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कोरोना वायरस: भविष्य में होने वाली यात्राएं कैसी होंगी?

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BBC Hindi

, शनिवार, 6 जून 2020 (08:16 IST)
शम्सुद्दीन पिछले 40 सालों से टूर गाइड का काम कर रहे हैं। उन्होंने इन सालों में क़रीब 40 हस्तियों को आगरा के ताजमहल का दीदार करवाया है।
 
इनमें ब्रिटेन की मरहूम राजकुमारी डायना भी हैं जिन्हें उन्होंने ताजमहल की सैर करवाई थी। अब चूंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यह साफ़ तौर पर कहा है कि हमें कुछ समय तक कोरोना वायरस के साथ ही जीना पड़ेगा तो शम्सुद्दीन का मानना है कि पर्यटन का व्यवसाय पूरी तरह से बदल जाएगा।
 
उनका कहना है कि आगे लॉकडाउन में ढील मिलने के बाद भी पर्यटन का तौर तरीक़ा आने वाले महीनों और सालों तक वैसा नहीं रह जाएगा जैसा पहले हुआ करता था। अब समूह की बजाए लोग अकेले या फिर जोड़ियों में घूमेंगे।
 
वो कहते हैं, "कल्पना कीजिए कि आने वाले वक़्त में आप ताजमहल के सामने मास्क पहनकर अपनी तस्वीर खिंचवा रहे हैं।"
 
बहुत हद तक गुंजाइश है कि सभी पर्यटक स्थलों और ऐतिहासिक स्थलों पर मास्क पहनकर जाने का प्रोटोकॉल लागू हो। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना अनिवार्य कर दिया जाए इससे फिर पर्यटन स्थलों पर सीमित संख्या में लोग पहुँचेंगे।
 
हवाई यात्रा
हवाई यात्रा मामलों के विशेषज्ञ अश्विनी फडनीस कहते हैं कि इंटरनेशनल एयर ट्रांस्पोर्ट एसोसिएशन (आईएटीए) प्रस्तावित प्रोटोकॉल 'बायोसिक्योरिटी फॉर एयर ट्रांस्पोर्ट: ए रोडमैप फॉर रिस्टार्टिंग एविएशन' रिलीज़ कर चुका है।
 
इसमें अंतरराष्ट्रीय उड़ान भरने वाले सवारियों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया है। ऐसे ही एक प्रोटोकॉल पर भारत का नागरिक उड्डयन मंत्रालय भी काम कर रहा है।
 
जैसे विदेशों में हवाई अड्डों पर सवारियों की स्क्रीनिंग के लिए कम्प्यूटर लगे हुए हैं वैसी ही भारत में भी लगाने की योजना पर काम किया जा रहा है ताकि हवाई अड्डे के अधिकारियों को यात्रियों के नज़दीक जाने से बचाया जा सके।
 
प्रोटोकॉल के मुताबिक वेब-चेक इन तो अनिवार्य होगा ही साथ में सवारियों को प्रिंटेड बोर्डिंग पास भी रखना होगा। इसके अलावा अपने सामान की चेक-इन भी ख़ुद से करनी होगी।
 
अश्विनी फडनीस कहते हैं, "कुछ फ्लाइट्स में सवारी अब एयर होस्टेस के मुस्कुराते हुए चेहरे नहीं देख पाएंगे क्योंकि कुछ एयर लाइन्स कंपनियां अपने क्रू मेंबर के लिए पीपीई अनिवार्य करने पर विचार कर रही हैं।''
 
लेकिन इसी दौरान हम फ़्लाइट्स में बीच वाली सीट पर सवारी बैठने के फ़ैसले को भी देख रहे हैं। पहले यह तय हुआ था कि बीच वाली सीट खाली रहेगी। कई अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में इस नियम का पालन किया जा रहा है। इसमें अमीरात और एयर क़तर शामिल हैं।
 
अश्विनी कहते हैं कि लेकिन फ़्लाइट प्रोटोकॉल में लगातार तब्दीली हो रही है और आने वाले कुछ हफ़्तों और महीनों में हम नया प्रोटोकॉल देख सकते हैं।
 
घरेलू उड़ानों को अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की तुलना में कहीं बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि अलग-अलग राज्यों का अपना प्रोटोकॉल होगा।
 
मसलन अगर दिल्ली से कोई सवारी ऐसे राज्य में जाती है जहाँ कोरोना का संक्रमण उतना नहीं है तो फिर उसके लिए नियम सख़्त होंगे। हो सकता है कि 14 दिनों का क्वारंटीन लॉकडाउन ख़त्म होने के महीनों बाद भी जारी रहे।
 
आईएटीए के निर्देशों के मुताबिक़, आने वाले महीनों में हवाई जहाज़ के अंदर सभी सवारियों के लिए चेहरा ढंककर रखना अनिवार्य होने वाला है। केबिन और कैटरिंग सर्विस में भी हम कटौती देख सकते हैं ताकि सवारी और क्रू मेंबर कम से कम संपर्क में आए।
 
फडनीस कहते हैं कि एयरलाइन कंपनियों को अल्ट्रा-वॉयलेट तकनीक की मदद से उड़ान से पहले एयरक्राफ्ट्स को सैनिटाइज़ करने संबंधी निर्देश जारी करने पर विचार किया जा रहा है।
 
मंत्रालय के कुछ सूत्रों का कहना है कि वे सवारियों और क्रू मेंबर्स के लिए अनिवार्य तौर पर चेहरा ढंक के रखने के निर्देश पर विचार कर रहे हैं।
 
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रेल यात्रा
 
ट्रेन में सफ़र करना आने वाले दिनों में बहुत मुश्किल हो सकता है। रेल मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी का कहना है कि भविष्य में एक डिब्बे में और फिर साथ ही साथ प्लेटफ़ॉर्म पर भी सीमित संख्या में सवारियों की इजाज़त होगी ताकि पर्याप्त रूप से फिज़िकल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा सके।
 
ज़्यादातर ट्रेनों से जिनमें थ्री टीयर वाले स्लीपर्स होते हैं इसलिए बीच वाली सीट हटाई जा रही है ताकि यात्रियों के बीच पर्याप्त दूरी बरती जा सके।
 
डिब्बों की अंदरूनी बनावट में इस तरह की तब्दीली लाई जा रही है कि सवारियों को यह पता चल जाए कि शौचालय खाली है कि नहीं और उन्हें लाइन में ना लगना पड़े।
 
हालांकि अभी तक यह साफ़ नहीं हो पाया है कि पैंट्री कार जहाँ खाना पकता है, उसकी सेवा जारी रहेगी या नहीं। अगर वो ऐसा करना जारी रखते हैं तो संभव है कि सिर्फ़ पानी और पैकिंग में उपलब्ध खाने ही देना जारी रखेंगे। हम उस पुराने वक़्त में वापस पहुँच सकते हैं जब यात्री घर से ख़ुद के तकिए और चादर लेकर चला करते थे।
 
फडनीस बताते हैं, ''रेलवे स्टेशन अब एयरपोर्ट की तरह हो जाएंगे। एयरपोर्ट की तरह स्टेशन पर भी उस प्रोटोकॉल का पालन करना होगा जिसके तहत ट्रेन खुलने से चार घंटे पहले आपको स्टेशन पहुँचकर रिपोर्ट करना होगा। स्क्रीनिंग की उन तमाम प्रक्रियाओं से गुज़रना होगा जैसा एयरपोर्ट पर होता है।''
 
हालांकि, रेलवे शौचालय के बाद सैनिटाइज़र उपलब्ध करवाएगी लेकिन आपको अपने साथ लेकर चलना भी अनिवार्य होगा।
 
ट्रेन का परिचालन लॉकडाउन के दौरान पूरी तरह से ठप रहा है। लेकिन अब धीरे-धीरे कुछ ट्रेनें चलनी शुरू हुई हैं। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि जब ट्रेनों का परिचालन पूरी तरह से शुरू हो जाएगा तो फिर नए नियम प्रभाव में आ सकते हैं।
 
राजमार्ग
राष्ट्रीय राजमार्गों की भारत में कोने-कोने तक सामान की सप्लाई पहुंचाने और अंतर-राजीय आवागमन में अहम भूमिका है।
 
इन राजमार्गों के किनारे बने ढाबों का कभी बहुत क्रेज़ हुआ करता था। यहां तक कि महानगरों में रहने वाले लोगों में भी इसे लेकर ज़बरदस्त क्रेज़ होता था। इन राजमार्गों से रोमांस का एहसास भी जुड़ा हुआ है। लेकिन आने वाला वक़्त बिल्कुल अलग होने वाला है।
 
रोड ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के सदस्य राजीव आरोड़ा का कहना है कि "आने वाले दिनों में लोग ढाबे के बाहर खाट लगाकर मस्ती से वक़्त गुज़ारने के बारे में नहीं सोच पाएंगे।"
 
सोशल डिस्टेंसिंग की वजह से कई तरह की पाबंदियों को बरक़रार रखना होगा और कोशिश करनी होगी कि कम से कम लोग आपस में संपर्क में आएं।
 
राजीव बताते हैं, "हो सकता है कि आपने एक कप चाय का ऑर्डर दिया और किसी वेटर के पहुँचाने के बजाए एक लंबे लकड़ी के सहारे आपको चाय सर्व किया जाए। राजमार्गों पर ज़िंदगी पहले जैसी नहीं रहने वाली है।''
 
वो आगे बताते हैं कि ढाबा मालिकों को ट्रक ड्राइवरों और स्टाफ़ के साथ-साथ आम लोगों के लिए भी अलग से कुछ बंदोबस्त करने पड़ेंगे।
 
चूंकि राजमार्ग कई राज्यों से होकर गुज़रते हैं, तो यह स्पष्ट है कि सभी राज्यों की ओर से ढाबा के लिए अलग-अलग तरह के निर्देश जारी किए जाएंगे।
 
महानगरों की ज़िंदगी
अनुज दयाल दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के प्रवक्ता हैं। मेट्रो सेवा फिर से बहाल होने की स्थिति में किस तरह से काम करेगी, इसकी योजना पर वो काम कर रहे हैं।
 
बीबीसी से बातचीत में उन्होंने कहा कि एक सीट छोड़कर बैठने के लिए कहा जाएगा और कुछ लोगों को खड़े-खड़े सफ़र करने को कहा जाएगा।
 
इसका यह मतलब होगा कि मेट्रो के अधिकारियों को दफ़्तर जाने वाले वक़्त में भीड़ से निपटना होगा। मेट्रो के प्रेवश में भी उसी तरह के प्रोटोकॉल का पालन करना होगा जैसे एयरपोर्ट पर करना होता है। अंदर जाते वक़्त फ़िज़िकल डिस्टेंसिंग का पालन करना अनिवार्य होगा। थर्मल स्क्रिनिंग और एक्स-रे बैगेज स्क्रीनिंग जारी रहेंगी।
 
हालांकि इन नए बदलावों की वजह से मेट्रों में डिब्बों की संख्या और उनकी आवाजाही की निरंतरता बढ़ानी होगी। हर कोच के बाहर प्लेटफ़ॉर्म पर सुरक्षा गार्ड इस बात को देखने के लिए होंगे कि कोच में ज़्यादा भीड़ तो नहीं हो रही है।
 
मेट्रो कॉरपोरेशन के अधिकारियों का कहना है कि राजीव चौक जैस भीड़-भाड़ वाले मेट्रो स्टेशन पर यह एक बड़ी चुनौती होगी। इसे कैसे किया जाए इसे लेकर कॉरपोरेशन विचार कर रहा है।
 
यात्रा बीमा
दुबई के इंश्योरेंस बिज़नेस ग्रुप के महासचिव आफ़ताब हसन बताते हैं कि यात्रा बीमा आने वाले वक़्त में यात्राओं का एक हिस्सा होंगी।
 
वो कहते हैं, ''कोरोना के बाद की दुनिया बहुत बदली हुई होगी। आम तौर पर पैसे बचाने के लिए टिकट खरीदते वक्त लोग यात्रा बीमा के विकल्प का चयन नहीं करते हैं। लेकिन अब परिस्थितियां बदल गई हैं। अब यह किसी भी यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होने जा रही है फिर चाहे आप काम के सिलसिले में कहीं जा रहे हों या फिर छुट्टियां मनाने।''
 
आमतौर पर यात्रा बीमा के अंतर्गत महामारियों को कवर नहीं किया जाता है। इसके लिए आपको अतिरिक्त शुल्क देना होगा। लेकिन हसन कहते हैं कि जल्दी ही महामारी का कवरेज भविष्य में होने वाले यात्रा बीमाओं का अनिवार्य हिस्सा हो जाएंगी।
 
शम्सुद्दीन कहते हैं कि जिस भविष्य का हम सामना करने जा रहे हैं उसके बारे में कभी किसी ने भी उम्मीद नहीं की थी।
 
वो कहते हैं, "अगर समय पर वैक्सीन नहीं मिली तो यात्रियों के लिए हर चीज़ बदल जाएंगी। लेकिन अगर वैक्सीन खोज लिया गया तो फिर जल्दी ही हमारी ज़िंदगी पहले की तरह हो जाएगी।"
 
स्टोरी- सलमान रावी, संपादन- निकिता मंधानी, इलस्ट्रेशन - निकिता देशपांडे
 

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