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अयोध्या में जटायु, गिद्धों की मौजूदगी को लोग मान रहे हैं शुभ संकेत

रामनगरी अयोध्या की सीमा में दिखाई दिया 40-50 गिद्धों का झुंड

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संदीप श्रीवास्तव

  • क्या है पक्षीराज जटायु की कहानी
  • माता सीता को रावण से छुड़ाने का किया था प्रयास
  • 22 जनवरी को होगी राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा
अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले जनपद की सीमा में गिद्धों का झुंड दिखाई दिया है। स्थानीय लोग इसे गिद्धराज जटायु से जोड़कर देख रहे हैं। वे इसे शुभ संकेत भी मान रहे हैं। 
 
मिल्कीपुर तहसील क्षेत्र के गांव धरोली मे पिछले 10-12 दिनों से गिद्धों का झुंड वास कर रहा था। हालांकि उस गांव से गिद्ध उड़ गए हैं, लेकिन अयोध्या की सीमा में यहां-वहां दिखाई दे रहे हैं। 
 
गांव वालों ने वेबदुनिया को बताया कि जब अयोध्या में श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा हो रही है, उनका भव्य राम मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश हो रहा है तो प्रभु श्रीराम के सहयोग रहे जटायु कहां पीछे रहने वाले हैं। वे भी इस शुभ घड़ी में अयोध्या आए हुए हैं। 
20 वर्षों बाद दिखे गिद्ध :  गांव वालों का कहना है कि पिछले 20 वर्षों से हम लोगों ने इलाके में गिद्ध नहीं देखे। अब जब राम मंदिर बन रहा है तो इस गांव में लगभग 50 की संख्या में गिद्ध आकाश में दिखाई दे रहे हैं। उनमें से 10-12 गिद्ध गांव में ही सेमल के पेड़ पर वास कर रहे थे। गिद्धों के दिखने की घटना को ज्यादातर लोग राम से जोड़कर देख रहे हैं और शुभ संकेत भी मान रहे हैं। 
 
कौन था जटायु : जटायु रामायण का एक अहम पात्र है। जिस समय रावण माता सीता का हरण कर आकाश मार्ग से लंका की ओर पुष्पक विमान से जा रहा था, तब जटायु ने रावण को चुनौती देते हुए सीताजी को छुड़ाने के लिए रावण से संघर्ष किया था। रावण ने अपनी तलवार से जटायु के दोनों पंख काट दिए थे।
 
जब राम सीता की खोज में दंडकारण्य वन की ओर बढ़े तो उन्हें घायल अवस्था में जटायु मिला था। घायल जटायु ने ही बताया था कि रावण सीताजी का हरण कर दक्षिण दिशा की ओर ले गया है। उसके बाद जटायु ने राम की गोद में ही प्राण त्याग दिए थे। 
Edited by: Vrijendra Singh Jhala
 

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