सोशल मीडिया पर मध्यप्रदेश के जबलपुर का एक वीडियो वायरल हो रहा है। वीडियो कुछ दिन पहले जबलपुर स्टेशन पर हुई मॉक ड्रिल का है। सोशल मीडिया, ख़ासकर फ़ेसबुक और व्हाट्सऐप पर इसे शेयर किया जा रहा है।
अधिकांश जगह इस वीडियो के साथ जो मैसेज लिखा है, वो ये है, "जब भारतीय रेल, यात्री रेल चलना शुरू करेगी तो बिल्कुल एयरपोर्ट जैसा ही माहौल होगा। रेल यात्री को 4 घंटे पहले स्टेशन पहुंचना होगा। उसके बाद विभिन्न सिक्योरिटी प्वाइंट से गुज़रकर कोच तक छोड़ा जाएगा। आज उसकी मॉक ड्रिल जबलपुर स्टेशन पर की गई है।"
लोगों में ट्रेन सेवाएं कब से शुरू हो रही हैं, इसको जानने को लेकर काफ़ी उत्सुकता है। इस लिहाज़ से ये वीडियो सोशल मीडिया पर ख़ूब शेयर भी हो रहा है।
क्या है वायरल वीडियो में?
ये वीडियो मध्य प्रदेश के जबलपुर स्टेशन का बताया जा रहा है। ये वीडियो 1 मिनट 6 सेकेंड का है। इसमें पीछे से कमेंट्री की आवाज़ भी आ रही है।
देखते ही साफ़ प्रतीत होता है कि वीडियो स्टेशन परिसर के अंदर शूट हुआ है। और इसमें आरपीएफ़ के स्टाफ़ और बाक़ी दूसरे कर्मचारी भी भाग लेते देखे जा सकते हैं।
जो आवाज़ पीछे से सुनाई देती है उसमें सुना जा सकता है, "रेलवे सुरक्षा बल, पश्चिम मध्य रेल जबलपुर फ़ोर्स द्वारा संभवित यात्री ट्रेनों के आरंभ होने को लेकर रेकी की गई जिसके अंतर्गत टिकट लेने के बाद लाल घेरे में पैसेंजर खड़े होंगे। जिसके बाद प्रवेश द्वार पर एक-एक मीटर की दूरी पर पैसेंजर लाइन में खड़े होंगे।"
आगे वीडियो में दिखाया गया है कि सोशल डिस्टेंसिंग का इस दौरान किस तरह से ख़याल रखा जाएगा। कैसे बैग चेक किया जाएगा। आरपीएफ़ उस दौरान कहां और कैसे तैनात होगी।
बैगेज स्कैन करने के बाद कैसे मेन गेट पर लोग जाएंगें, जहां रेलवे का एक कर्मचारी सैनिटाइज़र लेकर खड़ा रहेगा। यहीं पर थर्मल स्क्रीनिंग की व्यवस्था की गई है। फिर हर एक यात्री का रिकॉर्ड मेंटेन किया जाएगा। उसके बाद लोगों को अपने अपने कोच में रवाना किया जाएगा।
हालांकि इसमें कहीं भी यात्रियों को यात्रा के आरंभ होने के 4 घंटे पहले स्टेशन पहुंचने की कोई हिदायत नहीं दी जा रही है।
वीडियो का बांद्रा कनेक्शन
अब लोग इस वीडियो को बांद्रा स्टेशन की घटना से जोड़कर भी देख रहे हैं। 14 अप्रैल को जैसे ही लॉकडाउन बढ़ाने का एलान प्रधानमंत्री मोदी ने किया, कुछ घंटों के बाद ही मुंबई के बांद्रा स्टेशन पर हज़ारों की संख्या में लोगों की भीड़ जमा हो गई।
इनमें से ज़्यादातर लोग प्रवासी मज़दूर थे, जो नौकरी नहीं होने की वजह से रहने खाने की समस्या से परेशान अपने घर जाना चाहते थे। स्टेशन पर जमा होने के पीछे उन ख़बरों को दोषी बताया जा रहा है, जो कुछ मीडिया चैनल पर दिखाई गई है।
इसके बाद एक चैनल के पत्रकार को हिरासत में लिया भी गया, जिसे पूछताछ के बाद छोड़ दिया गया। टीवी चैनल पर चली ख़बर में रेलवे के एक आंतरिक सर्कुलर का हवाला दिया गया, जिसमें प्रवासी मज़दूरों को यात्री ट्रेन चलाने की बात कही गई थी।
सर्कुलर में साउथ सेंट्रल रेलवे ने कुछ जनसाधारण एक्सप्रेस ट्रेन चलाने का एक प्रपोज़ल बनाया था ताकि प्रवासी मज़दूरों को घर भेजने का प्रबंध किया जा सके।
लेकिन वो केवल आंतरिक बातचीत का हिस्सा था। बांद्रा घटना के बाद रेलवे ने इस पूरे मामले पर स्पष्टीकरण देते हुए साफ़ किया कि वो केवल आंतरिक सर्कुलर था। रेलवे ने ऐसी कोई प्लानिंग नहीं की थी।
वीडियो पर रेलवे का पक्ष
इस लिहाज़ से ये वीडियो और भी गंभीर हो जाता है। हमने सच्चाई का पता लगाने के लिए रेलवे से इस बारे में बात की।
जबलपुर पश्चिम मध्य रेल के अंतर्गत आता है। वहां ही चीफ़ पब्लिक रिलेशन ऑफिसर प्रियंका दीक्षित ने बीबीसी को बताया कि ये वीडियो लॉकडाउन पार्ट 1 के दौरान शूट हुआ है।
ये आरपीएफ़ के इंटर्नल अभ्यास का हिस्सा था। इसके बारे में ज़ोन में किसी को कोई सूचना नहीं थी। वीडियो वायरल होने के बाद ही जबलपुर के जीएम को इसकी सूचना मिली है।
उन्होंने साथ में ये भी कहा कि इसके बाद संबंधित अधिकारियों को ऐसा वीडियो शूट ना करने की हिदायत दी गई है। रेल मंत्रालय या ज़ोनल अधिकारियों की तरफ़ से ट्रेन चलाने को लेकर कोई दिशानिर्देश जारी नहीं किया गया है।