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इसराइली फौजी जो न यहूदी हैं, न ईसाई !

हमें फॉलो करें इसराइली फौजी जो न यहूदी हैं, न ईसाई !
, शुक्रवार, 22 मई 2015 (10:55 IST)
- डेन सावरे राज़ (बीबीसी ट्रैवल)
 
कई लोगों को ये जानकर हैरानी होगी कि इसराइल में केवल इसराइली और फिलिस्तीनी समुदाय के लोग नहीं रहते। वहां कई अन्य संस्कृतियों के लोग भी रहते हैं और उनमें से एक हैं इसराइली फौज से खासा लगाव रखने वाले और उसमें शामिल होने वाले ड्रयूज।
दरअसल, इसराइल में रहने वाले अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को- ए, बी, सी, डी, ई कह सकते हैं। यानी, अरब, बेडूइन, कॉप्ट, ड्रयूज और इथोपियाई। इसराइल के बारे में जानने वाले लोगों ने बेडूइन के बारे में कुछ न कुछ तो सुना होगा लेकिन ड्रयूज समुदाय पर रहस्य का पर्दा बना हुआ है।
 
ये समुदाय उत्तरी कारमेल, गैलिली और गोलन हाइट्स के इलाके के गांवों में बसता है। ये गांव पहाड़ों में काफी ऊंचाई पर स्थित होते हैं। इन इलाकों में ड्रयूज महिलाओं को सड़क किनारे पिटा ब्रैड, जैतून का तेल, लाबनेह और चिकनाई वाला दही बेचते हुए पाया जा सकता है। सवाल यह है कि ड्रयूज समुदाय के लोग आखिरकार कौन हैं?
 
दोस्ताना समुदाय : इस समुदाय को दोस्ताना माना जाता है। इसराइल के अरब अल्पसंख्यकों में 82.6 फीसदी लोग सुन्नी मुस्लिम हैं, जबकि 9 फीसदी ड्रयूज और 9 फीसदी ईसाई हैं। दुनिया भर में करीब दस लाख ड्रयूज होंगे।
 
इनमें एक लाख चार हजार इसराइल में रहते हैं बाकी सीरिया और लेबनान में। ड्रयूज अरबी बोलते हैं, लेकिन वो मुसलमान नहीं है। वो खुद को एकेश्वरवादी बताते हैं। ड्रयूज धर्म की स्थापना 10वीं शताब्दी में मिस्र में, फातिमा खलीफा के समय के दौरान, उसके नेता अल हाकिम ने की थी। वो मानते थे कि वो भगवान के अवतार हैं। ड्रयूज उनके अनुयायियों का धर्म है, जो शिया से ड्रयूज बन गए। उत्पीड़न से बचने के लिए वे भाग कर लेबनान, सीरिया और इसराइल के पर्वतीय इलाकों में बस गए।
 
इस्लामी और हिंदू साथ-साथ : ड्रयूज समुदाय के लोग इस्लाम, हिंदू और यूनानी दर्शन को मानते हैं। वे यहूदी, ईसाई और इस्लाम धर्मों के पैगम्बरों में भी आस्था रखते हैं। इस समुदाय के लोगों का अपना झंडा भी है जिसे वे ड्रयूज स्टार कहते हैं। पांच रंगों वाला ये झंडा पांच तरह के पैगंबरों का प्रतीक है।
 
इसराइल में ड्रयूज समुदाय के कई पवित्र स्थल हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण है नेबी शुएब, जहां जेथ्रो की कब्र है। जेथ्रो मूसा के ससुर थे और ड्रयूज के मुताबिक एकेश्वरवाद के संस्थापक थे। गैलिली झील पर झांकता गुंबद और उसका अहाता, वही जगह है जहां 1187 में सीरिया और मिस्र के पहले सुलतान सलादीन ने ईसाई धर्म को तलवार के बल पर फैलाने वाले क्रूसेडर्स को शिकस्त दी थी।
 
दूसरी सबसे अहम जगह है साबालान का मकबरा। ये हुर्फीश गांव में स्थित है। यह गांव समुद्री तट पर बसे शहर नाहारिया में है। यहां 11वीं सदी में हुए ड्रयूज समुदाय के पैगंबर जेबूलूम का मकबरा है।
400 पुराना दलियात अल कारमेल अरब गांव कफार यासिफ से 20 किलोमीटर दक्षिण में है स्थित नाबी अल खादर। अंजीर के पड़ों से घिरा यह इलाका खूबसूरत पिकनिक स्पॉट है। यहां ड्रयूज के एक अन्य पैगंबर इलिजाह की कब्र है। ड्रयूज समुदाय के लोगों का सबसे बड़ा केंद्र है दलियात अल कारमेल। इसराइल के सबसे बड़े शहरों में ले एक है दलियात अल कारमेल जो 400 साल पहले बना था।
 
यहां के बाजार में दारबुका ड्रम, शीशा पाइप (हुक्का), बर्तन, आभूषण और कलात्मक चीजें मिलती हैं। शहर के मुख्य बाजार के उत्तरी हिस्से पर ड्रयूज हेरिटेज सेंटर है, जहां के म्यूजियम में ड्रयूज लोगों द्वारा बनाई गई कलाकृतियां, हथियार और बड़ी-बड़ी मूछों वाले कई ड्रयूज पुरुषों की तस्वीरें हैं।
 
सैन्य सेवा में योगदान : ड्रयूज हेरिटेज सेंटर के करीब ही मौजू है बेट ओलिफेंट, जो ब्रिटिश क्रिश्चयन लेखक लारेंस ओलिफेंट का घर हुआ करता था। वे यहां 1882 में बसने आ गए थे। अब उनका घर सैन्य मेमोरियल के तौर इस्तेमाल किया जाता है। यहां उन ड्रयूज सैनिकों की चीजें रखी हुई हैं जो कभी इसराइली डिफेंस फोर्स में शामिल थे।
 
ड्रयूज लोग अपने सैन्य सेवा को लेकर खासा गर्व महसूस करते थे। ड्रयूज समुदाय के नईम अरायदी वो व्यक्ति हैं जिन्हें नॉर्वे में इसराइल का राजदूत नियुक्त किया गया है। अरायदी कहते हैं, 'ड्रयूज समुदाय वाकई में महान समुदाय है। हमारी निष्ठा बेहद मजबूत है। इसराइल के यहूदी नागरिकों समेत मैंने समाज का ऐसा दूसरा वर्ग नहीं देखा जिसकी देश के प्रति ऐसी निष्ठा हो।'
 
फौजी बनने के प्रति बदलता रुझान : लेकिन अब ड्रयूज समुदाय के इसराइली फौज में जाने के प्रति रुझान में बदलाव आता दिख रहा है। 33 साल के स्थानीय ड्रयूज आहेब असद बताते हैं, 'हम लोगों के लिए इसराइल अच्छी जगह है। लेकिन हमारी सैन्य सेवाओं का न तो उचित सम्मान होता है और न ही हमें उसका फायदा मिलता है।'
 
उनके अनुसार उनके कई ड्रयूज दोस्त लैंडस्केपिंग और कनस्ट्रक्शन में कम वेतन की नौकरियां करते हैं और इसराइली समाज में आगे बढ़ने में दिक्कत महसूस करते हैं।
 
परंपरागत है खान-पान : इतिहास भी बताता है कि ड्रयूज न केवल भरोसेमंद होते हैं बल्कि दूसरों का स्वागत करते हैं। असद कहते हैं, 'हो सकता मेरे विचार निष्पक्ष न हो, लेकिन कोई दूसरा समुदाय हमारी तरह से मेहमानों की आवभगत नहीं करता। हम लोगों से प्यार करते हैं।'
 
ड्रयूज लोगों के सेवा सत्कार को देखने के लिए पर्यटक दलियात के निकटवर्ती गांव इसफिया पहुंचते हैं।
वहां 'नेशंस एंड फ्लेवर्स' ग्रुप आपका खाना परंपरागत ड्रयूज परिवार के साथ अरेंज करता है। ज्यादातर ड्रयूज खाना स्थानीय स्तर पर उगाए गए पौधों और जड़ी बूटी से बनाया जाता है। ड्रयूज समुदाय के लोग अपने खूब बड़े और फ्लैट पिटा ब्रैड के लिए भी जाने जाते हैं।
 
गैलिली क्षेत्र की पहाड़ियों में ड्रयूज लोगों के गांव सीरियाई सीमा तक फैले हुए हैं। इनमें सबसे बड़ा गांव बेट जान है, जो माउंट मेरॉन की चोटी पर स्थित है। यह इसराइल में सबसे ऊंची जगह है, समुद्र तट से 940 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है जहां से गैलिली, लेबनान और सीरिया का पूरा नजारा देखा जा सकता है।
 
इसराइली सीमा से सटे सीरिया में भी 9000 ड्रयूज रहते हैं। इनके अपने सेब और चेरी के बाग भी हैं। कई दशकों से अशांत रहे इस इलाके में ये शांति के साथ रहने वाले लोग हैं।
 

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