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योगनीति से राजनीति तक

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- प्रतीक्षा घिल्डियाल (हरिद्वार से)
BBC
'जो अन्य राजनीतिक पार्टियों की कमजोरियाँ हैं वो ही तो मेरी सबसे बड़ी शक्ति हैं,' बाबा रामदेव ने एक बड़ी मुस्कान के साथ कहा। मैं और बाबा उनके आश्रम के बगीचे में बैठे बात कर रहे थे।

'भ्रष्टाचार बुरी तरह से पूरे राजनीतिक ढाँचे पर छाया हुआ है और लोगों का राजनीतिज्ञों पर से विश्वास उठ चुका है। मैं इस पूरे ढाँचे को ही बदल देना चाहता हूँ इसलिए ही मैंने राजनीतिक पार्टी बनाने की सोची।'

बाबा रामदेव को तो इस बात पर भी पूरा विश्वास है कि उनकी पार्टी अगली बार ही सत्ता में आ जाएगी। शायद ये विश्वास उन्हें अपने भक्तों और प्रशंसकों की संख्या को देखकर आता हो।

इससे पहले- हरिद्वार के पास बसे बाबा रामदेव के आश्रम में कदम रखते ही आश्रम की खूबसूरती के अलावा एक और चीज ने मेरा ध्यान बाँटा। वो है आश्रम की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था। चप्पे-चप्पे पर यूनिफॉर्म पहने सुरक्षा गार्ड तैनात थे। ऐसा लगा जैसे हम किसी बड़े राजनेता के घर आ पहुँचे हैं।

बाबा रामदेव के करीबियों के मुताबिक बाबा को किसी एक चीज से ख़तरा थोड़े ही है। उनके हिसाब से बाबा को खतरा हर उस संस्था से है जिनके खिलाफ उन्होंने अभियान चलाया हुआ है। इनमें शामिल हैं बहुराष्ट्रीय और कोल्ड ड्रिंक बनाने वाली कंपनियाँ।

वैसे आजकल बाबा विश्व स्वास्थ्य संगठन और आईपीएल के ‍खिलाफ भी खुलकर बोल रहे हैं। पता नहीं बाबा को इनसे भी खतरा महसूस होता है या नहीं।

खैर हम पतंजलि योगपीठ में आगे बढ़े और उसके प्रतीक्षालय में पहुँचे। लोगों का तांता लगा हुआ था। जगह-जगह से लोग बाबा रामदेव को मिलने आए हुए थे। मेरे अलावा विदेशी मीडिया के पत्रकार भी थे।

सभी दिल्ली से लंबी यात्रा करके पहुँचे थे और बाबा का इंतजार कर रहे थे। एक पत्रकार तो सुबह 11 बजे से बाबा का इंतजार कर रहीं थीं लेकिन अब तो शाम के पाँच बज चुके थे और बाबा का कोई अता-पता ही नहीं था।

आखिर हम सबको बाबा के कमरे में ले जाया गया। इतना इंतजार करने के बाद आखिर बाबा साक्षात एक सिंहासन पर विराजमान दिखे। मन ही मन मैंने सोचा चलो इंटरव्यूह तो मिल ही जाएगा।

भगवा रंग के कपड़ों से लिपटे और खड़ाऊ पहने बाबा सबको देखकर मुस्कुराए और इंतजार करवाने के लिए क्षमा माँगी। बाबा से हमारा साक्षात्कार अगली सुबह तय हुआ था इसलिए हम बस नमस्ते कहकर वहाँ से निकल आए।

रात को आश्रम की कैंटीन में खाना खाया। पता चला कि खाना बाबा के कड़े निर्देशों के अनुसार बनता है। न लहसुन न प्याज और सिर्फ शुद्द शाकाहारी भोजन।

दूसरे दिन बाबा का की सुबह तीन बजे ही हो गई- जैसा कि हमें बताया गया था। जाहिर है मैं भी जग गई क्योंकि उनके साथ हमें उनके योग शिविर जो जाना था। हम हरिद्वार के लिए निकल पड़े। एक दृश्य देखकर मैं मुस्कुराए बिना नहीं रह सकी- भगवा कपड़े पहने एक बाबा तमाम सुरक्षा गार्डों के साथ एक बड़ी गाड़ी में बैठे सफर के लिए चल पड़े।

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योगगुरु : शिविर में पहुँचे तो मंच पर बाबा के लिए सभी साजो-सामान तैयार था। बड़े-बड़े कैमरे लगे हुए थे जिसके जरिए उनका योग देश भर में लाइव दिखाई पड़ता है।

बाबा ने बिना कोई समय गँवाए शिविर में बैठे लोगों को योग सिखाना शुरू कर दिया। अनुलोम-विलोम, सूर्य नमस्कार, प्राणायाम, शीर्षासन और न जाने क्या-क्या। बाबा रामदेव ने योग को आम लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय तो बनाया ही है लेकिन खास बात ये है कि उन्होंने आध्यात्मिकता और व्यायाम को साथ जोड़ दिया है।

वैसे बाबा रामदेव ने अब एक और चीज अपने योग शिविर में करनी शुरू कर दी है- वो है अपनी राजनीतिक पार्टी का प्रचार। कठिन आसनों और प्रभु के भजनों के बीच बाबा राजनेताओं पर तीखी टिप्पणियाँ करने से नहीं चूकते और पूरे राजनीतिक ढाँचे को बदलने की बात करते हैं।

अभी तो अगले आम चुनाव में चार साल बाकी हैं लेकिन बाबा का प्रचार अभी से क्यों शुरु हो गया? बाद में मैंने जब उनसे ये सवाल किया तो वो बोले, 'हम उन लोगों में से नहीं हैं जो चुनाव से दो महीने पहले प्रचार शुरू करें। हमारा अभियान तो सालों-साल चलेगा।'

'हम आज भी अपना देश वैसे चला रहे हैं जैसे अंग्रेज चलाते थे। इसमें कई खामियाँ है। मैं पूरा सिस्टम ही बदल डालना चाहता हूँ।'

बाबा रामदेव मुझसे जो भी कह रहे थे उसको एक कॉपी में नोट भी किए जा रहे थे। शायद वो हर उस बात का रिकॉर्ड रखते हैं जिसे वो मीडिया के सामने कहते हैं।

वैसे बाबाओं और संतों का विवाद कोई नई बात तो नहीं है। मीडिया आए दिन कोई न कोई ऐसी बात सामने आती रहती है। तो ऐसे में बाबा रामदेव को कैसे इतना यकीन है कि उन्हें वोट मिल पाएँगे- वो भी 'आध्यात्मिक सर्वांगीण' विकास के मुद्दे को लेकर?

बाबा रामदेव कहते हैं, 'मैं आज जो भी हूँ अपनी मेहनत और ईमानदारी के बल पर बना हूँ। मुझे यकीन है कि मेरी राजनीतिक पार्टी को लोग खुलकर वोट देंगे।'

बाबा रामदेव ने योग और आयुर्वेद के बल पर भारत में एक बहुत बड़ा साम्राज्य बना डाला है। इसके अलावा अब स्कॉटलैंड का एक द्वीप भी उनके ट्रस्ट के नाम पर है और जल्द ही अमेरिका के ह्यूस्टन में भी उनके आश्रम की एक शाखा खुलेगी।

दुनिया भर में घूम चुके बाबा रामदेव जापान, चीन, वियतनाम और सीरिया जैसे देशों में भी अपने योग के करतब दिखा चुके हैं। पाकिस्तान भी जाना चाहते थे लेकिन उनके प्रवक्ता कहते हैं कि किन्हीं कारणों से वो जा नहीं पाए।

बाबा के प्रवक्ता के मुताबिक़ पतंजलि योगपीठ में करीब 500 डॉक्टर कार्यरत हैं जो वहाँ आने वाले मरीजों को देखते हैं और मरीजों को मुफ्त में योग की ट्रेनिंग भी दी जाती है। उनके मुताबिक पतंजलि योगपीठ में आधुनिक विज्ञान के साथ आयुर्वेद की परम्परा को जोड़ने की कोशिश की जाती है।

उनके चिकित्सालय को देखने के बाद पता चला कि मरीजों के रोग की पहचान करने के लिए आधुनिक से आधुनिक मशीनें लगाई गई हैं।

ये सब तो ठीक है लेकिन एक सवाल और मेरे मन में था- राजनीति में जाने के बाद भला बाबा रामदेव योग को समय दे पाएँगे?

इस पर बाबा रामदेव ने कहा, 'योग मेरे जीवन का निन्यान्वे प्रतिशत हिस्सा है। बाकी सब सिर्फ एक प्रतिशत। आने वाले समय में हम योग की देश भर में और कक्षाएँ खोलेंगे। मैं योग को छोड़ूँगा कतई नहीं।'

साक्षात्कार खत्म हुआ और मैं आश्रम से बाहर निकली तो मन ही मन सोचा कि धार्मिक और आध्यात्मिक गुरु करोड़ों भारतीयों की जिंदगी में कितनी खास जगह रखते हैं- लगता है बाबा रामदेव इसी श्रद्दा को वोटों में बदलते देखना चाहते हैं।

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