लखनऊ। राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद के अहम पक्षकार रहे सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, उत्तरप्रदेश ने इस मामले में उच्चतम न्यायालय के निर्णय का स्वागत करते हुए शनिवार को कहा कि वह इस फैसले को चुनौती नहीं देगा।
बोर्ड के अध्यक्ष जुफर फारुकी ने बातचीत में कहा कि वे न्यायालय के निर्णय का स्वागत करते हैं और बोर्ड का इस फैसले को चुनौती देने का कोई विचार नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर कोई वकील या अन्य व्यक्ति बोर्ड की तरफ से न्यायालय के फैसले को चुनौती देने की बात कह रहा है तो उसे सही न माना जाए।
उल्लेखनीय है कि सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी ने दिल्ली में कहा था कि अयोध्या मामले में न्यायालय के निर्णय को चुनौती दी जाएगी। हालांकि जिलानी ने बाद में बातचीत में स्पष्ट किया कि वह ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का संवाददाता सम्मेलन था और उन्होंने वह बात इसी बोर्ड के सचिव की हैसियत से कही थी, न कि वक्फ बोर्ड के वकील की हैसियत से।
फारुकी ने कहा कि वक्फ बोर्ड फिलहाल अदालत के निर्णय का अध्ययन कर रहा है और वह उसके बाद इस पर विस्तृत बयान देगा। ज्ञातव्य है कि बोर्ड ने अयोध्या मामले में गठित मध्यस्थता समिति को पिछले माह प्रस्ताव दिया था कि वह कुछ शर्तों के आधार पर विवादित स्थल से अपना दावा छोड़ने को तैयार है। फारुकी ने कहा था कि उन्होंने देशहित में यह प्रस्ताव दिया है।
औवेसी नहीं हैं बोर्ड के सदस्य : फैसले पर एआईएमआईएम नेता और सांसद असदुद्दीन ओवैसी के रुख पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए जफर ने कहा कि ओवैसी बोर्ड के सदस्य नहीं है। अत: उनके बयान का कोई अर्थ नहीं है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि मुस्लिमों को मिलने वाली 5 एकड़ जमीन के बारे में अभी उन्होंने कोई फैसला नहीं किया है।
न्यायालय ने शनिवार को अपने बहुप्रतीक्षित फैसले के तहत अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ करते हुए सरकार को निर्देश दिया कि वह अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिए किसी प्रमुख स्थान पर 5 एकड़ जमीन दे। न्यायालय ने केंद्र को मंदिर निर्माण के लिए 3 महीने में योजना तैयार करने और न्यास बनाने का निर्देश दिया।