Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

शतावरी घृत (रसायन)

Advertiesment
हमें फॉलो करें शतावरी घृत (रसायन)
शरीर एवं शुक्र धातु को पुष्ट एवं सबल बनाने के लिए शतावरी घृत (रसायन) का सेवन करना गुणकारी रहता है। बार-बार कमोत्तेजित होने और यौन कार्य में अति करने से शुक्राशय शिथिल हो जाता है और शुक्र को रोककर रखने में समर्थ नहीं रहता।

गलत आहार-विहार के कारण कुपित हुआ पित्त अपनी बढ़ी हुई उष्णता से शुक्र को पतला तथा उष्ण कर देता है। इससे शीघ्रपतन और बार-बार पेशाब आने की शिकायत पैदा हो जाती है।

सिर और पूरे शरीर में उष्णता एवं दाह का अनुभव होता है। स्त्रियों को रक्त प्रदर, अधिक ऋतुस्राव, योनि मार्ग में शोथ एवं दाह होना, खुजली होना, सहवास के समय कष्ट होना आदि होता है।

घटक द्रव्य : शतावरी का रस 400 मिली, दूध 400 मिली तथा घी (गाय के दूध का घी ले सकें तो अति उत्तम) 200 ग्राम। जीवक, ऋषभक, मेदा, महामेदा, काकोली, क्षीर काकोली, मुनक्का, मुलहठी, मुद्गपर्णी, माषपर्णी, विदारीकन्द और रक्त चंदन सब औषधियों को समान भाग (किसी भी मात्रा में) लेकर कूट-पीसकर पानी के साथ कल्क (पिठ्ठी) बना लें। यह पिठ्ठी 50 ग्राम। जल 400 मिली। शकर एवं शहद 25-25 ग्राम।

निर्माण विधि : शतावरी यदि हरी व ताजी न मिले तो मिट्टी के बरतन में 800 मिली जल डालकर शतावरी का 400 ग्राम चूर्ण डाल दें और 24 घंटे तक ढंककर रखें। बाद में खूब मसलकर कपड़े से छान लें। यह शतावरी का रस है। इसे 400 मिली ताजे रस की जगह प्रयोग करें। शकर और शहद को अलग रखकर 12 औषधियों को, दूध और घी सहित पानी में डालकर आग पर पकाएं। जब सिर्फ घी बचे, पानी व दूध जल जाए, तब उतारकर ठण्डा कर लें और शकर व शहद मिलाकर एक जान कर लें।

मात्रा और सेवन विधि : 1 या 2 चम्मच, दूध के साथ सुबह-शाम लें।

लाभ : यह शतावरी घृत स्त्री-पुरुषों के लिए समान रूप से हितकारी एवं उपयोगी है। उत्तम पौष्टिक, बलवीर्यवर्द्धक एवं शीतवीर्य गुणयुक्त होने से पुरुषों के लिए शुक्र को गाढ़ा, शीतल एवं पुष्टि करने वाला होने से वाजीकारक और स्तम्भनशक्ति देने वाला है। पित्तशामक और शरीर में अतिरिक्त रूप से बढ़ी हुई गर्मी को सामान्य करने वाला है। स्त्रियों के लिए योनिशूल, योनिशोथ और योनि विकार नाशक, रक्तप्रदर एवं अति ऋतुस्राव को सामान्य करने वाला तथा शीतलता प्रदान करने वाला है।

* अतिरिक्त उष्णता, पित्तजन्य दाह एवं तीक्ष्णता के कारण स्त्री का योनि मार्ग दूषित हो जाता है, जिससे पुरुष के शुक्राणु गर्भाशय तक पहुंचने से पहले ही मर जाते हैं। इसी तरह पुरुष के शुक्र में शुक्राणु नष्ट होते रहते हैं। शतावरी घृत के सेवन से स्त्री-पुरुष दोनों को लाभ होता है और स्त्री गर्भ धारण करने में सक्षम हो जाती है।

परहेज : दिन में सोना, मांसाहार, अण्डा, तम्बाकू धूम्रपान, भारी भोजन, अधिक श्रम या व्यायाम आदि अपथ्य है। मधुर रस, स्गिधता और पोष्टिक पदार्थों का सेवन पथ्य है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi