पांच साल पहले अपनी आंखें खो देने वाले अमित पटेल के लिए अब उनका पालतू कुत्ता किका ही उनकी आंखें बन चुका है। किका सिर्फ उनका गाईड नहीं बल्कि उसमें लगे कैमरे से वो अमित के साथ होने वाले भेदभावों को भी रिकॉर्ड कर लेता है।
अमित ने कहा, ''शहर एक डरावनी जगह है। ऐसा लगता है कि किसी ने ट्रैफ़ेल्गर स्क्वायर के बीच में छोड़ दिया है। आप उस सर्कल पर हैं और कहा जा रहा है कि घर जाओ।" 2012 में आंखों की रोशनी खोने के बाद यह अमित की जिंदगी की यह नई हकीकत है। अमित की शादी के 6 महीने बाद ही ऐसा हो गया था।
लंदन की सड़कें अमित के लिए अपरिचित नहीं थीं लेकिन अब किका की आंखों से लंदन को देखते हैं। लेकिन गाइड किका कैमरे से जो फुटेज कैद करता है उसे देखने के बाद पता चलता है कि उन्हें हमेशा शहर में लोगों से मदद नहीं मिलती है।
पटेल कहते हैं, ''वीडियो फुटेज से मेरी लाचारी सामने आती है। किका को लोगों के बैगों से चोट का सामना करना पड़ता है। वह बहुत प्रताड़ित होता है। एक दिन एक महिला ने मुझे रोक लिया और कहा कि सबके लिए दिक्क़त पैदा करने के लिए मुझे माफ़ी मांगनी चाहिए।''
ऐसे में इस पूर्व डॉक्टर ने एक तरीके की तलाश की। उन्होंने किका के साथ गोप्रो कैमरे को अटैच कर दिया। इसके ज़रिए वह अपनी हर यात्रा को कैमरे में क़ैद करने लगे। पटेल की पत्नी सीमा बाद में इन वीडियो फुटेज की समीक्षा करती हैं और देखती हैं कि कहां किसने कैसे व्यवहार किया।
इस फुटेज की ज़रिए ही लंदन ट्रेन स्टेशन पर एक बदलाव करना पड़ा। पटेल ने याद करते हुए कहा कि मैंने मदद के लिए आग्रह किया था लेकिन कोई नहीं आया। वीडियो से साफ़ पता चल रहा है कि पटेल के चारों तरफ़ स्टाफ़ के कई लोग खड़े हैं।
अमित ने कहा, ''आख़िर में एक स्टाफ सदस्य आया और उसने कहा कि माफ़ कीजिएगा, मैं आपको देख नहीं पाया था। मुझे यह सुनकर बहुत बुरा लगा। कोई सामने खड़ा हो और फिर कहे कि आपको देखा नहीं। इससे मुझे बहुत ग़ुस्सा आया। मुझे लगा कि वह ढकोसला कर रहा है।''
इस वीडियो फुटेज को नेटवर्क रेल के पास भेजा गया। पटेल ने इस मामले में दमदार सबूत पेश किया था जिसके आधार पर एक शिकायत दर्ज की जा सकती थी।
अमित ने कहा, ''सही समय पर कैमरे का होना, आवाज़ का होना और पूरी घटना को पेश करने से लगता है कि मेरे पास कुछ है जिसे लेकर शिकायत कर सकता हूं। मैं बताने की स्थिति में होता हूं कि देखो मेरे साथ क्या हो रहा है कि और इसे ख़त्म किया जाना चाहिए।''
इस वीडियो का असर भी पड़ा और नेटवर्क रेल ने इस मामले की जांच कराई।
एक प्रवक्ता ने कहा, ''हम समझते हैं कि स्टेशन ऐसी जगह है जहां चलने में समस्या आ सकती है इसीलिए हमने अतिरिक्त स्टाफ की नियुक्ति की है ताकि यात्रियों का खयाल रखा जा सके।''
हाल में अपनी आंखों की रोशनी गंवाने वाले अमित के लिए कुछ मिनट भी अकेले रहना घंटो की तरह लग सकता है। अमित ने कहा, ''आंखों की रोशनी गंवाने के बाद एक चीज़ जिसे मैंने नज़दीक से देखा वो है कि अकेलापन क्या होता है। यदि मैं पब्लिक ट्रांसपोर्ट से यात्रा करता हूं तो डरा रहता हूं। आप कोई म्यूजिक नहीं सुन सकते हैं क्योंकि इसे सुनना खतरनाक हो सकता है।"
वो कहते हैं अपनी आंख खोने के बाद इस बात का अहसास बड़ी मजबूती के साथ हुआ कि जो देखने में असमर्थ हैं उनके साथ भेदभाव होता है। अमित जब मेडिकल स्कूल में आख़िरी साल के छात्र थे तब उन्हें पता चला कि वह करिटोकोनस से पीड़ित हैं। इसमें कॉर्निया का आकार बदल जाता है।
आखों में नसें फटने से 48 घंटों के भीतर ही उनकी आंखों की रौशनी अचानक चली गई थी। छह बार उनकी आंखों के कॉर्निया के प्रत्यारोपण की कोशिश की गई लेकिन सफल नहीं रही।