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योग बना बड़ा कारोबार

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BBC
बाउंटीफुल, ब्यूटीफुल औऱ ब्लिसफुल-ये है योग का नया नारा। यह नारा पूरा होता है एक और बी के साथ और वो है बिजनेस। ऋषिकेश में चल रहे अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव में योग के कई नए रूप नजर आ रहे हैं। योग की साधना अब उद्योग की सफलता में बदल रही है।

अमेरिका में कुंडलिनी ध्यान योग की मशहूर संस्था गोल्डन ब्रिज की संस्थापक गुरुमुख कौर खालसा का दावा है कि वो छह हजार से अधिक लोगों को योग प्रशिक्षक बना चुकी है। उनके शिष्यों में ग्लैमर की दुनिया की हस्तियाँ मैडोना और एंजेलिना जोली जैसे लोग भी शामिल हैं। गुरुमुख कौर कहती हैं कि योग लोगों को राहत दे रहा है। इसमें बुराई क्या है अगर इससे लोगों को रोजगार मिल रहा है।

डिजाइनर कपड़े, डिजाइनर जूते-चश्मा, कीमती मोबाइल और लैपटॉप का नवीनतम मॉडल, महीने में एक हफ्ते अमेरिका, एक हफ्ते अफ्रीका या यूरोप और शेष दिन भारत में। और आय हर महीने लगभग डेढ़ से दो लाख रुपए। ये परिचय है अष्टांग विन्यास योग की शिक्षक भाविनी कलण का।

भाविनी एक पाँच सितारा स्पॉ केंद्र में मुख्य योग सलाहकार और शिक्षिका हैं और दुनिया के कई देशों के योग स्टूडियोज में बतौर विशेष प्रशिक्षक बुलाई जाती हैं। 11 साल पहले भाविनी बिजनेस कंसल्टेंट थीं, लेकिन योग के प्रति रुझान उन्हें इस ओर खींच लाया।

बकौल भाविनी, आज मुझे खुशी है कि एक मिशन के साथ मैं पैसे भी कमा रही हूँ। जहाँ जुनून होता है, पैसा अपने-आप आ जाता है। योग आज काफी पेशेवर उद्यम बन चुका है। लंदन से लेकर स्वीडन और अटलांटा तक में योग के एक से बढ़कर एक स्टूडियोज खुलते जा रहे हैं।

चीन और अमेरिका तक : चीन के रामदेव कहे जानेवाले योग गुरू मोहन भंडारी के अनुसार, योग एक हीलिंग इंडस्ट्री है। एक थैरपी है। चीन में योगी योग के संस्थापक मोहन भंडारी पर चीनी सेंट्रल टेलीविजन ने 52 योग डीवीडी बनाई गई हैं।

चीन ही नहीं पूरी दुनिया में उनकी डीवीडी और किताबें बेशुमार बिक रही हैं। चीन के विभिन्न शहरों में उनके सात योग उपचार केंद्र हैं। इन आधुनिक योग गुरुओं से मिलकर लगता है कि आप किसी योगी से नहीं बल्कि बहुराष्ट्रीय कंपनी के प्रबंधकों से बात कर रहे हैं।

यह गलत भी नहीं है। अगर ऐसा नहीं होता तो शायद अमेरिका के सबसे महँगे व्यावसायिक केंद्र एंपायर एस्टेट और मैनहट्टन एस्टेट में योग स्टूडियोज नहीं खोले जाते। ये जानना दिलचस्प है कि योग के इस अंतरराष्ट्रीयकरण के बावजूद इसका केंद्र अब भी भारत ही बना हुआ है।

जैसे अगर किसी को विज्ञान में कोई पीएचडी करनी होती है तो वो अमेरिका जाता है, कला में मान्यता हासिल करनी हो तो यूरोप जाता है वैसे ही योग सीखने और सिखाने वालों के लिए भारत में आकर योग सीखना उनके ज्ञान पर एक मुहर है। एक सर्टिफिकेट की तरह है। इसीलिए यहाँ योग सिखाने और योग की वस्तुओं का कारोबार भी तेजी से पनप रहा है।

योगा क्लॉथ, योगा मैट्स, योगा बैंड, योगा एक्सेसरीज, योगा स्टूडियोज की डिजाइनिंग और निर्माण भी एक कौशलपूर्ण पेशा है।

योग सीखना अब सस्ता नहीं : योग सीखना सस्ता सौदा नहीं रह गया है। इसका अंदाजा भी इसी बात से लगाया जा सकता है कि ऋषिकेश के एक मशहूर योग केंद्र में एक महीने के कोर्स की फीस दो हजार डॉलर है और पश्चिमी देशों में तीन सौ से पाँच सौ घंटे तक के लिए तीन हजार से पाँच हजार डॉलर की फीस ली जाती है।

इसके अलावा मशहूर योग विशेषज्ञों के वर्कशॉप उनके नाम से बिकते हैं। साधना और ध्यान की ये कठिन विधा इतनी लोकप्रिय कैसे हो रही है। ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर से आए क्लाइव ह्यू कहते हैं, कि प्रतियोगिता और आपा-धापी वाले जीवन में जहाँ मानवीय मूल्य खत्म हो गए हैं, वहीं योग लोगों को सुकून और शांति देता है। वो बताते हैं कि ऑस्ट्रेलिया में योग फिटनेस का तीसरा सबसे लोकप्रिय माध्यम है।

क्लाइव कहते हैं कि आमतौर पर लोग शुरू में सेहत के लिए योग सीखने आते हैं लेकिन जल्दी ही वो इसके आत्मिक और आध्यात्मिक पक्ष से भी जुड़ जाते हैं। उनके अनुसार ऑस्ट्रेलिया में करीब 10 हजार योग केंद्र हैं। योग के इस प्रसार से कई अलग-अलग शैलियाँ भी निकली हैं और विविध उपयोग भी।

लॉस एंजिल्स के सांता बारबरा योग केंद्र में कुंडलिनी योग और नाम योग की शिक्षक सिद्धि प्रेगनेंसी योग की प्रचारक हैं। आचार्य श्यामदास भक्ति योग के प्रचारक हैं जिनके पैकेज में योगासनों के साथ-साथ पृष्ठभूमि में भक्ति संगीत और कृष्ण कथाएँ भी चलती हैं। सुंदरी राम और भाव राम (पति-पत्नी) सैंडियागो में दीप योग के संस्थापक हैं।

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उन्होंने शास्त्रीय योग अयंगार, अनुसारा, विनियोग और आयुर्वेद को जोड़कर फ्यूजन शैली विकसित की है। इसके तहत गंभीर अस्थिरोगों और मनोरोगों की चिकित्सा की जा रही है। डिप्रेशन और इंसोम्निया से जूझ रहे लोगों के लिए योगनिद्रा और नाद योग वरदान साबित हो रहा है।

मार्शल आर्ट और नृत्य से जुड़ा योग : भाविनी कलण ने कुंडलिनी योग की कक्षाओं को गति और तेजी देने के लिए कराली मार्शल आर्ट्स की मुद्राओं को योगासनों से जोड़ा है।

इसी तरह से संगीत और नृत्य पर आधारित शिव-शक्ति योग आज उन योगार्थियों को खूब भा रहा है जो सेहत के साथ-साथ नृत्य का आनंद उठाना चाहते हैं। जापान में हिकारो हाशिमोतो 23 साल की उम्र से योग का प्रसार कर रहे हैं।

उन्होंने जापान की प्राचीन विधा शिंतो, हठयोग औऱ धर्मयोग के मेल से शिंतो योगा की कला विकसित की है और आज पूरे जापान में अकेले उनके सात सौ से ज्यादा केंद्र हैं। लेकिन परंपरागत योग साधक चाहते हैं कि योग का यह जुनून मौलिक रूप में बना रहना चाहिए।

स्वामी चिदानंद मुनि कहते हैं कि नृत्य से जोड़ें या संगीत से जोड़ें लेकिन योग की मूल भावना को न छोड़ें। कम से कम योग के क्षेत्र के लोग इसे उद्योग न बनाएँ। नहीं तो उपभोग की अन्य वस्तुओं की तरह ही लोग इसे भी बहुत हल्के ढंग से लेने लगेंगे।

कुछ जगहों पर ऐसा हो भी रहा है और आज योग से जुड़ी चिंता यही है कि ये पैशन कहीं फैशन बनकर न रह जाए।
-शालिनी जोशी, हरिद्वार से

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