Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

गौ मांस के नाम पर खिलाए गए गधे

हमें फॉलो करें गौ मांस के नाम पर खिलाए गए गधे
BBC
दक्षिण अफ्रीका में हुए अध्ययन में पता चला है कि वहां बर्गरों और सॉसेज में गोमांस के नाम के गधे, भैंस और बकरे का मांस का इस्तेमाल हो रहा है।

स्टेलनबॉश विश्वविद्यालय की रिपोर्ट कहती है कि शोध के दौरान 139 नमूनों की जांच की गई। इनमें 99 के लेबल पर उस मांस का जिक्र नहीं था जो उनमें इस्तेमाल किया गया था।

अध्ययन के दौरान 28 प्रतिशत उत्पादों के लेबल पर सोया और ग्लूटन यानी गेहूं में मिलने वाले प्रोटीन यौगिक का जिक्र नहीं था। इसी तरह 37 प्रतिशत उत्पादों में यह नहीं बताया गया था कि उनमें सूअर का मांस है, वहीं 23 प्रतिशत उत्पादों के लेबल में मुर्गे का मांस होने का जिक्र नहीं था।

ये मामले सॉसेज़, बर्गर पेटीज और पके हुए मांस से बने उत्पादों से जुड़े हैं।

मांस पर मचा बवाल : यह अध्ययन ऐसे समय में सामने आया है जब योरप में खाने की चीजों में गोमांस के नाम पर घोड़े का मांस इस्तेमाल किए जाने के कई मामले सामने आ रहे हैं।

सोमवार को ही स्वीडन की कंपनी आइकिया को 14 यूरोपीय देशों के बाजार से अपने मीटबॉल्स हटाने पड़े. चेक गणराज्य में आइकिया के इन मीटबॉल्स में घोड़े के मांस के अंश पाए गए थे। ब्रिटेन में टेस्को और सैनबरी जैसे कई बड़े सुपरमार्केट्स ने बाजार से अपने गोमांस वाले उत्पाद हटा लिए हैं। उनमें भी घोड़े का मांस इस्तेमाल किया गया था। नेस्ले जैसी नामी कंपनी को भी यूरोपीय बाजारों से अपने कई उत्पाद हटाने पड़े।

यही नहीं, जर्मनी में सामान्य अंडों को जैविक अंडे के रूप में बेचे जाने का मामले भी सामने आए हैं।

'धांधलेबाजी' : स्टेलनबॉश विश्वविद्यालय ने अपने न्यूज ब्लॉग पर लिखा है कि दक्षिण अफ्रीका के बाजार में मांस से बने उत्पादों में खासी धांधलेबाजी की जा रही है और ये बात स्टेलनबॉश विश्वविद्यालय में मांस वैज्ञानिकों के शोध में सामने आई है।

शोध के अनुसार जिन 139 नमूनों को परखा गया उनमें लगभग 68 प्रतिशत में सोया के अलावा गधे, बकरी और भैंस का मांस पाया गया। मुसलमान और यहूदी अपनी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूअर का मांस नहीं खाते हैं। इन दोनों ही अल्पसंख्यक समुदायों की दक्षिण अफ्रीका में अच्छी खासी आबादी है।

इस शोध में शामिल एक शोधकर्ता का कहना है कि हमारा अध्ययन बताता है कि दक्षिण अफ्रीका में मांस से बने उत्पादों पर सही लेबल होने के कारण न सिर्फ लेबलिंग संबंधी नियमों का उल्लंघन हो रहा है बल्कि इससे आर्थिक, धार्मिक, जातीय और स्वास्थ्य हित भी प्रभावित होते हैं।

हालांकि संवाददाताओं का कहना है कि लेबल से अलग जिन मांसों का इस्तेमाल इन उत्पादों में किया, वो इंसान की सेहत के लिए नुकसानदायक नहीं हैं।

हमारे साथ WhatsApp पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
Share this Story:

वेबदुनिया पर पढ़ें

समाचार बॉलीवुड ज्योतिष लाइफ स्‍टाइल धर्म-संसार महाभारत के किस्से रामायण की कहानियां रोचक और रोमांचक

Follow Webdunia Hindi