भूमिका राय
ऐसा कौन सा पेट दर्द होता है जो हर महीने होता है? यार, ये लड़कियां दवाई की दुकान से काली पन्नी में क्या लेकर जाती हैं? इनको इतनी बार पेशाब क्यों लगती है? कभी-कभी मम्मी अचार देने से मना क्यों कर देती हैं? आजकल दीदी का दिमाग ठीक नहीं है, हर बात पर गुस्सा करती हैं।
अगर आप लड़के हैं तो ऐसे बहुत से सवालों ने आपको लंबे समय तक परेशान किया होगा। मन में सवाल उठे होंगे, लेकिन जवाब के नाम पर झिड़क ही मिली होगी। लड़कियों के लिए मासिक धर्म का पहला अनुभव जहां दर्द भरा, अपने ही शरीर को लेकर चौंकाने वाला होता है वहीं लड़कों के लिए भी यह किसी रहस्य से कम नहीं होता।
पिछले सप्ताह हमने बीबीसी पर लड़कियों से उनकी पहली माहवारी को लेकर अनुभव साझा करने को कहा था। इस सप्ताह हमने लड़कों से पूछा कि उन्हें पीरियड्स के बारे में कैसे पता चला। कैसे उन्हें मालूम चला कि लड़कियां सैनेटरी पैड यूज़ करती हैं।
आयुष
मेरी क्लास के ज़्यादातर लड़के इस बात को लेकर मज़ाक बनाते थे। कोई दोस्त नहीं आता था तो कहते थे कि उसे पीरियड हो गया होगा। एक बार मेरी दोस्त 3-4 दिन नहीं आई, फ़ोन करके पूछा तो उसने बताया कि 'उस वजह से दर्द' हो रहा है। फिर मालूम पड़ा कि क्लास के लड़के, लड़कियों की इसी प्रॉब्लम को लेकर मज़ाक बनाते हैं। पर इस बात से सिहर भी उठा था कि अगर ये प्रॉब्लम मुझे हो जाती तो मम्मी-पापा को कैसे बताता।
विज्ञापन देखकर मन में खलबली
पहली बार व्हिस्पर का ऐड ध्यान से देखा था। पापा से जाकर पूछा कि पापा ये क्या चीज़ है तो पापा ने रूखेपन से बोला, तुम्हारे मतलब की चीज़ नहीं है। उस समय छठी क्लास में था। फिर अपनी क्लास की एक लड़की से पूछा, लेकिन उसने जाकर टीचर से शिकायत कर दी। टीचर ने स्टाफ़ रूम में बुलाकर पूछा, प्रज्ञा से क्या पूछ रहे थे? मैंने कहा, टीवी पर देखा था तो पूछा। फिर उन्होंने समझाया।
मैंने पूछा मुझे क्यों नहीं होता, इस पर बोलीं, पढ़ाई पर ध्यान दो, टीवी कम देखो और मैं स्टाफ़ रूम के बाहर आ गया।
रामानुज दूबे
मैं ट्रेन से सफ़र कर रहा था। मेरे साथ एक 40-45 साल के एक सज्जन भी ट्रेन में थे। उनके साथ उनकी बेटी भी थी। ट्रेन चली तो थोड़ी देर बाद उनकी बेटी ने अपने पिता के कान में कुछ कहा। उसके बाद वो वॉशरूम गई और लौटकर आई तो उसके पिता ने उसे मिडिल बर्थ पर कम्बल ओढ़ाकर सुला दिया।
थोड़ी देर बाद वो फिर बाथरूम जा रही थी तो मुझे उसकी जींस पर खून के धब्बे दिखाई दिए। मैं कुछ कर नहीं सकता था। अगले स्टेशन पर हमारे कंपार्टमेंट में एक महिला आईं। थोड़ी देर बाद मैंने उन्हें सारी बात बताई जिसके बाद उन्होंने उस लड़की की मदद की। लड़की का यह पहला पीरियड था। एक ओर जहां वो डरी हुई थी वहीं उसके पिता को कुछ समझ नहीं आ रहा था।