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ब्लॉग: क्यों देखा आपने लड़की को नंगा करने वाला बिहार का वीडियो?

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, बुधवार, 2 मई 2018 (10:57 IST)
- दिव्या आर्य
 
आपके फोन पर भी किसी ग्रुप से ही आया होगा ये वीडियो। वो परिवार वाला ग्रुप शायद नहीं होगा। ना ही बुज़ुर्गों वाला। स्कूल-कॉलेज-ऑफिस के दोस्तों का हो सकता है। उस पर किसी ने 'शेम' लिख कर पोस्ट किया होगा। गुस्सा और दुख भी ज़ाहिर किया होगा।
 
पर अगर वो किसी दोस्त ने भेजा हो या सिर्फ़ मर्दों या सिर्फ़ औरतों के ग्रुप से आया हो तो बस यूंही पोस्ट कर दिया होगा। जैसे पॉर्न की छोटी-छोटी क्लिप पोस्ट की जाती हैं। कोई एक मिनट की, कोई दो मिनट की, कभी तीस सेकेंड की भी।
 
बिहार के सात लड़कों का उस लड़की के कपड़े ज़बरदस्ती फाड़ने वाला वीडियो ऐसे ही शेयर हुआ। जैसे पॉर्न वीडियो होते हैं। मोबाइल की अपनी निजी दुनिया में। जहां ऐसे वीडियो को आसानी से देखा जा सकता है। चुपचाप, फटाफट, कहीं भी बैठे हुए। छोटे-बड़े शहरों-कस्बों-महानगरों में।
 
इंटरनेट सस्ता होने का असर
इंटरनेट के ज़रिए भेजे जाने वाले वीडियो की जानकारी जुटाने और उसका विश्लेषण करने वाली संस्था, 'विडूली' की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ - साल 2016 में भारत में मोबाइल डाटा के दाम तेज़ी से गिरने के बाद पॉर्न वीडियो देखने और शेयर करने की दर में 75 फ़ीसदी उछाल आया है।
 
विडूली के मुताबिक़ क़रीब 80 फ़ीसदी वीडियो छोटे होते हैं और इन्हें देखने वाले 60 फ़ीसदी लोग छोटे शहरों (टीयर-2, टीयर-3 शहर) में रहते हैं। स्मार्टफ़ोन सस्ता हो गया है और 3जी और 4जी के दाम भी गिर गए हैं।
 
बिहार के जहानाबाद में उजाड़ से लगने वाले उस खेत में जो लड़के जमा हुए उनके पास स्मार्टफोन भी था और इंटरनेट पर वीडियो डालने के लिए मोबाइल डाटा भी। लेकिन उनका भेजा वीडियो देखने और शेयर करने की ताकत सिर्फ़ आपके हमारे पास थी।
 
आख़िर कैसे वायरल हुआ वो वीडियो?
क्यों देखा और शेयर किया गया वो वीडियो?
 
उसमें क्या मज़ा है? लड़की के चीखने-चिल्लाने और लड़कों के हंसते हुए कपड़े फाड़ने के वो कुछ मिनट कौन सा रोमांच पैदा करते हैं? हिलते हुए ख़राब क्वालिटी के वीडियो में आंखें गड़ाकर नज़र क्या ढूंढती है? क्या शरीर का कोई अंग देखने का लालच है? या कौतूहल है कि किस हद तक जा पाएंगे लड़के? इस वीडियो को 'वायलेंट' यानी हिंसक पॉर्न कहना शायद ग़लत नहीं होगा।
 
क्या ये वीडियो हिंसक पॉर्न है?
वैसे तो पॉर्न वीडियो में अक़्सर औरत के ख़िलाफ़ हिंसा को ऐसे दिखाया जाता है जिससे ये लगे कि वो इसे पसंद कर रही है। मर्द उसे मारे, ज़बरदस्ती चुंबन ले, उस पर थूके, बाल खींचे वगैरह तो भी वो खुशी खुशी उसके साथ 'सेक्स' करती है।
 
कई लोगों के मुताबिक इसमें कुछ ग़लत नहीं और कई औरतें सचमुच ऐसे बर्ताव को 'सेक्सी' मानती हैं। लेकिन हिंसक पॉर्न अलग होता है। इसमें अगर-मगर की गुंजाइश नहीं। हिंसक या रेप पॉर्न उन वीडियो को कहा जाता है जहां मर्द औरत का बलात्कार करता है।
 
जहानाबाद का मामला हिंसक पॉर्न क्यों नहीं?
पॉर्न के नाम पर ऐसे वीडियो बनाए भी जा रहे हैं और देखे भी जा रहे हैं। सर्च इंजन गूगल पर 'रेप पॉर्न' शब्द डालें तो करोड़ों रास्ते मिल जाते हैं। बाक़ि पॉर्न वीडियो की ही तरह रेप पॉर्न के वीडियो अभिनेताओं के साथ फ़िल्म की तरह बनाए जाते हैं।
 
पर असल ज़िंदगी में होने वाली यौन हिंसा के वीडियो बनाकर भी शेयर किए जा रहे हैं। ठीक उसी तरह मोबाइल पर। जैसे बिहार के जहानाबाद का वीडियो। इस वीडियो पर पुलिस हरक़त में आई और चार लोग गिरफ़्तार हुए पर ज़्यादातर वीडियो सिर्फ़ रोमांच पैदा कर रहे हैं।
 
मोबाइल में सहजता से एक वॉट्सऐप ग्रुप से दूसरे में जगह बना रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय पॉर्न वेबसाइट 'पॉर्नहब' के मुताबिक पॉर्न देखने के लिए कम्प्यूटर के इस्तेमाल की जगह अब लोग मोबाइल को ज़्यादा पसंद कर रहे हैं।
 
वेबसाइट की सालाना रिपोर्ट बताती है कि साल 2013 में 45 फ़ीसदी लोग पॉर्नहब को फ़ोन से देख रहे थे और 2017 में ये आंकड़ा बढ़कर 67 फ़ीसदी हो गया। भारत के लिए ये आंकड़ा 87 फ़ीसदी है।
 
रिपोर्ट के मुताबिक उनकी वेबसाइट पर किसी एक देश से आने वालों में सबसे ज़्यादा बढ़ोत्तरी, 121 फ़ीसदी, भारत से हुई है जहां मोबाइल डाटा सस्ता हो गया है। पॉर्न ख़ूबसूरत हो सकता है। किसी के लिए यौन संबंध के बारे में समझ बनाने का तरीका हो सकता है। किसी के लिए अकेलेपन का साथी हो सकता है।
 
पर अगर हिंसा के वीडियो, रेप पॉर्न की तरह बांटे और देखें जाए तो उससे क्या होता है? दुनिया-भर में हुए कई शोध बताते हैं कि बार-बार हिंसक पोर्न देखने वालों में बलात्कार, यौन हिंसा और 'सेडोमैसोकिज़म' की चाहत बढ़ जाती है। शादी या निजी रिश्तों में झगड़े-परेशानी बढ़ते हैं और यौन संबंधों में खुशी कम हो जाती है। 
 
मेरे पास भी आया बिहार के जहानाबाद का वो वीडियो। दो अलग ग्रुप से। समझदार लोगों के फ़ोन से होकर मेरे फ़ोन में। घिन आई उसे देखकर। और गुस्सा आया उन पर जिन्होंने ये मुझे भेजा। क्या हासिल हुआ इसे बांटकर?
 
इसका जवाब मैं आपको ख़ुद ढूंढने देती हूं।

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