वर्तमान दौर में कोविड 19 अर्थात कोरोना वायरस से बचने के लिए लोग योग और आयुर्वेद का सहारा ले रहे हैं। इसलिए वे आयुष्मान काढ़ा पी रहे हैं या खुद ही घर पर इसी तरह का काढ़ा बनाकर पी रहे हैं। परंतु यह भी सुनने में आया है कि ज्यादा काढ़ा पीने से पेट और छाती में जलन की समस्या होने लगती है। अत: उचित मात्रा में ही काढ़े का सेवन करें और जरूरी हो तो ही करें। डर के मारे प्रतिदिन काढ़ा पीने के नुकसान भी हो सकते हैं। बहुत से लोग तो तीन चीजों का आयुर्वेदिक नुस्खा भी आजमा रहे हैं।
वर्तामान दौर में घरेलू नुस्के भी लोग आजमा रहे हैं परंतु यह कितना उचित है यह जानना भी जरूरी है। मन से ही कुछ तो भी नुस्खे बनाकर आजमाना सही नहीं होता है। यदि आपको किसी भी प्रकार की समस्या है और समस्या बढ़े इससे पूर्व ही आप आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक या ऐलोपैथिक डॉक्टर से संपर्क करें। घरेलू नुस्खे ही ना आजमाते रहें।
आयुष मंत्रालय ने काढ़ा पीने की सलाह दी है। इसके लिए आयुष मंत्रालय ने दिशानिर्देश भी जारी किया है, परंतु यह भी जानना जरूरी है कि काढ़ा किस मात्रा में लेना चाहिए और कब कब लेना चाहिए। लोग अपने घरों पर भी तुलसी का पत्ता-4, दालचीनी छाल- दो टुकड़े, शॉर्ठ- दो टुकड़े, काली मिर्च -1, मुनक्का- 4 को मिलाकर काढ़ा बना रहे हैं।
काढ़े को बनाने के लिए उपरोक्त सभी चीजों को एक साथ पानी में उबाल कर, छानकर इस पानी का दिन में दो बार सेवन करने की सलाह भी दी जा रही है। यह भी सलाह दी जा रही है कि सूखी खांसी या गले में सूजन के लिए दिन में एक या दो बार पुदीने की ताजा पत्तियां अजवाइन के साथ ले सकते हैं। गले में खराश के लिए दिन में दो या तीन बार प्राकृतिक शक्कर या शहद के साथ लॉन्ग का पाउडर भी ले सकते हैं। परंतु इस संबंध में आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
सर्दी जुकाम से बचने का प्रचलित आयुर्वेदिक नुस्खा : कुछ लोग यह भी सलाह दे रहे हैं कि 2 चम्मच शहद और आधी चम्मच अदरक के रस में चम्मचभर काली मिर्च का पॉवडर मिलाकर सुबह, शाम और रात को लेने से सर्दी, जुकाम, कफ और सभी तरह के संक्रमण से बचा जा सकता है। परंतु यह जानना भी जरूरी है कि आपको हुआ क्या है और आप यह नुस्खा क्यों आजमा रहे हैं? निश्चित ही आयुर्वेद का ये नुस्खे कारगर है परंतु इन्हें उचित मात्रा में सही समय पर ही सेवन करना चाहिए और इनका ज्यादा उपयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह शरीर में गर्मी पैदा करते हैं। वैसे भी यदि सर्दी का मौसम है तो इन्हें बहुत कम मात्रा में लेकर सर्दी जुकाम से बचा जा सकता है।
आयुर्वेद के अनुसार अदरक, कालीमिर्च और शहद एक औषधि है यह तीनों ही सड़ते नहीं है। अदरक सूखने के बाद सौंठ बन जाता है जबकि कालीमिर्च भी कई महीनों तक सड़ती नहीं है और दूसरी और शहद तो कभी भी नहीं सड़ता है यह हजारों वर्ष तक ऐसा ही बना रहता है।
तीनों में क्या है : काली मिर्च में पिपेरीन नाम का रसायन होता है जो संक्रमण के फैलाव को रोकने के साथ ही अन्य कई रोग में लाभदायक होता है। इसी तरह शहद में जरूरी पोषक तत्वों, खनिजों और विटामिन का भंडार है। इसी तरह अदरक में विटामिन बी-6 है और यह पोषक तत्वों एवं बायोएक्टिव यौगिकों से भरा हुआ है। अदरक में शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो लिपिड पेरोक्सिडेशन और डीएनए क्षति को रोकती है। दिलचस्प बात है कि एक कैंसर रोधी दवा बीटा-एलिमेन अदरक से बनाई जाती है।
इसी प्रकार शहद में फ्रक्टोज पाया जाता है। इसके अलावा इसमें कार्बोहाइड्रेट, राइबोफ्लेविन, नायसिन, विटामिन बी-6, विटामिन-सी और एमिनो एसिड भी पाए जाते हैं। एक चम्मच (21 ग्राम) शहद में लगभग 64 कैलोरी और 17 ग्राम शुगर (फ्रक्टोज, ग्लूकोज, सुक्रोज एवं माल्टोज) होता है। शहद में एंटीबैक्टीरियल और एंटीसेप्टिक गुण होते हैं जिसकी वजह से घाव को भरने में या चोट से जल्दी आराम दिलाने में भी यह बहुत कारगर है।
सावधानी : उपरोक्त तीनों की प्रकृति गर्म होती है, इसलिए गर्म तासीर के लोगों को इसके अत्यधिक प्रयोग से बचना चाहिए। यह तीनों ही पदार्थ कभी सड़ते नहीं है और यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करते हैं, जिससे शरीर बीमारियों से लड़ सके। परंतु उपरोक्त नुस्खे को किसी आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से ही लेना चाहिए।