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डेढ़ साल की हाना के कार चलाने का राज़

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, मंगलवार, 11 अप्रैल 2017 (10:57 IST)
18 महीने की हाना क्राउली एक मस्त मौला बच्ची है, कम से कम हाना के पिता स्टीफ़न तो यही मानते हैं। अगर नॉर्दन आयरलैंड में डबलिन शहर की सड़क पर गाड़ी चलाते हुए हाना की तस्वीर देखें तो यही लगेगा कि किसी भी स्थिति से हाना आराम से निपट सकती है। लेकिन इसके लिए उसके पिता की मदद ज़रूरी है। डबलिन की एम50 सड़क उन ख़तरनाक सड़कों में गिनी जाती है, वहां जाने से बड़े-बड़े घबराते हैं।
 
हाना के 32 साल के पिता स्टीफ़न क्राउली डबलिन में डिज़ाइनर हैं। और अपने फ़ोटो एडिटिंग के हुनर का इस्तेमाल उन्होंने अपनी बेटी की इन तस्वीरों पर किया है जिनमें हाना कई तरह के ख़तरनाक कारनामे करती दिख रही है। हाना की तस्वीरें एडिटिंग के बाद भी एकदम असली लगती हैं लेकिन इसके पीछे भी एक नेक इरादा है।
 
अपनी छोटी सी उम्र में हाना ने बड़ी- बड़ी परेशानियां देखी हैं। हीमोफ़ैगोसाइटिक लिम्फ़ोहिस्टियोसिटोसिस (एचएलएच) नाम की एक जानलेवा और असाधारण बीमारी की शिकार हाना को कई हफ़्तों तक कीमोथेरेपी से गुज़रना पड़ा।
 
हाना के पिता स्टीफ़न बताते हैं, "उसके इलाज में 12 हफ़्तों की कीमोथेरेपी, स्टिरॉएड दवाएं और इम्यूनो सप्रेसेंट्स शामिल थे, इस दौरान उसे अलग-थलग रखा गया था। इसके बाद बारी थी बोन मैरो ट्रांसप्लांट यानी अस्थी मज्जा प्रत्यारोपण की, अस्थी मज्जा उसे किसी अनजान डोनर से मिली थी।''
 
वो कहते हैं, "इस प्रत्यारोपण के बाद एचएलएच ठीक हो गया, हालांकि प्रत्यारोपण की वजह से उसके स्वास्थ्य में कुछ परेशानियां आएंगी।"
 
अपनी परेशानियों के बावजूद बहुत कम ऐसा होता है कि हाना रोती है या फिर चिड़चिड़ी होती है। स्टीफ़न बताते हैं कि हाना को संगीत बहुत पसंद है। वो कहते हैं, "(इलाज के बाद) वो बहुत अच्छा कर रही है। अब वो बाहर जा सकती है, दूसरे बच्चों के साथ रह सकती है।"
 
लेकिन इस सबसे ख़तरनाक स्थितियों में हाना की इन तस्वीरों का क्या संबंध है?
 
स्टीफ़न कहते हैं, ''पहले तो ये सिर्फ़ मज़ाक के लिए था जिससे परिवार वालों और दोस्तों को थोड़ी चिंता में डाला जाए लेकिन अब जब ये तस्वीरें लोकप्रिय हो रही हैं तो इनके ज़रिए लोगों के बीच बोन मैरो डोनर या अस्थी मज्जा दाता बनने के लिए जागरूकता फैलाने का काम कर रहा हूं।''
 
''जितने ज़्यादा लोग इससे जुड़ेंगे, प्रत्यारोपण के लिए इंतज़ार कर रहे लोगों के लिए ख़ुद से मेल खाते डोनर मिलने के मौके बढ़ेंगे और उन्हें गंभीर बीमारियों से उबरने में मदद मिल पाएगी।"

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