Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

बाल यौन शोषण वीडियो का 'हब' बना यूरोप

हमें फॉलो करें बाल यौन शोषण वीडियो का 'हब' बना यूरोप
, सोमवार, 3 अप्रैल 2017 (12:45 IST)
एक रिपोर्ट के अनुसार, यूरोप बाल यौन शोषण वाली तस्वीरों और वीडियो होस्ट करने वाला ग्लोबल हब बनता जा रहा है। इंटरनेट वॉच फ़ाउंडेशन (आईडब्ल्यूएफ़) की वार्षिक रिपोर्ट में पाया गया है कि दुनिया भर में ऐसे शोषण से जुड़ी 60 प्रतिशत सामग्रियां यूरोप से हैं। इस लिहाज से इसमें 19 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
 
आईडब्ल्यूएफ़ के मुताबिक़, गैरकानूनी सामग्री को होस्ट करने वाले यूरोपीय देशों में नीदरलैंड का स्थान सबसे ऊपर है। संस्था के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुज़ी हार्ग्रीव्ज़ का कहना है, "पिछले सालों के मुक़ाबले स्थिति उलट गई है। उत्तरी अमेरिका की जगह अब यूरोप बाल यौन शोषण की तस्वीरों का सबसे बड़ा होस्ट बन गया है।" आईडब्ल्यूएफ़ ब्रिटेन की संस्था है जो देश के नेटवर्क से ऐसी सामग्रियों को खोजकर हटाता है।
 
बढ़ती मांग : साल 2015 में उत्तरी अमेरिका में क़रीब 57 प्रतिशत वेब पेजों में ऐसी सामग्रियों को पाया जा सकता था जबकि 2016 में ये आंकड़ा गिरकर 37 प्रतिशत हो गया है। संस्था की रिपोर्ट में कहा गया है कि यूरोप में यौन शोषण की सामग्रियों वाले लगभग 34,212 पेज पाए गए। इनमें रूस और तुर्की भी शामिल है।
 
हर्गीव्ज़ के अनुसार, यह बदलाव अमेरिकी उद्योगों द्वारा किए गए बेहतर प्रयासों का नतीजा है जिसने अपराधियों को होस्ट के ऐसे दूसरे ठिकाने तलाशने पर मज़बूर किया जिससे वो ऐसी सामग्री अपलोड और साझा कर सकें।
 
अमेरिका के नेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लाइटेड चिल्ड्रेन (एनसीएमईसी) के उपाध्यक्ष ज़न शेहान का कहना है, "अमेरिकी क़ानूनों के मुताबिक़ जब भी कोई तस्वीर नेटवर्क पर पाई जाती है तो आईएसपी को सूचित करना पड़ता है।"
 
अमेरिका में लगा अंकुश : उनके अनुसार, इस संस्था को अब तक 20 लाख शिकायतें मिल चुकी हैं जबकि 2015 में इनकी संख्या 44 लाख और 2016 में 82 लाख थी। इस काम में सबसे बड़ी मदद, क्लासिफ़िकेशन सिस्टम लागू करने से मिली, जो हर एक सामग्री के लिए एक अलग पहचान निर्धारित करता है।
 
इसकी मदद से पता लगाया जा सकता है कि अपलोड की जाने वाली तस्वीरें या वीडियो शोषण से संबधित तो नहीं हैं। वो कहते हैं कि ये प्रणाली तस्वीरों को और आगे प्रसारित करने से रोककर शोषण पीड़ितों की मदद करती है। 
 
शोषण विरोधी अभियान से जुड़ी पुर्तगाल की सांसद आर्दा जरकेंस का कहना है कि पिछले दो सालों में इस तरह की शिकायतों में इज़ाफ़ा हुआ है। हालांकि उनका कहना है कि पिछले 12 महीनों से यूरोपीय नीतियों में कोई बदलाव नहीं हुआ है और हो सकता है कि इस बदलाव का ये भी एक कारण हो।


हमारे साथ WhatsApp पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
Share this Story:

वेबदुनिया पर पढ़ें

समाचार बॉलीवुड ज्योतिष लाइफ स्‍टाइल धर्म-संसार महाभारत के किस्से रामायण की कहानियां रोचक और रोमांचक

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

ज्ञान का पवित्र मंदिर या डिग्री बेचने का बड़ा व्यवसाय!