Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

कितना ताक़तवर है पाकिस्तान का नया सैन्य ड्रोन शाहपार?

हमें फॉलो करें कितना ताक़तवर है पाकिस्तान का नया सैन्य ड्रोन शाहपार?

BBC Hindi

, सोमवार, 21 नवंबर 2022 (09:14 IST)
-रियाज़ सुहैल (बीबीसी उर्दू, कराची)
 
लंबे समय से पाकिस्तान के पास ऐसे ड्रोन थे, जो सिर्फ़ निगरानी करने के लिए इस्तेमाल होते थे। लेकिन अब पाकिस्तान की हथियार निर्माता कंपनियों ने कराची में जारी हथियारों की प्रदर्शनी में पहली बार ऐसे ड्रोन पेश किए हैं जिनका इस्तेमाल हमला करने के लिए किया जा सकता है।
 
कराची में हथियारों की ये प्रदर्शनी 4 साल बाद हो रही है और इसमें पाकिस्तान की तीनों सेनाओं के प्रमुख शामिल हुए हैं। 18 नवंबर को शुरू हुई इस प्रदर्शनी में चीन और तुर्की के अलावा और भी कई देशों की कंपनियां शामिल हैं।
 
ड्रोन में आत्मनिर्भरता
 
पाकिस्तान के लोगों ने ड्रोन का नाम पहली बार तब सुना था, जब अमेरिकी ड्रोन विमानों ने पाकिस्तान के सरहदी इलाक़ों में चरमपंथियों को निशाना बनाना शुरू किया था। अमेरिका ने अफ़ग़ानिस्तान की सीमा से लगे पाकिस्तानी इलाक़ों में कई ड्रोन हमले किए और इनमें लोग मारे गए।
 
पाकिस्तान ने ड्रोन की दुनिया में पहला क़दम सर्विलांस ड्रोन (जासूसी के लिए ख़ुफ़िया ड्रोन) बनाने की शुरुआत के साथ रखा था। निगरानी के लिए इस्तेमाल होने वाले ये ड्रोन इससे पहले हुई हथियारों की प्रदर्शनी में नज़र आते थे।
 
पाकिस्तान सरकार की कंपनी 'ग्लोबल इंडस्ट्रियल एंड डिफ़ेंस सोल्यूसंश' के सीईओ असद कमाल बताते हैं कि पाकिस्तान सरकार की तरफ़ से उन्हें साफ़ कहा गया था कि जिन तकनीकों के लिए पाकिस्तान विदेश पर निर्भर है, उन्हें धीरे-धीरे पाकिस्तान में विकसित करना चाहिए। इससे विदेशी मुद्रा को बचाया जा सकेगा।'
 
'आइडियाज़' की जो 2018 में आख़िरी प्रदर्शनी हुई थी उसमें बराक़ नाम का सर्विलांस ड्रोन दुनिया के सामने पेश किया गया थ, इसका काम सिर्फ़ वीडियो बनाना और हाई रिज़ोल्यूशन तस्वीरें लेना था।
 
असद कमाल बताते हैं, 'इसके बाद हमने अपने अगले मंसूबे पर काम शुरू किया। हमारी सेना की भी ये ज़रूरत थी कि न सिर्फ़ वो टार्गेट को देख सके, घेराव कर सके और अगर चाहे तो उस को तबाह भी कर सके। इसके बाद हमने रिसर्च की और शाहपर-2 ड्रोन पर काम किया।'
 
असद कमाल बताते हैं कि 'जब आप कोई तकनीक असेंबल करते हैं या दूसरे देश से हासिल करते हैं और कुछ दिनों के बाद वो देश आपको तकनीक देना बंद कर दे तो आपका प्रॉडक्ट अधूरा रह जाता है और फिर न आप इसे ख़ुद इस्तेमाल कर सकते हैं और न ही बरामद कर सकते हैं, लिहाज़ा इस ड्रोन की बुनियादी तकनीक को पाकिस्तान में ही बनाया गया है।'
 
पाकिस्तान में तैयार मारक ड्रोन शाहपर-2
 
पाकिस्तान का इस समय फ्लैगशिप ड्रोन शाहपर-2 है जो अब पाकिस्तान की सेना, नौसेना और वायुसेना में शामिल हो चुका है। सरकार इसे प्रदर्शनी में पेश करके दूसरे देशों को भी बेचना की ख़्वाहिश रखती है।
 
असद कमाल बताते हैं कि 'शाहपर-2' एक हज़ार किलोमीटर तक उड़ान भर सकते हैं और अपने निशाने को भेद सक सकता है। ये ड्रोन सेटेलाइट से संपर्क कर सकता है, दिन हो या रात किसी भी अभियान में कामयाब है। ये ड्रोन अपने निशाने को लेज़र से लॉक करता है और फिर मिसाइल से उसे निशाना बनाता है।
 
शाहपर-2, 120 नॉट्स तक की रफ़्तार से उड़ान भर सकता है। इसकी टेक ऑफ़ रफ़्तार 80 नॉट्स से लेकर 85 नॉट्स तक है। इसकी क्रूज़ रफ़्तार भी 80-85 नॉट्स होती है। इसका रेडियस लगभग 1050 किलोमीटर और डाटा लिंक रेंज 300 किलोमीटर है। ये लड़ाकू ड्रोन उड़ान के दौरान अपने इंजन को दोबारा स्टार्ट कर सकने की क्षमता भी रखता है।
 
ग्लोबल इंडस्ट्रियल एंड डिफेंस सॉल्यूशंस के ड्रोन के अन्य उत्पादों में शाह पर-1, इक़ाब ड्रोन सीरीज़ शामिल हैं, जो अलग-अलग दूरी, गति और हथियार ले जाने में सक्षम हैं।
 
अबाबील ड्रोन सीरीज़
 
पाकिस्तान की ऑर्डनेंस फैक्टरी ने पहले 'अबाबील' नाम का सर्विलांस ड्रोन बनाया था। अब इन ड्रोन को भी मारक बनाया गया है और इन्हें हथियारों से लैस किया गया है। याद रहे कि पाकिस्तान के क़बिलाई इलाक़े में स्थानीय लोगों ने ड्रोन को 'अबाबील' का नाम दिया था।
 
पाकिस्तान ऑर्डनेंस फैक्टरी में ड्रोन यूनिट के प्रमुख रियाज़ अहमद ने बीबीसी को बताया कि अबाबील सीरीज़ के ये ड्रोन स्थानीय स्तर पर तैयार किए गए हैं और ये सभी ड्रोन दिन और रात दोनों में अभियान चलाने में सक्षम हैं।
 
उन्होंने बताया कि अबाबील फ़ाइव ड्रोन 5 किलो तक वज़न उठा सकता है और इस में दो मोर्टार गोले लोड किए जा सकते हैं। एक मोर्टार 16 एमएम और दूसरा 18 एमएम का है। ये 30 किलोमीटर की रेंज में उड़ान भर सकता है और इसकी रफ़्तार 45 किलोमीटर प्रति घंटा है। ये ड्रोन डेढ़ घंटे तक हवा में उड़ान भर सकता है।
 
अबाबील वी-5 को पेश करते हुए उन्होंने कहा कि यह वर्टिकली कहीं भी टेक ऑफ और लैंड कर सकता है। यह एक हाईस्पीड ड्रोन है, जो 120 प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकता है और 2 से 3 घंटे तक निगरानी रख सकता है। इसमें स्टोरेज क्षमता भी है और ये 5 किलोग्राम गोला-बारूद ले जा सकता है, जिसका इस्तेमाल किसी भी लक्ष्य को निशाना बनाने के लिए किया जा सकता है।
 
अबाबील-10 ड्रोन 10 किलोग्राम वज़नी हथियार ले जा सकता है। इसकी रेंज 30 किलोमीटर है और यह 3000 मीटर की ऊंचाई तक उड़ सकता है जबकि एक किलोमीटर की ऊंचाई पर जाने के बाद इसे इंसानी आंखों से नहीं देखा जा सकता है।इन तीनों ड्रोन को एक ऑपरेटर भी चला सकता है।
 
रियाज़ अहमद ने बताया कि इन्हें कंट्रोल करने के लिए 3 विकल्प हैं, पहले में एक पोर्टेबल यूनिट है जो कहीं से भी उड़ान भर सकते हैं, दूसरा डुएल कंट्रोल यूनिट है जिसमें 2 ऑपरेटर होंगे, एक फायरिंग का कैमरा कंट्रोल करेगा और दूसरा नक़्शे की मदद से ड्रोन को ऑपरेट करेगा। तीसरा विकल्प एक बार ही इस्तेमाल करने के लिए है जिस में डबल स्क्रीन है। उस में एक में कैमरे की फ़ीड है और दूसरे में नक़्शे की मदद से दिशा-निर्देश देने की सुविधा है।
 
मौसम और तापमान के मुताबिक
 
पाकिस्तान में बर्फ़ानी इलाक़े भी हैं और रेगिस्तान भी हैं, समंदरी और मैदानी इलाक़े भी। ग्लोबल इंडस्ट्रियल एंड डिफेंस सॉल्यूशन के सीईओ असद कमाल कहते हैं कि जंग न मौसम देखती है और न इलाक़ा।
 
'पाकिस्तान की सेना की ज़रूरत बहुत सख़्त होती है और हमारे पास माइनस डिग्री तापमान से लेकर रेगिस्तान के गरम तापमान तक के इलाक़े मौजूद हैं। लिहाज़ा ऐसा कोई भी हथियार जो हमारी सेना में शामिल हो जाए उसका मतलब है कि वो दुनिया की किसी भी सेना में शामिल हो सकता है।'
 
वो बताते हैं कि इन ड्रोन का परीक्षण देश के उत्तरी इलाकों में भी किया जाता है, बारिश और रेगिस्तान में भी इनका परीक्षण किया जाता है, जिसके बाद ये प्रायोगिक उड़ान पास कर पाकिस्तानी सेना के बेड़े में शामिल हो जाते है।
 
पाकिस्तान ऑर्डनेंस फैक्टरी के प्रवक्ता सलमान खान बताते हैं कि नई तकनीक को 2 तरह से मापा या परखा जाता है। एक तो यह कि इन हथियारों को इस्तेमाल करने वाले की जरूरतें क्या हैं। हथियार बनाने वाले और इस्तेमाल करने वाले दोनों मिलकर उसका मूल्यांकन करते हैं और उसका तकनीकी परीक्षण किया जाता है।
 
इसके अलावा मूल्यांकन इस तरह किया जाता है कि अगर हमें इसे पाकिस्तान के अंदर बनाना है तो वहां किस तरह की मौजूदा तकनीक है, कौन सी नई चीजें खरीदने की जरूरत है।
 
पाकिस्तान के हथियारों को कौन से देश ख़रीदते हैं?
 
हथियारों की इस प्रदर्शनी में तुर्की के ड्रोन भी प्रदर्शित किए गए हैं। ये ड्रोन तुर्की की सेना के अलावा उसके सहयोगी देश भी इस्तेमाल करते हैं। ये किसी एक व्यक्ति को गोली से निशाना बनाने से लेकर मिसाइल लांच तक करने में इस्तेमाल किए जाते हैं। इसके अलावा चीन के रक्षा मंत्रालय की तरफ़ से भी कई तरह के ड्रोन और नए-नए हथियार इस प्रदर्शनी में दिखाए गए। इनमें नए ड्रोन के मॉडल भी हैं। चीन ड्रोन को कई तरह के हथियारों से लैस किया जा सकता है।
 
पाकिस्तान दुनिया के ऐसे देशों में शामिल है, जो सैन्य हथियार बनाता है, बेचता है और ख़रीदता है। ग्लोबल इंडस्ट्रियल एंड डिफेंस सॉल्यूशन के सीईओ असद कमाल कहते कि वो 16 से अधिक देशों में पाकिस्तान में बनाए गए हथियार एक्सपोर्ट कर चुके हैं। इनमें बांग्लादेश, श्रीलंका, मध्य एशिया के देश, मलेशिया, अफ़्रीका में अल्जीरिया, कांगो, दक्षिणी अमेरिकी देश पेरू आदि शामिल हैं।
 
उनके मुताबिक शाहपर-2 के एक्सपोर्ट में भी उनकी दिलचस्पी है, वहीं पाकिस्तान ऑर्डनेंस फैक्टरी का कहना है कि उनकी अबाबिल सीरीज़ का इस्तेमाल जल्द ही पाकिस्तानी सेना में किया जाएगा और कुछ विदेशी प्रतिनिधिमंडलों ने भी इसमें दिलचस्पी दिखाई है। पाकिस्तान ऑर्डनेंस फैक्टरी के प्रवक्ता के मुताबिक पीओएफ़ ने चालीस से अधिक देशों को 30 करोड़ डॉलर से अधिक के हथियार बेचे हैं।(Photo Courtesy: BBC)

Edited by: Ravindra Gupta

हमारे साथ WhatsApp पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
Share this Story:

वेबदुनिया पर पढ़ें

समाचार बॉलीवुड ज्योतिष लाइफ स्‍टाइल धर्म-संसार महाभारत के किस्से रामायण की कहानियां रोचक और रोमांचक

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

COP27: आशाओं और निराशाओं का जलवायु सम्मेलन, गरीब देशों ने की भरपाई की मांग