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बेटी के संस्कार में न जा सके घायल मां-बाप

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, शनिवार, 4 जुलाई 2015 (13:36 IST)
आभा शर्मा 
 
दोनों हाथों में प्लास्टर, चेहरे और नाक पर चोट के कई निशान और एक आंख अभी पूरी खुल भी नहीं पा रही। जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल के ट्रॉमा वार्ड में भर्ती हनुमान खंडेलवाल की पत्नी शिखा बार-बार अपने बच्चों सौम्य और चिन्नी के लिए पूछ रही हैं।
मित्रों और परिजनों में से किसी की भी हिम्मत उन्हें यह बताने की नहीं है कि इस हादसे में उनकी प्यारी चिन्नी सदा के लिए छिन गई है। उन्हें यही कहकर ढांढस बंधाया जा रहा है कि दोनों बच्चों का दूसरे वार्ड में इलाज चल रहा है।
 
गुरुवार की शाम बड़ी बहन से मिलकर जयपुर से लालसोट लौटते हुए हनुमान खंडेलवाल का पूरा परिवार बहुत खुश था, पर किसे पता था कि गांव के नज़दीक पहुंचकर भी वे घर नहीं पहुंच पाएंगे। मशहूर अभिनेत्री और भाजपा सांसद हेमा मालिनी की कार से हुई ज़बरदस्त टक्कर के बाद वो अपनी दो साल की मासूम बेटी चिन्नी को खो चुके हैं।
 
'कार दिखाई नहीं दी' : कार में सवार चारों परिजन अस्पताल की एक छत के नीचे हैं पर जुदा-जुदा। पांच साल की सौम्य अभी आईसीयू में है तो स्वयं हनुमान खंडेलवाल ट्रॉमा वार्ड की पुरुष इकाई में। पत्नी शिखा और भाभी सीमा दूसरे वार्ड में।
 
साइकल की दुकान चलाने वाले हनुमान के पास बैठे उनके मित्र बताते हैं कि जब उन्होंने दौसा हाईवे से लालसोट के लिए गाडी मोड़ी तब तक उन्हें कोई कार सामने से आते नज़र नहीं आ रही थी। वो आराम से घुमा चुके थे कि एक तेज़ भिड़ंत ने सबको हिला दिया।
 
सीमा ने बीबीसी को बताया कि टक्कर इतनी ज़बरदस्त थी कि वो तो बेहोश हो गईं और उन्हें अस्पताल पहुंचने पर ही होश आया। वे और शिखा देवरानी-जेठानी भी हैं और बहनें भी। बहुत धीमी आवाज़ में वो कहती हैं एक पल में ही हम सब तितर-बितर हो गए हैं।
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एक अन्य रिश्तेदार सुमन ने बताया कि लालसोट में हनुमानजी की मां की हालत की कल्पना की जा सकती है। एक तरफ तो उन्हें अपने बेटे-बहुओं और पोते की चिंता है तो दूसरी तरफ चिन्नी के जाने का ग़म।
 
संस्कार में नहीं पहुंच पाए :  कैसी मजबूरी है कि मां अपनी लाड़ली को आखिरी बार एक नज़र देख भी नहीं पाई और पिता उसे अंतिम विदा देने गांव नहीं पहुंच पाए। यह संस्कार घर के अन्य परिजनों ने किया।
 
हनुमान के भतीजे बीसीए में पढ़ने वाले विशांत भी अपनी छोटी प्यारी बहन को बहुत मिस करेंगे। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने शुक्रवार को अस्पताल जाकर खंडेलवाल परिवार का हाल पूछा और बेहतर इलाज का आश्वासन दिया। शरीर के ज़ख्म तो शायद कुछ समय में भर जाएं पर बेटी की किलकारियों की कमी इस परिवार को सदा खलती रहेगी।

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