Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
Wednesday, 2 April 2025
webdunia

लिपुलेख पर पहली बार बोला चीन, क्या नेपाल को दिया झटका?

Advertiesment
हमें फॉलो करें Government of Nepal

BBC Hindi

, बुधवार, 20 मई 2020 (12:39 IST)
नेपाल की सरकार कोशिश कर रही थी कि वो लिपुलेख विवाद को चीन के पास ले जाएगी लेकिन चीन ने इस पर अपना रुख़ स्पष्ट कर दिया है। भारत ने लिपुलेख से तिब्बत में मानसरोवर तक सड़क बनाई है और नेपाल को इस पर आपत्ति है। नेपाल का कहना है लिपुलेख उसका इलाक़ा है जबकि भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि उसने अपने इलाके में सड़क बनाई है।

नेपाल की आपत्ति पर भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने पिछले दिनों कहा था, हाल ही में पिथौरागढ़ ज़िले में जिस सड़क का उद्घाटन हुआ है, वो पूरी तरह से भारतीय क्षेत्र में पड़ता है। कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने वाले तीर्थयात्री इसी सड़क से जाते हैं।

दरअसल, ये पूरा विवाद उस समय शुरू हुआ जब रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आठ मई को वीडियो लिंक के ज़रिए 90 किलोमीटर लंबी इस सड़क का उद्घाटन किया था। उन्होंने पिथौरागढ़ से वाहनों के पहले काफ़िले को रवाना किया था। सरकार का कहना है कि इस सड़क से सीमावर्ती गांव पहली बार सड़क मार्ग से जुड़ेंगे।

नेपाल पर चीन से सवाल
मंगलवार को चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता शाओ लिजिआन से एक पत्रकार ने रोज़ाना होने वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस पर सवाल पूछा था। पत्रकार ने सवाल किया, भारत ने कालापानी इलाक़े में एक सड़क बनाई है और इस इलाक़े को लेकर नेपाल-भारत में विवाद है।

नेपाल की सरकार ने कड़ा विरोध दर्ज कराया है और कहा है कि भारत नेपाल की संप्रभुता का उल्लंघन कर रहा है। पिछले हफ़्ते भारत के सेना प्रमुख ने मनोहर पर्रिकर इंस्टिट्यूट ऑफ डिफेंस एंड एनालिसिस की ओर आयोजित प्रोग्राम में कहा था कि पूरे विवाद में कोई तीसरी ताक़त शामिल है। आपका इस पर क्या कहना है?

इस सवाल के जवाब में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, कालापानी का मुद्दा भारत और नेपाल का द्विपक्षीय मुद्दा है। हमें उम्मीद है कि यह विवाद दोनों देश आपसी बातचीत के ज़रिए सुलझा लेंगे और कोई भी पक्ष एकतरफ़ा कार्रवाई करने से बचेगा ताकि मामला और जटिल ना हो।

नेपाली प्रधानमंत्री का बयान
नेपाली अख़बार काठमांडू पोस्ट के अनुसार नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने संसद में मंगलवार को कहा था कि वो लिपुलेख मुद्दे को सुलझाने के लिए चीन से बातचीत कर रहे हैं। नेपाली पीएम ने मंगलवार को संसद में कहा, हमारी सरकार के प्रतिनिधि चीन से बात कर रहे हैं।

चीन ने कहा है कि लिपुलेख से मानसरोवर तक की सड़क भारत-चीन के बीच ट्रेड और पर्यटन रूट के लिए है और इससे लिपुलेख के ट्राई-जंक्शन स्थिति में कोई बदलाव नहीं आएगा। भारत और चीन के बीच इसे लेकर 2015 में ही बात शुरू हो गई थी। नेपाल तब से ही इसका विरोध कर रहा है।

भारत के हज़ारों तीर्थयात्री कैलाश मानसरोवर कई रूट से जाते हैं लेकिन लिपुलेख रूट को छोटा बताया जा रहा है। इस रूट से जाने पर कम वक़्त लगेगा। पूरे मामले पर चीन अब तक चुप था लेकिन मंगलवार को उसने पहली बार इस पर टिप्पणी की है।

नया राजनीतिक मैप
सोमवार को ही नेपाल की कैबिनेट ने नया राजनीतिक मैप जारी किया था जिसमें लिम्युधुरा, कालापानी और लिपुलेख को नेपाल में बताया गया है। इन तीनों इलाक़ों को भारत अपना क्षेत्र बताता है। नेपाली पीएम ने मंगलवार को संसद में लिपुलेख के बारे में संसद में कहा है, हम अपनी ज़मीन वापस लाएंगे।

कालापानी, लिपुलेख और लिम्पुयधुरा तीनों नेपाल के हैं और हम इसे वापस लाएंगे। मैं इस मुद्दे पर भारत से बातचीत शुरू करूंगा। ओली ने सत्ता में आने के बाद से कई बार भारत से सीमा विवाद पर बातचीत करने की कोशिश की है लेकिन अभी दोनों देशों के बीच बातचीत शुरू नहीं हो पाई है।

नेपाली मीडिया के अनुसार नेपाल के पूर्व मंत्री और राजनयिक भेख बहादुर थापा ने कहा है कि नेपाल के नए नक्शे से मामला और जटिल होगा। उन्होंने पूछा है कि अब इसके बाद क्या होगा?

थापा ने कहा है, प्रधानमंत्री ओली क्या करना चाहते हैं इस पर कुछ भी स्पष्टता नहीं है। अब दोनों देशों के पास अलग-अलग नक्शे हैं लेकिन इससे कोई समाधान नहीं निकलने जा रहा।
 
नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टरई ने ट्वीट कर कहा है, मैंने संसद में प्रधानमंत्री ओली को तीन घंटे सुना लेकिन मुझे कुछ भी ऐसा नहीं दिखा जिससे लगे कि वो चीज़ों का ठोस समाधान मुहैया करा रहे हैं।

हमारे साथ WhatsApp पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
Share this Story:

वेबदुनिया पर पढ़ें

समाचार बॉलीवुड ज्योतिष लाइफ स्‍टाइल धर्म-संसार महाभारत के किस्से रामायण की कहानियां रोचक और रोमांचक

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

अंफन तूफ़ान आज टकराएगा समुद्र तट से, कितना है ख़तरनाक