Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

मन्थन रस

हमें फॉलो करें मन्थन रस
NDND
आयुर्वेद शास्त्र में विद्यमान, गुणकारी और निरापद रूप से सेवन करने योग्य नुस्खों का परिचय देने वाली इस धारावाहिक लेखमाला का उद्देश्य जहाँ घर-घर तक आयुर्वेद का ज्ञान पहुँचाना है, वहीं पाठक-पाठिकाओं को आयुर्वेद के ऐसे योगों से परिचित कराना भी है, जिनको जरूरत पड़ने पर वे स्वविवेक से सेवन कर लाभ प्राप्त कर सकें। इस क्रम में एक अत्यन्त गुणकारी, असरकारी और बलवीर्यवर्द्धक योग 'मन्थन रस' का परिचय प्रस्तुत है।

घटक द्रव्य- शुद्ध पारद, शुद्ध गंधक- 40-40 ग्राम, अभ्रक भस्म 20 ग्राम। शुद्ध कपूर, बंग भस्म और लौह भस्म- तीनों 10-10 ग्राम। ताम्र भस्म 5 ग्राम। विधारा की जड़, जीरा, विदारी कन्द, शतावरी, तालमखाना, बला की जड़, कौंच के छिलकारहित बीज, अतीस, जावित्री, जायफल, लौंग, भांग के बीज, अजवायन और सफेद राल सब द्रव्य 3-3 ग्राम।

निर्माण विधि- भस्मों सहित पारद व गंधक को खरल में डालकर इतनी घुटाई करें कि सभी मिलकर एक जान हो जाएँ। विधारा की जड़ आदि सभी द्रव्यों को अलग-अलग कूट-पीसकर छानकर खूब महीन चूर्ण कर लें और भस्म में मिलाकर खूब घुटाई करें, ताकि सभी द्रव्य मिलकर एक जान हो जाएँ। अन्त में जल का छींटा मारकर थोड़ी घुटाई करें और 2-2 रत्ती की गोलियाँ बनाकर सुखा लें। बिलकुल सूख जाएँ तब शीशी में भर लें।

मात्रा और सेवन विधि- एक गिलास दूध खूब उबाल कर गाढ़ा करें। इसे कुनकुना गर्म रहे इतना ठंडा करके मन्थन रस की 1-1 गोली, सुबह व रात को सोने से पहले, साथ में दिव्य रसायन वटी की 1-1 गोली लें और दूध पी लें। मधुमेह या बहुमूत्र के रोगी और मोटे व्यक्ति दूध फीका लें अन्य व्यक्ति मीठा दूध लें।

विशेष निवेदन- आयुर्वेद के योगों का परिचय प्रस्तुत करते हुए, नुस्खे (घटक द्रव्य) और निर्माण विधि का उल्लेख हम दो कारणों से करते हैं।

पहला कारण- यदि कोई पक्का इरादा, अच्छी सूझबूझ, अनुभव और जानकारी रखने वाले महानुभाव घर पर ही नुस्खा बनाकर तैयार करना चाहें तो या तो स्वयं ही तैयार कर सकें और कर लें या औषधि निर्माण करने का अनुभव रखने वाले किसी आयुर्वेदज्ञ वैद्य का सहयोग लेकर कर लें। यदि हम नुस्खे और निर्माण विधि का विवरण प्रस्तुत न करें तो ऐसे समर्थ और कर्मण व्यक्तियों के मन में यह हसरत बनी रहेगी कि काश! नुस्खा और निर्माण विधि का विवरण भी दिया होता तो हम घर पर ही बना लेते।

दूसरा कारण- कुछ लोग, या यह भी कह सकते है कि ज्यादातर लोग इतनी खटपट करना या तो पसंद नहीं करते या किसी भी कारण अथवा कुछ कारणों से कर नहीं सकते तो वे इसे बना बनाया बाजार से खरीद कर सेवन कर सकते हैं। ऐसे लोगों को, घटक द्रव्यों का विवरण, यह जानकारी तो देता ही है कि वे जिस योग का सेवन कर रहे हैं, उसमें कौन-कौन से द्रव्य मिलाए गए हैं। वैसे यह जरूरी भी नहीं कि आप योग को बनाने की खटपट करें ही।

सयाने लोगों ने कहा है कि बीमार पड़ने पर आयुर्वेद या मेडिकल साइंस पढ़कर खुद वैद्य या डॉक्टर बनना जरूरी नहीं, संभव भी नहीं, बल्कि वैद्य या डॉक्टर से इलाज करा लेना अक्लमंदी है। दूध के लिए गाय-भैंस पालना जरूरी नहीं, ग्वाले से दूध ले लेना अक्लमंदी है। रहने के लिए खुद मकान बनाना जरूरी नहीं, बल्कि बना बनाया मकान किराए पर लेकर रहना अक्लमंदी है। इसी प्रकार इतनी खटपट कर घर पर नुस्खा बनाना जरूरी नहीं। दुकान से खरीदकर सेवन करना अक्लमंदी है। फिर भी जो घर पर बनाने को राजी हों, समर्थ और सक्षम हों, वे घर पर बना सकें, इसी हेतु से हम नुस्खा और निर्माण विधि का विवरण प्रस्तुत करते आ रहे हैं। यदि कोई घटक द्रव्य आपके गांव, कस्बे या शहर के बाजार में न मिले तो किसी बड़े शहर से मंगा लें या खुद खरीद लाएं। हम सिर्फ राह बता सकते हैं, हमसफर नहीं बन सकते। कृपया हमारी सीमा, विवशता और अत्यन्त व्यस्तता को ध्यान में रखें।

उपयोग- जैसे कि इस योग के नाम से ही प्रकट होता है, यह योग काम शक्ति बढ़ाने वाला एक उत्तम योग है। मन्थन नाम है कामदेव का, क्योंकि काम भावना मन को मथने वाली होती है। काम भावना मन से ही उत्पन्न और संचालित होती है, इसलिए कामदेव का एक नाम 'मनोज' (मन का ओज या मन से उत्पन्न होने वाला) भी है। 'मन्थन रस' का मतलब हुआ काभ भावना और काम शक्ति देने वाला तथा बुढ़ापा, रोग और मृत्यु को दूर रखने वाला यानी दीघार्यु करने वाला योग। ऐसे अद्भुत और अतिश्रेष्ठ योग का उपयोग करने से क्या क्या लाभ होते हैं, इसकी सफल सिद्ध जानकारी प्रस्तुत है। इस योग का उपयोग करें और लाभ उठाएँ।

स्तम्भनशक्ति की कमी यानी शीघ्रपतन होने की स्थिति समाप्त करने के लिए जो आयुर्वेदिक नुस्खे कारआमद और असरकारक माने जाते हैं, उनमें प्रायः अफीम का प्रयोग होता ही है। हम वाजीकरण योग में अफीम के उपयोग को पसंद नहीं करते, क्योंकि अफीम का सेवन करने से इसकी लत पड़ जाती है, जिसे व्यसन कहते हैं इसलिए हमने कभी कोई ऐसा नुस्खा प्रस्तुत नहीं किया, जिसके घटक द्रव्यों में अफीम भी शामिल हो। बड़े सुख को पाने के लिए छोटे-मोटे दुःख उठा लेना बेहतर होता है। मन्थन रस इस दृष्टि से श्रेष्ठ और निरापद योग है, क्योंकि इसमें अफीम नहीं डाली जाती फिर भी यह स्तम्भन शक्ति बढ़ा कर शीघ्रपतन की स्थिति को खत्म करने में सक्षम है।

अफीम या अन्य कोई मादक द्रव्य से युक्त न होने की वजह से कोई भी विवाहित पुरुष इस योग का सेवन बेधड़क होकर कर सकता है। महिलाएँ भी इस योग का सेवन कर सकती हैं, क्योंकि यह योग श्वेत प्रदर रोग गर्भाशय की कमजोरी, बीजकोषों की शिथिलता आदि नारी रोगों को दूर कर उन्हें स्वस्थ व गर्भधारण करने योग्य बनाता है। स्नायविक दुर्बलता दूर करने में सक्षम होने से यह योग पुरुषों के साथ ही स्त्रियों के लिए भी सेवन योग्य है।

मंथन रस का सेवन करने से नपुंसकता, शीघ्रपतन व यौनांग की शिथिलता जैसी शिकायतें दूर हो जाती हैं और पर्याप्त यौनशक्ति, वीर्य स्तंभन शक्ति और यौनांग की कठोरता वाली स्थिति पुनः प्राप्त हो जाती है। एक कहावत है हाथ कंगन को आरसी क्या और पढ़े-लिखे को फारसी क्या? इस योग का सेवन कर के खुद देख लें इसकी शक्ति।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi