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अमृतपाल सिंह : दीप सिद्धू के बाद 'वारिस पंजाब दे' के प्रमुख सुर्खियों में क्यों छाए

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BBC Hindi

, शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2023 (17:12 IST)
पंजाब के अमृतसर के नज़दीक अजनाला में गुरुवार को 'वारिस पंजाब दे' के समर्थकों ने एक थाने पर हमला कर दिया। बंदूकों और तलवारों से लैस 'वारिस पंजाब दे' समर्थक वहां इस संगठन के प्रमुख अमृतपाल सिंह के साथी लवप्रीत सिंह तूफान को छुड़ाने के लिए पहुंचे थे। समर्थक पुलिसबलों से भिड़ गए। इस झड़प में एक पुलिस अफ़सर समेत 6 पुलिसकर्मी घायल हो गए।

समर्थकों के साथ अमृतपाल सिंह भी थाने पहुंचे थे। उन्होंने पुलिस को 'अल्टीमेटम' दिया और उनके हज़ारों समर्थकों ने थाने में इतना हंगामा किया कि पुलिस को लवप्रीत सिंह को रिहा करने का आश्वासन देना पड़ा। अमृतपाल सिंह और उनके समर्थकों के सामने पुलिस बेबस दिखी।

अमृतपाल ने कहा, कुछ पेपरों ने लिखा है कि अमृतपाल हताश है। वह अलग-थलग पड़ गया है…। देखिए भक्तों ने किस तरह मेरा समर्थन किया है। आख़िर कौन हैं अमृतपाल सिंह जिन्होंने खुलेआम पुलिस को चेतावनी दी और जिनके समर्थकों के सामने पुलिस ने हथियार डाल दिए।

अमृतपाल सिंह कौन हैं?
पंजाब की राजनीति में पिछले कुछ समय से अमृतपाल सिंह चर्चा में हैं। 29 साल के अमृतपाल सिंह खालिस्तान समर्थक माने जाते हैं। पिछले साल वो एक्टर-एक्टिविस्ट दीप सिंह सिद्धू की मौत के बाद 'वारिस पंजाब दे' संगठन की कमान संभालने दुबई से लौटे थे।

पिछले साल ही अमृतपाल सिंह को दीप सिंह सिद्धू की ओर से गठित संगठन 'वारिस पंजाब दे' का प्रमुख चुना गया था। मशहूर पंजाबी एक्टर दीप सिंह सिद्धू किसान आंदोलन के दौरान चर्चा में आए थे। बाद में एक सड़क हादसे में उनकी मौत हो गई थी।

मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में अमृतपाल सिंह कहते हैं कि उनका जन्म और पालन-पोषण अमृतसर के जादूखेड़ा गांव में हुआ है। उनकी शादी 10 फरवरी 2023 को बाबा बकाला में हुई थी। निजता का हवाला देते हुए उन्होंने अपनी पत्नी और परिवार के बारे में नहीं बताया और कहा कि मीडिया को भी उनकी निजी जिंदगी में दखल देने से बचना चाहिए।

अमृतपाल सिंह के मुताबिक़ स्कूली शिक्षा के बाद वे रोज़गार की तलाश में अरब चले गए थे। उनका कहना है कि वे आसानी से लोगों से घुलते-मिलते नहीं हैं और न ही उनके ज़्यादा दोस्त हैं। एक इंटरव्यू के मुताबिक़, उन्होंने दावा किया कि दुबई में रहते हुए उन्होंने वहां की वो मशहूर इमारतें भी नहीं देखीं, जिन्हें देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं।

पढ़ाई के बारे में उनका कहना है कि स्कूल के दौरान उनका पढ़ाई में मन नहीं लगता था और इसके बाद वे दुबई चले गए जिसके बाद उन्हें दोबारा समय नहीं मिला। हालांकि एक दूसरे इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि उन्होंने इंजीनियरिंग कॉलेज में भी तीन साल बिताए लेकिन कभी इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल नहीं की।

नरसंहार हुआ लेकिन अब इसकी चर्चा भी नहीं करने देते
अमृतपाल सिंह कहते हैं, एक तो हमारा नरसंहार हुआ है और फिर उस नरसंहार की चर्चा को भी वर्जित कर देना चाहते हैं। ऐसे में जब हम इसकी चर्चा करते हैं तो लोग सोचते हैं कि यह काम खुद नहीं कर रहे हैं, हमसे यह करवाया जा रहा है।

अपने विरोधियों के बारे में वो कहते हैं, उन्हें तो विरोध करना ही है। जो लोग कहते थे कि दीप सिद्धू के पांव उखड़ जाएंगे, आज उनके पास इसका जवाब नहीं है। अमृतपाल सिंह कहते हैं कि पुराने संगठन नए लोगों, खासकर स्वतंत्र विचारों को जगह नहीं देते।

अकाली दल को लेकर क्या बोले अमृतपाल?
अकाली दल के बारे में उनका कहना है कि अकाली दल सिख पंथ का है और इसे पंथ को लौटा देना चाहिए। वो मानते हैं कि सिख पंथ किसी ख़ास दल की पहचान का मोहताज नहीं है। अमृतपाल कहते हैं, जो पुरुष देश में अपनी प्रतिष्ठा खो देते हैं, उन्हें फिर से सेवा के मार्ग पर चलना चाहिए और कम से कम पाप की क्षमा मांगनी चाहिए।

वो कहते हैं कि अगर लोग वे सोचते हैं कि दुनिया मूर्ख है और पंथ कुछ नहीं समझता, तो हमें उस पर आपत्ति है।वो कहते हैं, अकाली दल अपने आप में कोई पंथ नहीं है और न कोई अकेला परिवार अकाली दल है। अगर वे पछतावा करते हैं और तो हम मानेंगे कि उन्होंने जो कुछ किया इसका उन्हें पछतावा है।

मीडिया से बात करते हुए अमृतपाल ने कहा, सिख संप्रभुता संभव है। हम इसका समर्थन करते हैं। सिख होमलैंड की दिशा में सबसे बड़ी बाधा इसकी मांग को लेकर दिखाई जाने वाली वर्जना है। इस बार में एक झूठी बहस चलाई गई है कि सिख अलग होकर नहीं चल सकते और वो अपने बूते अपना होमलैंड नहीं चला पाएंगे।

अमृतपाल और ओवैसी की तुलना
अमृतपाल सिंह अपने बयानों की वजह से विरोधियों के निशाने पर रहते हैं। उनके बयानों और उनके दुबई से जुड़ाव को लेकर सोशल मीडिया पर तरह-तरह की चर्चाएं होती रहती हैं। उनके आलोचक उनकी तुलना एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी से करते हैं।

उनका कहना है कि जैसे ओवैसी अपने तीखे बयानों से ध्रुवीकरण करते हैं और इसका राजनीतिक फायदा बीजेपी तक पहुंच जाता है, ठीक उसी तरह अमृतपाल सिंह भी अपने बयानों से पंजाब में ध्रुवीकरण कर रहे हैं और इसका फायदा भाजपा को ही हो रहा है।

ओवैसी से तुलना किए जाने के बारे में अमृतपाल का कहना है कि ओवैसी अपने हर काम में राजनीति को सबसे आगे रखते हैं। वो कहते हैं, उनके लिए राजनीति सर्वोपरि है लेकिन हम कभी भी चुनावी राजनीति में शामिल नहीं होंगे। हमारे लिए धर्म सर्वोपरि है।

कथावाचक बाबा बंता सिंह ने कुछ दिन पहले भिंडरांवाले का उदाहरण देते हुए कहा, आजकल कुछ लोग हाथ में तीर लेकर फालतू की बातें करते हैं, लेकिन करने को कुछ नहीं है। बाद में उन्होंने यह भी कहा, अभी तक अमृतपाल सिंह पर कोई दाग नहीं लगा है और भगवान न करे किसी सिख पर कभी कोई दाग लगे।

कौन हैं लवप्रीत सिंह?
लवप्रीत सिंह का पूरा नाम लवप्रीत सिंह तूफान है। बीबीसी संवाददाता गुरप्रीत सिंह चावला ने जो जानकारी मुहैया कराई है उसके मुताबिक लवप्रीत किसान परिवार से संबंध रखते हैं। लवप्रीत सिंह तूफान का परिवार गुरसिख है।

वह लंबे समय से सिख संगठनों से जुड़े रहे हैं। लवप्रीत सिंह की अमृतपाल सिंह से मुलाकात 'वारिस पंजाब दे' संगठन के जरिए ही हुई थी। पहले वो संगठन के साथ समर्थक के तौर पर जुड़े और फिर इसके गुरदास इकाई के प्रभारी हो गए।

अजनाला और गुरदासपुर पुलिस ने 18 फरवरी को एक संयुक्त कार्रवाई में लवप्रीत को तिबारी गांव में उनके घर से गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी से 6 दिन ही पहले वह एक बेटे के पिता बने थे। लवप्रीत किसान लहर से भी जुड़े हुए हैं।

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