नई दिल्ली। अयोध्या पर उच्चतम न्यायालय का फैसला आने से पहले बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने मंत्रियों से इस मुद्दे पर अनावश्यक बयान देने से बचने और देश में सौहार्द बनाए रखने को कहा। सूत्रों ने यह जानकारी दी।
सूत्रों ने बताया कि यहां मंत्रिपरिषद की एक बैठक में प्रधानमंत्री ने अपने मंत्रियों से कहा कि देश में सौहार्द बनाए रखना हर किसी की जिम्मेदारी है। उन्होंने इस मुद्दे पर अनावश्यक बयानबाजी से बचने को कहा।
गौरतलब है कि प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई 17 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि उच्चतम न्यायालय अयोध्या मामले में इससे पहले अपना फैसला सुना सकता है। बैठक में मोदी ने जोर देते हुए कहा कि फैसले को हार-जीत के नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए।
मोदी के इस बयान से पहले सत्तारूढ़ भाजपा ने अपने कार्यकर्ताओं और प्रवक्ताओं से राम मंदिर मुद्दे पर भावनात्मक या उकसाने वाले बयान देने से बचने के लिए कहा था। पार्टी ने शांति कायम रखने के लिए अपने सांसदों से अपने-अपने संसदीय क्षेत्रों में जाने को भी कहा था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने भी कुछ दिन पहले अपने स्वयंसेवकों से इसी तरह की अपील की थी।
संघ के शीर्ष नेतृत्व ने 'प्रचारकों' की हालिया बैठक में कहा था कि अगर राम मंदिर का फैसला उनके पक्ष में आया, तो वे न ही कोई जश्न मनाएं और न ही जुलूस निकालें। गौरतलब है कि संघ और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने मंगलवार को प्रमुख मुस्लिम धर्मगुरुओं और बुद्धिजीवियों से मुलाकात की थी और उस दौरान इस बात पर जोर दिया गया कि शीर्ष न्यायालय का फैसला चाहे जो भी हो न तो कोई जूनूनी जश्न होना चाहिए और न ही हार का हंगामा हो।
केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के आवास पर यहां यह बैठक हुई। प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता में 5 जजों की संविधान पीठ ने 16 अक्टूबर को 40 दिनों से चली आ रही सुनवाई पूरी करने के बाद अयोध्या भूमि विवाद मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। फैसला जल्द ही आने की उम्मीद है।