शोथारि लौह : शोथ (सूजन) में लाभकारी। मात्रा 2-2 रत्ती सुबह-शाम।
शोथोदरारि लौह : शोथ, उधर, रोग, पांडू, बवासीर तथा गुल्म आदि रोगों पर। मात्रा 2-2 रत्ती सुबह-शाम।
सप्तामृत लौह : आंखों के लिए अत्यंत उपयोगी। अनेक नेत्र रोगों में लाभकारी। मात्रा 4-4 रत्ती सुबह-शाम मक्खन अथवा शहद में।
सर्वज्वर हर लौह : सब प्रकार के बुखारों में गुणकारी तथा अनुपात भेद से अन्य रोगों में लाभप्रद। मात्रा 1 से 3 रत्ती।
पर्पटी
पंचामृत पर्पटी : संग्रहणी, अतिसार, मंदाग्नि, अरुचि, अम्लपित्त, पांडू, अर्श, शूल आदि में लाभकारी। मात्रा 1 से 4 रत्ती शहद से।
बोल पर्पटी : रक्त पित्त, रक्त प्रदर, खूनी बवासीर आदि में गिरते हुए खून को बंद करती है। मात्रा 1 से 2 रत्ती शर्बत अनार से।
लौह पर्पटी : अम्लपित्त, मंदाग्नि, संग्रहणी, पांडू, यकृत रोग, रक्ताल्पता आदि में लाभकारी। मात्रा 1 से 3 रत्ती।
स्वर्ण पर्पटी (स्वर्णयुक्त) : सब तरह की संग्रहणी, कास, श्वास, मंदाग्नि, अतिसार, शारीरिक क्षीणता, अम्लपित्त नाशक तथा अग्नि वर्द्धक। मात्रा 1 से 2 रत्ती भुना जीरा व मधु से सुबह-शाम।
श्वेत पर्पटी (क्षार पर्पटी, वज्रक्षार) : मूत्रकृच्छ और हैजा आदि में पेशाब रुक जाने पर इस दवा के सेवन से पेशाब शीघ्र ही हो जाने लगता है। मात्रा 4 से 8 रत्ती पानी अथवा दूध की लस्सी के साथ सेवन करना चाहिए।