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बिना ऑक्सीजन के जीने वाले जीव

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BBC
वैज्ञानिकों ने पहली बार ऐसे जीवों की खोज की है जो बिना ऑक्सीजन के जी सकते हैं और प्रजनन कर सकते हैं। ये जीव भूमध्यसागर के तल पर मिले हैं।

इटली के मार्श पॉलीटेकनिक विश्वविद्यालय में कार्यरत रॉबर्तो दोनोवारो और उनके दल ने इन कवचधारी जीवों की तीन नई प्रजातियों की खोज की है। दोनोवारो ने बीबीसी को बताया कि इन जीवों का आकार करीब एक मिलीमीटर है और ये देखने में कवच युक्त जेलीफ़िश जैसे लगते हैं।

प्रोफेसर रॉबर्तो दोनोवारो ने कहा, 'ये गूढ़ रहस्य ही है कि ये जीव बिना ऑक्सीजन के कैसे जी रहे हैं क्योंकि अब तक हम यही जानते थे कि केवल बैक्टीरिया ऑक्सीजन के बिना जी सकते हैं।'

भूमध्यसागर की ला अटलांटा घाटी की तलछट में जीवों की खोज करने के लिए पिछले एक दशक में तीन समुद्री अभियान हुए हैं। इसी दौरान इन नन्हे कवचधारी जीवों की खोज हुई।

यह घाटी क्रीट द्वीप के पश्चिमी तट से करीब 200 किलोमीटर दूर भूमध्यसागर के भीतर साढ़े तीन किलोमीटर की गहराई में है, जहाँ ऑक्सीजन बिल्कुल नहीं है।

नए जीवों के अंडे : प्रोफेसर दानोवारो ने बीबीसी को बताया कि इससे पहले भी बिना ऑक्सीजन वाले क्षेत्र से निकाले गए तलछट में बहुकोशिकीय जीव मिले हैं लेकिन तब ये माना गया कि ये उन जीवों के अवशेष हैं जो पास के ऑक्सीजन युक्त क्षेत्र से वहाँ आकर डूब गए।

प्रोफ़ैसर दानोवारो ने कहा, 'हमारे दल ने ला अटलांटा में तीन जीवित प्रजातियाँ पाईं जिनमें से दो के भीतर अंडे भी थे।'

हालाँकि इन्हें जीवित बाहर लाना संभव नहीं था लेकिन टीम ने जहाज पर ऑक्सीजन रहित परिस्थितियाँ तैयार करके अंडो को सेने की प्रक्रिया पूरी की। उल्लेखनीय है कि इस ऑक्सीजन रहित वातावरण में इन अंडों से जीव भी निकले।

दानोवारो ने कहा, 'यह खोज इस बात का प्रमाण है कि जीव में अपने पर्यावरण के साथ समायोजन करने की असीम क्षमता होती है।'

उन्होंने कहा कि दुनिया भर के समुद्रों में मृत क्षेत्र फैलते जा रहे हैं जहाँ भारी मात्रा में नमक है और ऑक्सीजन नहीं है।

स्क्रिप्स इंस्टिट्यूशन ऑफ ओशनोग्राफी की लीसा लेविन कहती हैं, 'अभी तक किसी ने ऐसे जीव नहीं खोजे जो बिना ऑक्सीजन के जी सकते हों और प्रजनन कर सकते हों।'

उन्होंने कहा कि पृथ्वी के समुद्रों के इन कठोर परिवेशों में जाकर और अध्ययन करने की जरूरत है। इन जीवों की खोज के बाद लगता है कि अन्य ग्रहों पर भी किसी रूप में जीवन हो सकता है जहाँ का वातावरण हमारी पृथ्वी से भिन्न है।

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