Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

अयोध्या ही नहीं सोमनाथ मंदिर के उद्घाटन पर भी हुआ था विवाद

हमें फॉलो करें अयोध्या ही नहीं सोमनाथ मंदिर के उद्घाटन पर भी हुआ था विवाद

संदीप श्रीवास्तव

  • अयोध्या मंदिर को लेकर राजनीति
  • समारोह को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका
  • शंकराचार्य भी कर रहे हैं समारोह का विरोध
Ram Mandir Pran Pratishtha Ceremony in Ayodhya: अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर एक तरफ जहां उत्साह का माहौल है, पूरी अयोध्या राममय हो गई, वहीं दूसरी ओर कुछ लोग कार्यक्रम के समय को लेकर एवं अन्य कारणों से समारोह का विरोध भी कर रहे हैं। विरोध करने वालों की सूची में शंकराचायों का नाम भी जुड़ गया है। समारोह को रोकने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका भी लगाई गई है। कुछ लोग मोदी को मुख्‍य यजमान बनाए जाने से भी नाराज हैं। वहीं, इस पूरे कार्यक्रम ने राजनीतिक रंग भी ले लिया है।
 
हालांकि यह पहला अवसर नहीं है, जब किसी धार्मिक कार्यक्रम का विरोध हुआ हो। जीर्णोद्धार के बाद सोमनाथ मंदिर के उद्‍घाटन के समय भी इसी तरह का विरोध झेलना पड़ा था। आपको बता दें कि 22 जनवरी को पूरे विधि-विधान के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा प्रभु रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। इस आयोजन के लिए देश-विदेश से हजारों की संख्या में अतिविशिष्ट अतिथि भी आ रहे हैं। 
 
सोमनाथ मंदिर की गाथा : गुजरात में सौराष्ट्र के बेरावल में प्राचीन शिव मंदिर सोमनाथ देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इस मंदिर को भी आक्रांताओं ने कई बार लूटा और क्षतिग्रस्त किया। स्वतंत्रता के बाद 1950 में इस मंदिर का पुनर्निर्माण हुआ। धार्मिक ग्रंथों और मान्यताओं के अनुसार सोमराज (चंद्र देवता) ने ही सबसे पहले सोने से एक मंदिर बनवाया था और इसका पुनर्निर्माण रावण ने करवाया था। इतना ही नहीं श्रीकृष्ण ने इसे लकड़ी व भीम देव ने पत्थर से बनवाया था। यह मंदिर कई बार विदेशी आक्रांताओं का शिकार बना। 
 
सबसे पहले इस मंदिर को अफगानिस्तान के मेहमूद गजनवी ने 1025 में मंदिर पर हमला कर लूटपाट की थी। इस हमले में मंदिर को बचाने के लिए 70 हजार रक्षकों ने अपना बलिदान दिया। इसके बाद 1297, 1394 और अंतिम बार 1706 में भी इस मंदिर पर हमला कर लूटपाट की गई। 
webdunia
1951 में जीर्णोद्धार : सोमनाथ मंदिर के वर्तमान स्वरूप का शुभारम्भ 1951 मे किया गया। उस समय देश के गृह मंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल थे, जिन्होंने 12 नवंबर 1947 को ही एक सार्वजनिक सभा में सोमनाथ मंदिर के पुननिर्माण की घोषणा कर दी थी। मंदिर के पुननिर्माण का प्रस्ताव केएम मुंशी ने बनाया था, जिसके बाद एक ट्रस्ट का निर्माण किया गया। इसमें भारत सरकार व सौराष्ट्र सरकार के दो-दो प्रतिनिधि शामिल थे। मुंशी की अध्यक्षता मे सलाहकार समिति भी बनाई गई, जिसमें पुरातत्त्व महानिदेशक को संयोजक बनाया गया। इसी बीच 1950 को सरदार पटेल की मृत्यु हो गई अब मंदिर के पुनर्निर्माण की जिम्मेदारी मुंशी पर आ गई। 
 
जीर्णोद्धार के बाद सोमनाथ मंदिर का शुभारंभ 11 मई 1951 को देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद की उपस्थिति में किया गया था। कहा जाता है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित नेहरू नहीं चाहते थे कि राष्ट्रपति मंदिर के शुभारंभ में जाएं। 
Edited by: Vrijendra Singh Jhala

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

अदन की खाड़ी में जहाज पर फिर ड्रोन अटैक, भारतीय नौसेना ने दिया करारा जवाब