समीरात्मज मिश्र, बीबीसी हिंदी के लिए
दिल्ली में ओखला विधानसभा सीट से आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह ख़ान के मेरठ स्थित पैतृक गांव में उनकी जीत का जश्न मनाने पर पुलिस ने ये कहते हुए कई लोगों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की है कि उन लोगों ने बिना अनुमति लिए जुलूस निकाला और धारा 144 का उल्लंघन किया।
वहीं, विधायक अमानतुल्लाह ख़ान के परिजनों और रिश्तेदारों ने पुलिस पर आरोप लगाया है कि उन्होंने उन लोगों को जश्न मनाने और मिठाई बांटने से मना किया और फिर उनके समर्थकों पर लाठीचार्ज किया।
परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने सीएए (नागरिकता संशोधन क़ानून) का प्रोटेस्ट समझ कर उनके साथ बदसलूकी की जबकि वो लोग अमानतुल्लाह ख़ान की जीत की ख़ुशी में मिठाई बांट रहे थे।
आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह ख़ान मूल रूप से मेरठ के परीक्षितगढ़ थाने के अगवानपुर गांव के रहने वाले हैं। दिल्ली की ओखला विधानसभा सीट से उन्होंने 71 हज़ार से भी ज़्यादा मतों से जीत हासिल की है। मंगलवार को उनकी जीत की ख़ुशी में उनके परिजनों और रिश्तेदारों ने मिठाई बांटी और जुलूस निकाला।
मेरठ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय साहनी ने बीबीसी को बताया, "ज़िले में धारा 144 लगी है और जुलूस की अनुमति नहीं ली गई थी। पुलिस ने जुलूस निकालने से मना किया तो कुछ लोगों ने पुलिस के साथ अभद्रता की और मारपीट शुरू कर दी। धारा 144 के उल्लंघन और पुलिसकर्मियों के साथ अभद्रता के आरोप में 13 लोगों के ख़िलाफ़ नामज़द और कुछ अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की गई है।"
एसएसपी अजय साहनी ने इस बात से साफ़ इनकार किया कि पुलिस वालों ने किसी को मारा-पीटा है। एसएसपी के मुताबिक़, मेरठ काफ़ी संवेदनशील शहर है, इसीलिए पुलिस ने बिना अनुमति जुलूस निकालने से मना किया। लेकिन गांव के तमाम लोग और ख़ुद अमानतुल्ला ख़ान के परिजन पुलिस पर कथित तौर पर ज़्यादती के आरोप लगा रहे हैं।
अमानतुल्ला ख़ान के एक रिश्तेदार नूरुल्लाह ख़ान का आरोप है कि पुलिस ने उनसे और घर की कई महिलाओं के साथ न सिर्फ़ मारपीट की बल्कि घंटों उन्हें हिरासत में भी रखा। नामज़द लोगों में नूरुल्लाह ख़ान भी शामिल हैं।
नूरुल्लाह ख़ान के परिवार की ही एक 22 वर्षीय लड़की नजमी कहती हैं, "हम लोग अपनी छत पर थे और मिठाइयां बांट रहे थे। पुलिस वाले आए और घर के मर्दों के बारे में पूछने लगे। हमें नहीं पता था कि वो कहां हैं लेकिन पुलिस वाले हम लोगों को बाल पकड़कर घसीटने लगे, मारते हुए नीचे ले आए और गांव भर में हमें घुमाते रहे। इस दौरान गंदी गालियां भी दे रहे थे।"
घटना के बाद गांव में लोग पुलिस के ख़िलाफ़ काफ़ी आक्रोशित हो गए। तनाव को बढ़ता देख ज़िले के कई अधिकारी भी वहां पहुंचे और लोगों को समझाने की कोशिश की। गांव में अभी भी तनाव का माहौल है और बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात हैं।
गांव के ही रहने वाले एक व्यक्ति रईस अहमद कहते हैं, "हमने आज तक कभी नहीं सुना था कि गांव में भी धारा 144 लगाई जाती है। और यदि लगाई भी गई थी तो ये बताना चाहिए कि कब लगाई गई थी और कब तक लगी रहेगी। इस बारे में गांव में किसी को भी नहीं मालूम था। दूसरे, लोग सिर्फ़ ख़ुशियां ही मना रहे थे और मिठाइयां बांट रहे थे, इसमें क़ानून-व्यवस्था पर क्या असर पड़ रहा था, ये समझ से परे है।"
शाम को समाजवादी पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल भी गांव में लोगों से मिलने पहुंचा। पार्टी के पूर्व ज़िलाध्यक्ष राजपाल सिंह ने दोषी पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग करते हुए एक ज्ञापन भी दिया है। उनके साथ पूर्व विधायक प्रभुदयाल वाल्मीकि और सपा नेता अतुल प्रधान भी मौजूद थे।
स्थानीय लोगों के मुताबिक़, अमानतुल्लाह ख़ान का परिवार क़रीब तीस साल पहले अगवानपुर गांव से दिल्ली चला गया था लेकिन उनका गांव में आना-जाना आज भी जारी है। अमानतुल्लाह ख़ान के परिवार के दूसरे लोग अभी भी यहीं रहते हैं।