Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

संजय सिंह की गिरफ्तारी अरविंद केजरीवाल के लिए कितनी बड़ी मुश्किल?

हमें फॉलो करें Sanjay Singh_Arvind Kejriwal

BBC Hindi

, शुक्रवार, 6 अक्टूबर 2023 (07:49 IST)
अभिनव गोयल, बीबीसी संवाददाता
पहले सत्येंद्र जैन, फिर मनीष सिसोदिया और अब राज्यसभा सांसद संजय सिंह आम आदमी पार्टी के तीनों वरिष्ठ नेता जेल में हैं। सत्येंद्र जैन को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में, मनीष सिसोदिया और संजय सिंह को दिल्ली के कथित शराब घोटाला मामले में ईडी ने गिरफ्तार किया है।
 
बुधवार, चार अक्टूबर को करीब दस घंटे की लंबी पूछताछ के बाद ईडी ने संजय सिंह को गिरफ्तार किया। इससे पहले 'अमर्यादित व्यवहार' के आरोप में उनके साथ-साथ राघव चड्ढा को भी राज्यसभा से निलंबित किया गया था।
 
ये सिलसिला कहां रुकेगा? अगला नंबर किस नेता का होगा? इसे लेकर पुख्ता तौर पर तो कुछ नहीं कहा जा सकता, लेकिन जानकारों का मानना है कि संकट के बादल इतनी जल्दी छंटने वाले नहीं हैं।
 
ऐसे में सवाल उठता है कि अरविंद केजरीवाल के इर्द-गिर्द घूमने वाली आम आदमी पार्टी की राजनीति पर इसका क्या असर पड़ेगा?
 
क्या इस जांच की आंच केजरीवाल तक भी पहुंचेगी? और हाल ही में संजय सिंह की गिरफ्तारी ने उनकी मुश्किलें कहां तक बढ़ा दी हैं?
 
गिरफ्तारी पर उठते सवाल
संजय सिंह का नाम कथित शराब घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय की चार्जशीट में सामने आया था। ये चार्जशीट पिछले साल दायर की गई थी।
 
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कथित शराब घोटाला मामले में अभियुक्त से गवाह बने दिनेश अरोड़ा के बयान के बाद संजय सिंह की गिरफ्तारी हुई है।
 
दिनेश अरोड़ा, दिल्ली के चर्चित रेस्तरां कारोबारी हैं और उनके हौज़ खास में कैफे भी हैं। वे नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सदस्य भी हैं।
 
रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि दिनेश अरोड़ा ने ईडी को बताया कि संजय सिंह के कहने पर उन्होंने मनीष सिसोदियो को 82 लाख रुपये दिए, जिसका इस्तेमाल दिल्ली विधानसभा चुनावों में किया गया।
 
गिरफ्तारी पर सवाल उठाते हुए वरिष्ठ पत्रकार हेमंत अत्री कहते हैं, “जांच एजेंसियों को न तो मनीष सिसोदिया के यहां से कुछ मिला और न ही संजय सिंह के यहां से। पुलिस अगर किसी छोटे से चोर को भी पकड़ती है तो बयान जारी कर रिकवरी दिखाती है।”
 
इसी तरह की बात वरिष्ठ पत्रकार जयशंकर गुप्ता करते हैं। वे कहते हैं, “जिस तरह से सरकार के विरुद्ध मुखर होकर बोलने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई हो रही है, वह राजनीति से प्रेरित लगती है, क्योंकि किसी के खिलाफ भी ठोस सबूत अभी तक सामने नहीं आया है।”
 
संजय सिंह की गिरफ्तारी के पीछे न्यूज वेबसाइट द वायर के राजनीतिक संपादक अजॉय आशीर्वाद एक पैटर्न देखते हैं।
 
वे कहते हैं, “ज्यादातर मामलों में सरकार ने पारदर्शिता से काम नहीं किया है। एजेंसियां ऑन रिकॉर्ड आकर कुछ भी नहीं कह रही हैंं। एक खास नैरेटिव बनाने के लिए 'जानकारियों' को सूत्रों के हवाले से बाहर किया जा रहा है।”
 
अजॉय कहते हैं, “प्रीलिमिनरी जांच के बाद ही जांच एजेंसियां छापेमारी करती हैं। कुछ सबूत मिलता है तो उसे वेरीफाई करने के लिए ऐसा किया जाता है, लेकिन जिस तरीके से रेड मारी जा रही है, उसे देखकर लगता है कि यह विपक्ष को बदनाम के करने के लिए किया जा रहा है, जिसका चुनाव में फायदा उठाने की कोशिश की जाएगी।”
 
लीडरशिप का संकट
अरविंद केजरीवाल, आम आदमी पार्टी का सबसे बड़ा चेहरा हैं। वे पार्टी के राष्ट्रीय संजोयक भी हैं। उनके नाम पर ही दिल्ली समेत दूसरे राज्यों में चुनाव लड़े जाते रहे हैं। ऐसे में अगर जांच की आंच उन तक पहुंचती है, तो पार्टी का क्या होगा?
 
वरिष्ठ पत्रकार हेमंत अत्री कहते हैं, “आम आदमी पार्टी में सेकेंड लाइन लीडरशिप पूरी तरह से खाली है। अरविंद केजरीवाल के बाद दूसरे नंबर पर मनीष सिसोदिया थे और तीसरे पर संजय सिंह, लेकिन अब ये दोनों नेता भी जेल में हैं, इससे यह संकट और बढ़ गया है।”
 
वे कहते हैं, “इन नेताओं की गैर-मौजूदगी में आप राघव चड्ढा और भगवंत मान का नाम ले सकते हैं, लेकिन राघव को लेकर सवाल है कि क्या इतनी कम उम्र में यह जिम्मेदारी दी जा सकती है? रही बात भगवंत मान की, तो वे खुद पंजाब में केजरीवाल की कृपा से मुख्यमंत्री बने हुए हैं। उनका दिल्ली से कोई लेना-देना नहीं है।”
 
सालों से आम आदमी पार्टी को कवर करने वाले वरिष्ठ पत्रकार कृष्ण मोहन शर्मा कहते हैं कि क्षेत्रीय पार्टियों के साथ अक्सर यह दिक्कत होती है कि वे एक नेता के दम पर चलती हैं। इसमें ममता बनर्जी, अखिलेश यादव, लालू प्रसाद यादव, मायावती और करुणानिधि जैसे तमाम नेताओं की पार्टियां शामिल हैं।
 
कृष्ण मोहन कहते हैं, “आम आदमी पार्टी में इस वक्त जो हायरार्की है, उसे देखते हुए निश्चित तौर पर संजय सिंह की गिरफ्तारी से पार्टी और केजरीवाल को नुकसान होगा। चुनाव जीतने के लिए जो रणनीति बनाई और लागू की जाती थी, उसमें फिलहाल कुछ समय के लिए विराम लग जाएगा।”
 
वे कहते हैं, “जब पहले नंबर के लीडर ध्वस्त होने पर कुछ समय के लिए पार्टी भी ध्वस्त हो जाती है। इससे जनाधार कम होता है और संगठन टूटता है। आज की तारीख में लोग इतना मौकापरस्त हैं कि कोई टूटकर किसी पार्टी में जाएगा तो कोई किसी पार्टी में।”
 
न सिर्फ लीडरशिप बल्कि पार्टी को दूसरे राज्यों में बढ़ाने का जो काम है, उसकी रफ्तार भी कम पड़ सकती है।
 
वरिष्ठ पत्रकार हेमंत अत्री कहते हैं, “आप पार्टी के लिए असली चिंता एक्सपेंशन की है। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में चुनाव में हैं। वरिष्ठ नेताओं की गिरफ्तारी के बाद अब केजरीवाल फ्री होकर इन राज्यों में नहीं घूम पाएंगे, क्योंकि पीछे दिल्ली में कोई खास बैकअप नहीं हैं।”
 
जब 2013 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में एक साल पुरानी आम आदमी पार्टी 70 सीटों में से 28 सीटें जीत कर दूसरे नंबर पर आयी तो उस समय देश में एक सियासी भूचाल सा आ गया था।
 
पार्टी भ्रष्ट व्यवस्था, बदनाम नेताओं और घिसी-पिटी राजनीति से ऊबे हुए लोगों के लिए उम्मीद की एक किरण बन कर आई थी।
 
साल 2015 में राज्य सरकार में मंत्री आसिम अहमद ख़ान पर जब भ्रष्टाचार के आरोप लगे, तो अरविंद केजरीवाल ने उन्हें बाहर तक का रास्ता दिखा दिया था।
 
आम आदमी पार्टी, हमेशा से यह दावा करती रही है कि वह देश की सबसे ईमानदार पार्टी है।
 
वरिष्ठ पत्रकार अजॉय आशीर्वाद कहते हैं, “कांग्रेस को घेरने के लिए बीजेपी के पास परिवारवाद और भ्रष्टाचार जैसे कई मुद्दे हैं, लेकिन आम आदमी पार्टी के पास वैसा भार नहीं है और इसे ही बढ़ाने की कोशिशें लगातार बीजेपी कर रही है। बीजेपी, आप पार्टी की ईमानदार वाली छवि पर दाग लगाना चाहती है।”
 
वे कहते हैं, “बीजेपी के लीडर जब आम आदमी पार्टी के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हैं, तो सबसे पहले वे यही कहते हैं कि ‘दिल्ली की जनता जान चुकी है कि आम आदमी पार्टी के लोग भ्रष्ट हैं’।बीजेपी का मकसद पार्टी को किसी भी तरीके से भ्रष्ट साबित करने का है।”
 
सवाल है कि भ्रष्टाचार के आरोप में आप नेताओं के जेल जाने से क्या पार्टी की राजनीति पर असर पड़ेगा।
 
वरिष्ठ पत्रकार जयशंकर गुप्ता कहते हैं, “मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे। उन्हें जेल भेजा गया। उसके बाद दिल्ली में एमसीडी के चुनाव हुए, बावजूद इसके आप पार्टी को प्रचंड बहुमत मिला। इसलिए मुझे नहीं लगता कि इससे आम आदमी पार्टी की छवि पर कोई खास असर पड़ेगा।”
 
दूसरी तरफ वरिष्ठ पत्रकार हेमंत अत्री कहते हैं कि केंद्र की बीजेपी सरकार आम आदमी पार्टी के कोर पर हमला कर रही है।
 
वे कहते हैं, “आम आदमी पार्टी, ईमानदारी का नाम लेकर सत्ता में आई थी। उनके नेताओं को भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार कर उनके कोर वोटर को तोड़ने की कोशिश की जा रही है।”

हमारे साथ WhatsApp पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
Share this Story:

वेबदुनिया पर पढ़ें

समाचार बॉलीवुड ज्योतिष लाइफ स्‍टाइल धर्म-संसार महाभारत के किस्से रामायण की कहानियां रोचक और रोमांचक

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

चीन की 'ग्रे ज़ोन' रणनीति क्या है, जो हमले से पहले आज़माता है?