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50 साल का हुआ एटीएम, सोने में ढली पहली मशीन

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, मंगलवार, 27 जून 2017 (11:30 IST)
बैंक ऑफ़ इंग्लैंड के चीफ़ कैशियर ने एटीएम के 50 साल पूरे होने पर कहा है कि अभी दशकों तक लोगों के लिए कैश की ज़रूरत बनी रहेगी। विक्टोरिया क्लेलैंड का कहना है कि हालांकि कागज़ के नोटों और सिक्कों का इस्तेमाल कम हो रहा है लेकिन भविष्य में बैंकों के लिए ये ज़रूरी बने रहेंगे। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन में 94 फीसदी युवा और वयस्क कैश का इस्तेमाल करते हैं।
 
50 साल पहले 27 जून 1967 में दुनिया का पहला एटीएम मशीन लंदन के एन्फ़ील्ड में बार्क्लेज़ बैंक की शाखा में खोला गया था। इसकी स्वर्ण जयंती पर बैंक ने इस मशीन को सोने का एटीएम बना दिया है। क्लेलैंड का कहना है कि पैसों के लेनदेन के लगभग आधे से अधिक मामलों में कैश का इस्तेमाल किया जाता है और किसी दुकान के लिए यह अहम होता है।
 
बार्क्ले में कस्टमर एक्सपीरिएंस के प्रमुख राहील अहमद कहते हैं, "हाल के सालों में डिजिटल बैंकिंग और कार्ड के ज़रिए पैसों का भुगतान करने का चलन बढ़ा है, लेकिन इसके बावजूद रोज़मर्रा की ज़िंदगी में कैश अभी भी ज़रूरी है चाहे वो राशन खरीदना हो या कॉफ़ी लेना।"

वो कहते हैं, "हमें खुशी है कि इतिहास का सबसे पहला कैश मशीन बनाने में बार्क्लेज़ की भूमिका थी।"
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1967 में बार्क्लेज़ और स्कॉटिश निवेशक जॉन शेफ़र्ड बैरॉन की कोशिशों से पहले एटीएम मशीन लगाने संबंधी करार हुआ थी। जॉन शेफ़र्ड बैरॉन ने 2007 में बीबीसी को बताया, "मैं सोच रहा था कि ब्रिटेन या फिर दुनिया के किसी और कोने में मेरा अपना पैसा पाने का कोई तो तरीका होगा। मैं चॉकलेट देने वाली मशीन के बारे में सोच रहा थि जिसमें चॉकलेट की बजाय पैसा हो।" 2010 में जॉन शेफ़र्ड बैरॉन की मौत हो गई थी।
 
सबसे पहले लगाए गए कुछ एटीएम के सफल काम नहीं कर पाए। स्विट्ज़रलैंड के ज्यूरिख़ में लगाए गए एटीएम में एक रहस्यमयी खराबी आई। बाद में पता चला कि पास से गुज़र रहे दो ट्रामलाइन की तारें इस मशीन के काम को प्रभावित कर रही थीं। आज के ब्रिटेन में लगभग सत्तर हज़ार एटीएम मशीनें हैं और 17.6 करोड़ कार्ड्स हैं जिनके ज़रिए कभी भी लोग अपना पैसा निकाल सकते हैं। बीते साल ब्रिटेन में एटीएम से कुल 180 अरब पाउंड कैश निकाला गया।
 
आज के दौर में बैंक एटीएम को ऐसी मशीनें बनाने की कोशिश कर रही हैं जो बैंक के लगभग सारे काम करे। एटीएम निर्माता एनसीआर का कहना है कि रिसर्च से पता चलता है कि बैंक के भीतर किए जाने वाले लेनदेन का अस्सी फीसदी काम एक एटीएम मशीन पर किया जा सकता है।

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