Hanuman Chalisa

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

बीजेपी ने निषाद पार्टी के साथ किया गठबंधन, कितना होगा फ़ायदा?

Advertiesment
हमें फॉलो करें BJP
, शनिवार, 25 सितम्बर 2021 (11:54 IST)
बीजेपी ने शुक्रवार को आधिकारिक घोषणा कर दी कि वो 2022 का उत्तर प्रदेश विधासनभा चुनाव निषाद पार्टी के साथ मिलकर लड़ेगी।
 
दूसरी ओर पिछड़ी जाति राजभर और कुर्मी के वरिष्ठ विधायक लालजी वर्मा और राम अचल राजभर ने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाक़ात की है। दोनों को बहुजन समाज पार्टी से निष्कासित किया जा चुका है और दोनों आधिकारिक तौर पर सपा में शामिल होने को लेकर बातचीत कर रहे हैं।
 
अंग्रेज़ी अख़बार 'द हिंदू' ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि बीजेपी और सपा ग़ैर-यादव पिछड़ी जातियों में अपना समर्थन बढ़ाने को लेकर कोशिशें कर रही हैं।
 
बीजेपी के यूपी प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ़्रेंस की और घोषणा की कि संजय निषाद की निषाद पार्टी और अनुप्रिया पटेल का अपना दल बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने कहा, "2022 में हम पूरी ताक़त के साथ एकसाथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे।"
 
प्रधान के साथ ही प्रेस कॉन्फ़्रेंस में बैठे निषाद कुछ भी नहीं बोले। हालांकि, उन्होंने संकेत दिए हैं कि वो अपने उम्मीदवार को अपनी पार्टी के चिह्न पर उतारना चाहते हैं न कि बीजेपी के चिह्न पर।
 
उनके बेटे प्रवीण निषाद ने 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के टिकट पर संत कबीर नगर से चुनाव जीता था।
 
अख़बार लिखता है कि दूसरी ओर अपना दल निषाद पार्टी के कारण नाराज़ नज़र आ रहा है। अपना दल के इस समय दो संसद, नौ विधायक और एक विधान परिषद सदस्य है।
 
बीजेपी और निषाद पार्टी ने अभी तक सीटों के बँटवारों के लेकर कोई घोषणा नहीं की है। लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अपने दो सहयोगियों के लिए 403 में से 20 सीटें छोड़ी थीं।
 
बीजेपी के यूपी अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि बीजेपी और निषाद पार्टी अगले साल का चुनाव 'योगीजी और मोदीजी के नेतृत्व में पूरी ताक़त के साथ लड़ेगी।'
 
webdunia
सपा में भी शामिल हो सकते हैं ओबीसी नेता
दूसरी ओर समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा है कि वर्मा और राम अचल राजभर के साथ उन्होंने 'शिष्टाचार मुलाक़ात' की थी।
 
वर्मा कुर्मी नेता और बसपा के विधानसभा में नेता थे। वहीं दूसरी ओर राजभर बसपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं और दोनों ही आंबेडकर नगर से पाँच बार के विधायक हैं।
 
अख़बार लिखता है कि हमेशा यादव जाति के समर्थन के आरोप के कारण अखिलेश तेज़ी से ओबीसी से जुड़ी पार्टियों और नेताओं को पार्टी में लाने की कोशिशें कर रहे हैं।
 
सपा ने पश्चिमी यूपी में जाटों के समर्थन वाले राष्ट्रीय लोक दल के नेता जयंत चौधरी, मौर्या-कुशवाहा के समर्थन वाले महान दल के नेता केशव देव मौर्या और संजय चौहान की जनवादी पार्टी (समाजवादी) के नेता नौनिया चौहान के साथ गठबंधन किया है।
 
2017 में बीजेपी ने अपना दल और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले यह गठबंधन टूट गया था। हालांकि, बीजेपी ने सपा-बसपा गठबंधन से निषाद पार्टी को निकालने में सफलता पाई है और निषाद पार्टी को अच्छी-ख़ासी सीटें पाने के लिए काफ़ी मोल-भाव करना पड़ेगा।
 
निषाद के अलावा उससे जुड़ी मल्लाह, केवट, धीवर, बिंद, कश्यप और दूसरी जातियों को अच्छा ख़ासा ग़ैर-यादव वोट बैंक समझा जाता है।
 
साल 2017 में विधानसभा चुनाव के दौरान राजनीतिक परिदृश्य में आई निषाद पार्टी ने ख़ुद को नदियों से जुड़ी हुई पिछड़ी जातियों की आवाज़ कहा था। उनकी मांग थी कि उनकी जाति को अनुसूचित जाति की सूची में दर्ज कराया जाए।
 
2017 में इसने पूर्वी उत्तर प्रदेश की 72 सीटों पर 5।40 लाख वोट हासिल किए थे लेकिन कोई भी सीट जीतने में सफल नहीं हो पाई थी।
 
2018 में निषाद पार्टी ने सपा-बसपा को समर्थन दिया और इसने लोकसभा उप-चुनाव में गोरखपुर और फूलपुर सीटों को जीतने में मदद की। इस दौरान प्रवीण निषाद ने सपा के टिकट पर गोरखपुर सीट को जीत लिया था जिस पर योगी आदित्यनाथ चुनकर आते रहे थे।
 
webdunia
कैप्टन बोले- सिद्धू चाहें तो पार्टी से निकाल दें
मुख्यमंत्री पद छोड़ने के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह कांग्रेस पार्टी और नवजोत सिंह सिद्धू के ख़िलाफ़ मुखर हैं। अब कैप्टन ने पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को चुनौती दी है कि वे पार्टी प्रधान होने के नाते चाहें तो उन्हें कांग्रेस से निकाल सकते हैं।
 
अमर उजाला अख़बार लिखता है कि कैप्टन के इस बयान पर सिद्धू की कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
 
कैप्टन ने दो दिन पहले ही सिद्धू को यह चुनौती दी थी कि वो सिद्धू को किसी भी क़ीमत पर पंजाब का मुख्यमंत्री नहीं बनने देंगे और ज़रूरत पड़ी तो सिद्धू के ख़िलाफ़ चुनाव में मज़बूत प्रत्याशी उतारेंगे।
 
उधर, पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के मंत्रिमंडल के गठन का मामला उलझता जा रहा है। कैबिनेट गठन को अंतिम रूप देने के लिए चन्नी को पार्टी हाईकमान ने 24 घंटे में दूसरी बार दिल्ली बुला लिया है।
 
webdunia
नए नियमों के तहत ट्विटर ने भारत में नियुक्त किए अधिकारी
दैनिक जागरण अख़बार लिखता है कि केंद्र सरकार ने हलफ़नामा दाख़िल कर दिल्ली हाई कोर्ट को बताया है कि ट्विटर ने नए सूचना प्रौद्योगिकी नियमों का अनुपालन करते हुए मुख्य अनुपालन अधिकारी (सीसीओ), निवासी शिकायत अधिकारी (आरजीओ) और नोडल संपर्क व्यक्ति की नियुक्ति कर दी है। इनकी नियुक्ति कंपनी के कर्मचारियों के तौर पर की गई है।
 
हाई कोर्ट में दायर एक याचिका में आरोप लगाया गया था कि ट्विटर नए सूचना प्रौद्योगिकी नियमों का अनुपालन नहीं कर रहा है। इस पर ट्विटर ने हलफ़नामा दायर किया था।
 
10 अगस्त को हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को ट्विटर के हलफ़नामे के जवाब में एक संक्षिप्त हलफ़नामा दायर करने के निर्देश दिए थे।
 
इस पर इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने संक्षिप्त हलफ़नामे में बताया कि ट्विटर ने नियुक्त किए गए तीनों कर्मचारियों के नाम उनको उपलब्ध कराए हैं।
 
साथ ही बताया है कि इनकी नौकरी चार अगस्त 2021 को शुरू हो चुकी है। साक्ष्य के तौर पर ट्विटर ने अनुबंध की प्रति भी मुहैया कराई है।
 
webdunia
दिल्ली हाई कोर्ट ने UAN को आधार से जोड़ने की समयसीमा बढ़ाई
दिल्ली हाई कोर्ट ने कर्मचारियों के भविष्य निधि खाते के यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (UAN) के साथ आधार संख्या को जोड़ने और उसके सत्यापन की समयसीमा बढ़ाकर 31 नवंबर, 2021 कर दी।
 
हिंदुस्तान अख़बार लिखता है कि न्यायाधीश प्रतिभा एम। सिंह ने इस मामले से जुड़ी सुनवाई करते हुए कहा कि इस बढ़ी हुई समयसीमा तक नियोक्ताओं को कर्मचारियों के यूएएन के साथ आधार संख्या जोड़नी होगी।
 
न्यायाधीश ने कहा कि इस दौरान भविष्य निधि जमा करने की अनुमति होगी और कर्मचारियों के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।
 
न्यायाधीश ने 17 सितंबर को जारी अपने आदेश में कहा कि जब तक आधार संख्या को UAN के साथ जोड़ना कानूनी रूप से वैध है या नहीं यह तय नहीं हो जाता है तब तक, आधार के फ़ैसले के मुताबिक, आधार के साथ सत्यापित अथवा प्रमाणित करने में असफल रहने पर कानून के तहत कर्मचारियों को किसी भी लाभ से वंचित नहीं रखा जा सकता।
 
केंद्र सरकार की ओर से 15 जून को जारी सर्कुलर के मुताबिक, 1 सितंबर की समयसीमा रखी गई थी।
 

हमारे साथ WhatsApp पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
Share this Story:

वेबदुनिया पर पढ़ें

समाचार बॉलीवुड ज्योतिष लाइफ स्‍टाइल धर्म-संसार महाभारत के किस्से रामायण की कहानियां रोचक और रोमांचक

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

पाम ऑयल के आयात से मुक्त हो सकेगा भारत