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बिहार : नक्सली नेता की मूर्ति पर विवाद

- अमरनाथ तिवारी

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, मंगलवार, 5 मार्च 2013 (13:08 IST)
BBC
बिहार के दरभंगा ज़िले में एक नक्सली नेता की मूर्ति पर आजकल बवाल मचा हुआ है, हालांकि सरकार ने उसे हटाने के आदेश दे दिए हैं। जानकार मानते हैं कि बिहार में पहली बार किसी नक्सली नेता की मूर्ति किसी सरकारी जमीन पर लगाई गई है।

ये मूर्ति डॉक्टर निर्मल कुमार की है जिसे दरभंगा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व छात्रों के संघ, वहां के मेडिकल छात्रों और बुद्धिजिवियों के द्वारा कॉलेज कैंपस में लगाई गई है।

नक्सलवादियों के बीच नरेंद्र जी के नाम से मशहूर डॉक्टर निर्मल कुमार, इसी कॉलेज के विद्यार्थी थे। वे अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़कर नक्सल आंदोलन के साथ जुड़ गए थे।

पुलिस ने उन पर पांच हजार रुपए का इनाम भी रखा था। नक्सल आंदोलन से जुड़ने के बाद डॉक्टर निर्मल कुमार उर्फ नरेंद्र जी बहुत जल्द ही शीर्ष नेता बन गए थे और साथ ही पुलिस के लिए बड़ी चुनौती भी। मुठभेड़ में मौत

पुलिस के साथ मुठभेड़ में डॉक्टर निर्मल कुमार की मौत राज्य के भोजपुर जिले के बाबू बांध पर 29 नवंबर 1975 को हो गई थी। उनके साथ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) के तब के महासचिव जौहर दत्त भी मारे गए थे।

भोजपुर उस वक्त नक्सल आंदोलन का गढ़ था जहां बाद के दिनों में अनेक जनसंहार हुए जिनमें सैकड़ों लोगों की जानें गईं।

डॉक्टर निर्मल कुमार भी भोजपुर के रहने वाले थे और स्थानीय एचडी जैन कॉलेज से पढ़ाई करने के बाद वो पटना के साइंस कॉलेज के छात्र रहे।

उनके सहपाठी रहे डॉक्टर बीएनपी यादव ने बीबीसी को बताया, 'शुरू से ही वो एक प्रबुद्ध छात्र थे, बाद में वो मेडिकल की पढ़ाई करने दरभंगा आ गए। लेकिन बाद के दिनों में वो नक्सली विचारधारा से प्रभावित होकर नक्सल आंदोलन से जुड़ गए।'

डॉक्टर निर्मल कुमार को याद करते हुए मेडिकल कॉलेज के पूर्व छात्रों के संघ और वहां के मेडिकल छात्रों ने पिछले साल 23 फरवरी को ये फैसला लिया था कि उनकी मूर्ति कॉलेज कैंपस में लगाई जाएगी।

विरोध : इसी साल 27 जनवरी को मूर्ति कॉलेज कैंपस में स्थापित कर दी गई, लेकिन मूर्ति स्थापित होते ही राजनीतिक विरोध शुरू हो गया।

भारतीय जनता पार्टी के स्थानीय विधायक गोपाल जी ठाकुर और संजय सरावगी ने इसका विरोध करते हुए कहा कि एक अपराधी की मूर्ति कॉलेज के कैंपस में नहीं लगाई जा सकती।

ये लोग अपने समर्थकों के साथ धरने पर बैठ गए और आंदोलन करने की चेतावनी दे डाली। हालांकि बीजेपी को छोड़कर किसी राजनीतिक पार्टी ने खुलकर मूर्ति का विरोध नहीं किया है।

सीपीआई (माले) के नेता धीरेंद्र झा ने बीबीसी को बताया कि डॉक्टर निर्मल कुमार एक सामाजिक नेता थे।

लेकिन सरकार ने मूर्ति को गैरकानूनी करार दिया है। राज्य के स्वास्थ्य सचिव व्यासजी मिश्र का कहना है, 'मूर्ति की स्थापना गैरकानूनी है। राष्ट्रपिता को छोड़कर किसी की भी मूर्ति सरकारी जमीन पर बिना सरकार की अनुमति लिए नहीं लगाई जा सकती है। मूर्ति हटाने के आदेश सरकार ने वहां के जिलाधिकारी को दे दिए हैं।'

सरकारी आदेश मिलने के बाद वहां के प्रशासन और पुलिस ने 26 फरवरी को मूर्ति हटाने की कोशिश की लेकिन लोगों, मेडिकल छात्रों और डॉक्टरों के जबर्दस्त विरोध के कारण अधिकारियों को वापस लौटना पड़ा।

इस बीच मूर्ति समर्थकों को लोगों का सहयोग भी मिलने लगा है जो सरकार और प्रशासन के लिए मुसीबत का कारण बन सकता है।

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