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रातोंरात गर्लफ़्रेंड के नाम लगा दिए 300 होर्डिंग्स

हमें फॉलो करें रातोंरात गर्लफ़्रेंड के नाम लगा दिए 300 होर्डिंग्स
, मंगलवार, 21 अगस्त 2018 (11:30 IST)
- संकेत सबनिस और प्रजाक्ता ढेकले
 
महाराष्ट्र में पुणे के पास पिंपरी-चिंचवाड के युवक की चर्चा थम नहीं रही है। वो अपनी प्रेमिका से इस क़दर माफ़ी मांग रहा है कि शहर के लोग पूरी तरह से चकित हैं।
 
नीलेश खेडेकर ने पिम्पले सौदागर, वाकड और रहतानी में अपनी प्रेमिका से माफ़ी के 300 होर्डिंग्स लगा दी। इसकी रिपोर्ट मीडिया में छपी तो शहर में चर्चा छिड़ गई। हालांकि मनोवैज्ञानिकों का मानना है यह मानसिक गड़बड़ी है।
 
 
विशेषज्ञों का कहना है कि यह लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए किया गया है। इसे लेकर सोशल मीडिया पर भी चर्चा हो रही है। स्थानीय पुलिस का कहना है कि प्रशासन ने इसे गंभीरता से लिया है और इसकी जांच भी शुरू कर दी है।
 
इस मामले की जांच कर रहे पुलिस इंस्पेक्टर सतीश माने का कहना है, ''मराठी अख़बार पधारी में पहली बार इसकी रिपोर्ट छपी। होर्डिंग्स पर लिखा हुआ था कि 'शिवाडे मुझे माफ़ करना।' मैं उस दिन छुट्टी पर था तब भी मैंने जांच का आदेश दे दिया। पुलिस ने जांच में पता लगाने की कोशिश की आख़िर ये होर्डिंग्स किसने लगाई है। होर्डिंग से उस व्यक्ति के नाम का पता लगाना मुश्किल था। ऐसे में हम लोग समझ नहीं पा रहे थे कि किसने ऐसा किया है।''
 
 
सतीश माने कहते हैं, ''हमने सभी दुकानों और प्रेस प्रींटिंग में यह पता करने की कोशिश की कि ऐसा पोस्टर किसने बनाया है। इसी क्रम में पता चला कि आदित्य शिंदे ने इस तरह के पोस्टर बनाए थे। आदित्य शिंदे से पूछताछ के बाद ही हम लोग नीलेश तक पहुंच पाए। उसकी गर्लफ़्रेंड वाकड पुलिस स्टेशन के इलाक़े में रहती है। नीलेश खेडकर ने पूछताछ के दौरान इस बात को स्वीकार किया है कि उसने ये होर्डिंग्स अपनी प्रेमिका को मनाने के लिए लगाई थी।''
 
 
25 साल के नीलेश खेडकर ने अलग-अलग आकार में 300 होर्डिंग अपने दोस्त आदित्य शिंदे के मदद से बनाई थी। पिछले शुक्रवार को ये होर्डिंग्स बनवाई और पूरे इलाक़े में अलग-अलग जगहों पर लगा दी। सतीश माने कहते हैं कि उनका पहला काम ये था कि वो आदमी कौन है और क्यों किया है। उन्होंने कहा, ''मैंने सारी सूचनाएं नगरपालिका को दे दी। अब नगरपालिका के निर्देश पर अगला क़दम उठाया जाएगा।''
 
नीलेश खेडकर कौन है?
25 साल के नीलेश खेडकर पुणे के पास घोरपाडे पेठ के हैं। वो छोटा-मोटा व्यापार करते हैं और साथ में एमबीए भी कर रहे हैं। इस मामले को लेकर नीलेश का कहना है, ''यह मामला अब कोर्ट में विचाराधीन है। ऐसे में इस पर कोई भी टिप्पणी करना ठीक नहीं है। क़ानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही मैं इस पर कुछ कहूंगा।''
 
 
मनोवैज्ञानिक दिक्कत?
आख़िर नीलेश ने ऐसा क्यों किया? उसकी मानसिक स्थिति कैसी थी? बीबीसी मराठी ने जाने-माने मनोवैज्ञानिक डॉ राजेंद्र बारवे से इस पर सवाल पूछा तो उन्होंने कहा, ''यह एक किस्म की मानसिक गड़बड़ी है। आज का युवा वर्ग ख़ुद से अलग राय पसंद नहीं करता है। जिसकी वो चाहत रखता है और वो हासिल नहीं होता है तो उसकी प्रतिक्रिया इसी तरह की आती है। ये सोचते हैं कि अपनी बात थोप दें।''
 
 
डॉ. बारवे कहते हैं कि आज के युवाओं पर फ़िल्मों का असर कुछ ज़्यादा ही है। उन्होंने कहा, ''युवाओं को लगता है कि फ़िल्मी अंदाज़ में सब कुछ किया जाए। उन्हें नहीं पता होता है कि इसका असर क्या होगा।''
 

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