल्द ही उद्यापन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मेरी मां किसी राजनीतिक या धार्मिक संगठन से जुड़ी नहीं हैं।