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सूखे कछुओं का जखीरा बरामद

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, मंगलवार, 28 जून 2011 (14:48 IST)
BBC
बांग्लादेश में अधिकारियों ने कहा है कि उन्होंने भारत के साथ मिलने वाले सीमावर्ती क्षेत्र में तस्करों से 120 किलो सूखे कछुए बरामद किए हैं। हालांकि अधिकारियों ने ये भी कहा है कि दिनाजपुर जिले में हुई इस घटना में शामिल तस्कर भागने में कामयाब हो गए। हालांकि बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश यानि बीजीबी ने उनका पीछा कर उन्हें धरने की कोशिश की।

बीजीबी के लैफ्टिनेंट कर्नल अमीरुल इस्लाम ने बीबीसी को बताया, 'ये सूखे कछुए भारत से बांग्लादेश में तस्कर किए जा रहे थे। अभी तक इस इलाके में ये सबसे बड़ी बरामदगी है।'

सूखे कछुओं का सूप बनाया जा सकता है और कुछ दवाइयों में भी इनका इस्तेमाल होता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक किलोग्राम सूखे कछुए की कीमत लगभग 140 डॉलर होती है। अधिकारियों ने कहा है कि हाल के महीनों में बांग्लादेश में सूखे कछुए और जीवित जानवरों की तस्करी में इजाफा हुआ है।

वन्य जीव के व्यापार पर नजर रखने वाली संस्था ट्रैफिक के एक प्रवक्ता, रिचर्ड थॉमस का कहना था, 'मैं इतनी बड़ी बरामदगी को लेकर बहुत आश्चर्यचकित हूं। इससे ये भी सवाल खड़ा होता है कि इस तरह के कितने बैग तो बिना पता चले ही गुजर गए होंगे।'

रिचर्ड थॉमस ने कहा कि अगर इस घटना का विश्लेषण किया जाए तो समझा जा सकता है कि पूर्वोत्तर भारत से इस तरह के सूखे कछुए पूर्वी एशियाई देशों में पहुंचाए जाते रहे होंगे जहां देसी दवाइयों में इनका इस्तेमाल होता है।

'तस्करी का अड्डा'
ट्रैफिक संस्था का कहना है कि पूर्वी एशिया में मांस खाने और दवाइयों में इस्तेमाल करने के लिए कछुओं की भारी मांग है इसलिए उनकी पैदावार बड़े पैमाने पर की जा रही है।

जून के आरंभ में बैंकाक में कस्टम अधिकारियों को अलग-अलग किस्मों के सैकड़ों कछुए सूटकेस में मिले थे जो बांग्लादेश से विमान के जरिए वहां लाए गए थे। हाल के महीनों में बांग्लादेशी अधिकारियों ने बहुत से लोगों से ऐसे वन्य जीवों को बरामद किया है जिन्हें गैरकानूनी तरीके से पास रखा गया था।

बांग्लादेश के वन्य विभाग में जंगल संरक्षक तपन कुमार डे ने बीबीसी से कहा कि इस क्षेत्र से वन्य जीवों की तस्करी के लिए बांग्लादेश एक अड्डा बनता जा रहा है।

तपन कुमार का कहना था कि तस्कर आमतौर पर भारत के साथ मिलने वाले बांग्लादेश के विशाल सीमावर्ती इलाके का इस्तेमाल करते हैं। 'पहले इन जीवों को बांग्लादेश लाया जाता है और वहां से पूर्वी एशिया के देशों में स्मगल कर दिया जाता है।'

पर्यावरण के लिए काम करनेवाली संस्थाओं का कहना है कि अगर वन्य जीवों की इस तस्करी पर रोक नहीं लगाई जाती है तो इससे भारत और पाकिस्तान दोनों ही देशों में वन्य संरक्षण के प्रयासों को बड़ा नुकसान पहुंच सकता है।

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