Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

#UnseenKashmir: कश्मीरियों के लिए ये हैं आज़ादी के मायने

हमें फॉलो करें #UnseenKashmir: कश्मीरियों के लिए ये हैं आज़ादी के मायने
, शुक्रवार, 9 जून 2017 (11:10 IST)
प्यारी सौम्या,
 
मुझे तुम्हारा ख़त मिला और ये जानकर ख़ुशी हुई की तुम्हें सोनमर्ग पसंद आया। अगर तुम यहां आना चाहती हो, तो मुझे तुम्हारी मेहमाननवाज़ी करना बहुत अच्छा लगेगा।
 
मुझे बताया गया है कि इस प्रोजेक्ट में तुम्हारे लिए यह मेरा आखिरी ख़त है पर मैं तुमसे ज़रूर बातचीत करती रहना चाहूंगी।
मैंने आज हमारा पहला खत बीबीसी हिंदी और उर्दू की वेबसाइट पर देखा और मेरी ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं है। मेरे परिवार का रिएक्शन भी अद्भुत था।
 
उन्हें हमारा वीडियो और ख़त दोनों बहुत अच्छे लगे। उम्मीद है तुम्हारे परिवार और दोस्तों को भी ऐसा ही लगा हो। तुम्हारे ख़त में तुमने मुझसे पूछा था कि कश्मीरियों को किस चीज़ से आज़ादी चाहिए।
 
हमें आज़ादी इस दुनिया की क्रूरता से चाहिए, हमे आज़ादी भेद-भाव से चाहिए, हमें आज़ादी उन लोगों से चाहिए जो हमें उनसे कम समझते हैं। मेरा विश्वास करो, हम किसी से कम नहीं हैं, हम उनके समान हैं।
 
मैं समझ सकती हूं कि यह बातें तुम्हें कन्फ़्यूज़ कर रही होंगी। पर अगर तुम्हें सच में कश्मीरियों की आज़ादी की मांग समझनी है तो तुम्हें बॉलीवुड की फिल्म 'हैदर' देखनी चाहिए।
 
उस फ़िल्म में कश्मीर के बारे में जो भी दिखाया गया है वो सच है। सब सच है, बस हमारे इंग्लिश ऐक्सेंट को छोड़ कर। हम 'प्लांटेड' को 'पलांटिड' और 'हर्टेड' को 'हुउररटीड्ड' प्रोनाउन्स नहीं करते। और रही विकास की बात, तो तुम्हें पता होना चाहिए कि कश्मीर उन पहले राज्यों में से था जहां विकास की शुरुआत हुई।
 
यहां भारत का दूसरा 'हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट' बनाया गया था, पढ़ाई-लिखाई के लिए स्कूल, लड़कियों के लिए शिक्षा और वेस्टर्न हॉस्पिटल वगैरह सब 1900 के दशक में बनाए जाने लगे थे। मतलब भारत की आज़ादी से पहले, बाकी सारे राज्यों से पहले। यह सब विकास 'डोगरा' राज में हुआ। मेरा स्कूल, जो कि एक मिशनरी स्कूल है, यह भी महाराजा हरि सिंह के राज में बना था।
 
तो ये समझना चाहिए कि कश्मीर सबसे विकसित राज्य हो सकता था, पर सालों साल बदलती सरकारें, सभी एडमिनिस्ट्रेशन की बॉडीज़ में बढ़ते भ्रष्टाचार, और ऐसे हालातों की वजह से विकास की रफ़्तार धीमी होने लगी। पर ऐसा नहीं है कि हमारा विकास हो नहीं रहा है, बाकी राज्यों की तरह हमारा भी विकास हो रहा है। तुमने मुझसे पूछा था कि लोग इन हालातों से ऊब चुके हैं या नहीं। जैसा मैंने अपने पहले के एक ख़त में भी लिखा था कि हमें इसकी आदत हो गई है।
 
और अगर लोगों को किन्हीं हालातों की आदत हो जाए तो वो उनसे थकते नहीं हैं। मैं इस उम्मीद के साथ यह ख़त ख़त्म कर रही हूं कि हम आगे भी 'पेन पैल्स' बने रहेंगे।
 
बहुत सारे प्यार के साथ
तुम्हारी दोस्त,
दुआ
 
क्या आपने कभी सोचा है कि दशकों से तनाव और हिंसा का केंद्र रही कश्मीर घाटी में बड़ी हो रहीं लड़कियों और बाक़ी भारत में रहनेवाली लड़कियों की ज़िंदगी कितनी एक जैसी और कितनी अलग होगी? यही समझने के लिए हमने वादी में रह रही दुआ और दिल्ली में रह रही सौम्या को एक दूसरे से ख़त लिखने को कहा। सौम्या और दुआ कभी एक दूसरे से नहीं मिले।
 
उन्होंने एक-दूसरे की ज़िंदगी को पिछले डेढ़ महीने में इन ख़तों से ही जाना। श्रीनगर से दुआ का चौथा ख़त, उस पर सौम्या का जवाब आप पढ़ चुके हैं।
 
(रिपोर्टर/प्रोड्यूसर: बीबीसी संवाददाता दिव्या आर्य)

हमारे साथ WhatsApp पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
Share this Story:

वेबदुनिया पर पढ़ें

समाचार बॉलीवुड ज्योतिष लाइफ स्‍टाइल धर्म-संसार महाभारत के किस्से रामायण की कहानियां रोचक और रोमांचक

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

सेना को बदनाम करने का षड्यंत्र