गाय का दूध एक ऐसा आहार है जिस पर पोषण विज्ञानी अलग-अलग राय रखते हैं और इसी कारण वर्षों से इस पर विवाद बना हुआ है। क्या इसे इंसानों के भोजन का हिस्सा होना चाहिए? यह इंसान के लिए कितना स्वास्थ्यवर्धक है?
कई हज़ार साल पहले गाय को पालतू बनाया गया था। तब से दूध और इससे बनी चीजें हमारे भोजन का हिस्सा हैं। कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि 10 हज़ार सालों से यह हमारे खान-पान का हिस्सा रहे हैं। लेकिन कई इसे इंसानों के स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं मानते हैं।
इस विचार का समर्थन करने वाली आवाज़ें तेज़ी से दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींच रही हैं। यही कारण है कि इसकी खपत में भी लगातार गिरावट आ रही है और वह भी बहुत तेज़ी से।
अमेरिका में घटी दूध की खपत
अमेरिका के कृषि विभाग के अनुसार साल 1970 के बाद से देश में दूध की खपत में 40 फ़ीसदी की कमी आई है। कई यह भी मानते हैं कि यह कमी दूध के विकल्पों की वजह से आई है, जैसे कि सोया मिल्क और बादाम मिल्क आदि।
वीगन (शाकाहारी) होने के चलन ने भी इसकी खपत को प्रभावित किया है। वीगन वे लोग होते हैं जो मांस और पशुओं से जुड़े किसी भी तरह के खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करते हैं। इनमें दूध और अंडे भी शामिल होते हैं।
इसके अलावा दुनिया की क़रीब 65 फ़ीसदी आबादी में लैक्टोज़ (दूध में पाया जाने वाला शुगर) को पचाने की सीमित क्षमता होने के कारण भी खपत गंभीर रूप से प्रभावित हुई है।
अब सवाल यह उठता है कि दूध स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है या इसके विपरीत, इससे शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों से बचने के लिए इसका इस्तेमाल रोकना चाहिए?
कितना स्वास्थ्यवर्धक है दूध?
पहले इस पर बात करते हैं कि दूध इंसानों के लिए कितना स्वास्थवर्धक है। ब्रिटेन की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) के अनुसार गाय का दूध और उससे बनी चीजें, जैसे पनीर, दही, मक्खन बड़ी मात्रा में कैल्शियम और प्रोटीन प्रदान करते हैं, जो संतुलित आहार के लिए ज़रूरी हैं।
अमरीका के न्यूट्रिशनिस्ट डोनल्ड हेंसरड बताते हैं कि कैल्शियम और प्रोटीन के अलावा दूध में कई तरह के विटामिन पाए जाते हैं। यह विटामिन ए और डी का बेहतर स्रोत है।
वो समझाते हैं, "आपको यह स्पष्ट करना ज़रूरी है कि गाय का दूध पौष्टिक और स्वास्थ्य के फायदेमंद है लेकिन शायद यह उतना आवश्यक नहीं है जितना वर्षों से बताया गया है।"
ब्रिटिश न्यूट्रिशन फाउंडेशन के मुताबिक़, बच्चों और बड़ों को जितनी मात्रा में आयरन, कैल्शियम, विटामिन, ज़िंक और आयोडीन की ज़रूरत होती है, वह उनका खाना पूरा नहीं कर पाता है। और दूध में यह सबकुछ पाया जाता है।
न्यूट्रिशनिस्ट शार्लोट स्टर्लिंग-रीड ने बीबीसी को बताया कि, "प्राकृतिक दूध के अन्य विकल्पों के साथ समस्या यह है कि उनमें पोषक तत्व प्राकृतिक रूप से नहीं होते हैं। इन पोषक तत्वों को कृत्रिम तरीके से डाला जाता है। इसलिए शायद वे आपको उतना फ़ायदा न पहुंचाए जितने की आप उम्मीद कर रहे हैं।"
गर्भवती महिलाओं के लिए ज़रूरी
प्राकृतिक रूप से उपलब्ध होने वाले दूध व्यायाम करने वालों के लिए फ़ायदेमंद होता है। न्यूट्रिशनिस्ट रेनी मैकग्रेगर ने बीबीसी को बताया, "यह एक संपूर्ण भोजन है, जिसमें कार्बोहाइड्रेड और प्रोटीन का सही अनुपात होता है, जो मांसपेशियों को बढ़ाने में मदद करता है।"
यह बच्चों के लिए कैल्शियम का एक अच्छा स्रोत भी है। गर्भवती महिलाओं को इसे पीने की सलाह दी जाती है क्योंकि यह भ्रूण की हड्डियों के निर्माण और उसके विकास में मदद करता है।
300 मिलीलीटर दूध के एक ग्लास में करीब 350 मिलीग्राम कैल्शियम होता है, जो एक से तीन साल तक के बच्चों की दैनिक ज़रूरत का आधा है। हालांकि, एनएचएस एक वर्ष से कम उम्र के बच्चों को गाय का दूध नहीं पिलाने की सलाह देता है।
अतिरिक्त फ़ैट एक बड़ी समस्या
गाय के दूध की एक बड़ी समस्या यह है इसमें अतिरिक्त फ़ैट होता है यानी वसा कुछ ज़्यादा ही होती है। एनएचएस किशोरों और व्यस्कों को मलाई हटा कर दूध पीने की सलाह देता है।
हेंसरड समझाते हैं, "व्यस्कों के लिए दूध विटामिन और आयरन का एक बेहतर स्रोत है लेकिन यह स्किम्ड होना चाहिए यानी यह वसामुक्त होना चाहिए।" "और आपको पनीर, मक्खन और दही के साथ बहुत सावधान रहना होगा।"
न्यूट्रिशनिस्ट बताते हैं कि पनीर में 20 से 40 फ़ीसदी तक वसा होती है। वहीं, मक्खन में न केवल सामान्य वसा होती है बल्कि इसमें सैचुरेटेड फ़ैट और नमक की मात्रा भी ज़्यादा होती है।
हेसरंड कहते हैं, "ये खाद्य पदार्थ शरीर को भारी मात्रा में कैलरी प्रदान करते हैं, जिसकी आपको उतनी ज़रूरत नहीं होती है जितनी बचपन या फिर किशोरावस्था में होती है। इसीलिए यह कई लोगों के लिए मोटापे का कारण बनता है।"
लैक्टोज़ भी एक समस्या है। दूध में पाई जाने वाली यह शुगर आसानी से नहीं पचती।
एलर्जी
गाय के दूध के साथ एक और समस्या यह भी है कि कुछ लोगं में यह एलर्जी का कारण बनता है। कभी-कभार यह समस्या गंभीर रूप धारण कर लेती है। एनएचएस के अनुसार ब्रिटेन में 50 में से एक बच्चा इससे होने वाली एलर्जी का शिकार है।
वर्ल्ड एलर्जी ऑर्गेनाइज़ेशन इसे "एक कष्टदायक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या" बताता है। संस्था के मुताबिक़, दूध से एलर्जी की समस्या लगातार बढ़ रही है।
दूसरी ओर यह भी एक तथ्य है कि इंसानों के अलावा अन्य जीव प्रजातियां व्यस्क होने के बाद दूध नहीं पीती हैं। इसका कारण यह है कि लैक्टोज़ को पचाने के लिए जिस एंजाइम की ज़रूरत होती है, वो बचपन में ज़्यादा बनती है।
दुनिया की आबादी का एक बड़ा हिस्सा लैक्टोज़ को पचाने में सक्षम नहीं है, विशेष रूप से एशिया के लोग। दूध इंसान की पाचन शक्ति को कमज़ोर करता है और अन्य संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता है।
यही कारण है कि कई फ़ायदे होने के बावजूद इससे होने वाली हानियों पर दुनियाभर में चर्चा हो रही है और यही विवाद का कारण भी है।