Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

ईरान ने जानकर अमेरिकी कैंपों को बचाते हुए लगाए निशाने?

हमें फॉलो करें ईरान ने जानकर अमेरिकी कैंपों को बचाते हुए लगाए निशाने?

BBC Hindi

, गुरुवार, 9 जनवरी 2020 (12:05 IST)
(टीम बीबीसी)
 
8 जनवरी 2020 के शुरुआती घंटों में ईरान ने क़रीब 2 दर्जन बैलिस्टिक मिसाइलों से इराक़ में स्थित 2 अमेरिकी कैंपों को निशाना बनाया और कहा कि ये हमले कमांडर जनरल क़ासिम सुलेमानी की हत्या का बदला लेने के लिए किए गए।
 
सुलेमानी बीते शुक्रवार इराक़ के बग़दाद शहर में अमेरिकी ड्रोन हमले में मारे गए थे। उनकी मौत के बाद ईरान ने कहा था कि अमेरिका को इसकी भारी क़ीमत चुकानी होगी। लेकिन ईरान की ओर से दी गई उग्र चेतावनियों के बावजूद अमेरिका का कोई सैनिक आहत नहीं हुआ। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने बयान में इसकी पुष्टि की है। तो क्या ईरान ने जान-बूझकर अमेरिकी कैंपों में तैनात सैनिकों को बचा दिया?
ईरान और अमेरिका ने क्या कहा?
 
ईरान के इस्लामिक रेवॉल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स (IRGC) ने कहा है कि ईरान ने बुधवार को सतह से सतह पर मार करने वाली क़रीब 20 मिसाइलें छोड़ी थीं जिन्होंने इराक़ में अमेरिकी कब्ज़े वाले अल-असद कैंप को निशाना बनाया। अल-असद पश्चिमी इराक़ में अमेरिका का एक मज़बूत कैंप है, जहां से अमेरिका सैन्य अभियान करता है।
 
ईरान की तस्नीम समाचार एजेंसी, जिसे IRGC का क़रीबी कहा जाता है, ने रिपोर्ट की है कि इस हमले में ईरान ने फ़तेह-313 और क़ियाम मिसाइल का इस्तेमाल किया। अमेरिकी सेना इन मिसाइलों को रोकने में नाकाम रही, क्योंकि इन पर 'क्लस्टर वॉरहेड' लगे थे। इन्हीं की वजह से अल-असद में दसियों विस्फोट हुए।
 
अमेरिकी डिफ़ेंस विभाग ने कहा है कि ईरान ने 1 दर्जन से ज़्यादा बैलिस्टिक मिसाइलें छोड़ीं जिन्होंने अर्द्ध स्वायत्त कुर्दिस्तान क्षेत्र में स्थित 2 इराक़ी सैन्य ठिकानों- इरबिल और अल-असद को निशाना बनाया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि अमेरिकी फ़ौज का एक भी सदस्य आहत नहीं हुआ। सैन्य बेस में भी मामूली नुक़सान हुआ है।
 
टीवी पर बयान देते हुए ट्रंप ने कहा कि सावधानी बरतने, सैन्य बलों के फैलाव और वॉर्निंग सिस्टम के सही से काम करने के कारण क्षति नहीं हुई। हालांकि अमेरिका के शीर्ष सैन्य अधिकारी आर्मी जनरल मार्क मिले का मानना है कि हमला वाक़ई जानलेवा था। उन्होंने कहा कि हमारा व्यक्तिगत आकलन यह है कि ईरान ने वाहनों, उपकरणों और विमानों को नष्ट करने और सैन्यकर्मियों को मारने के लिए हमला किया था।
 
मिसाइलों ने वास्तव में किसे हिट किया?
 
इराक़ की सेना ने भी कहा है कि उनका कोई सैनिक हताहत नहीं हुआ। इराक़ी सेना के अनुसार बुधवार सुबह 1.45 से 2.15 के बीच इराक़ में 22 मिसाइलें गिरीं जिनमें से 17 मिसाइलें अल-असद एयर बेस की ओर फ़ायर की गई थीं।
 
मिडिलबरी इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंटरनेशनल स्टडीज़ के लिए व्यावसायिक कंपनी प्लैनेट लैब्स द्वारा ली गईं सैटेलाइट तस्वीरों में दिखाया गया है कि अल-असद एयर बेस में कम से कम 5 ढांचे ध्वस्त हुए हैं। मिडलबरी इंस्टीट्यूट के एक विश्लेषक डेविड श्मर्लर ने बताया है कि सैटेलाइट तस्वीरों में कई ऐसी जगहें दिखाई देती हैं जिन्हें देखकर लगता है कि निशाना बिलकुल ढांचे के केंद्र में लगा।
 
लेकिन यह भी स्पष्ट है कि कुछ मिसाइलें एयर बेस में नहीं गिरीं। इराक़ी सेना के अनुसार अल-असद कैंप को निशाना बनाकर छोड़ी गईं 2 मिसाइलें हीत क्षेत्र के हितान गांव के पास गिरीं और फटी नहीं। इनमें से एक मिसाइल की कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर भी की गई हैं जिनमें मिसाइल 3 टुकड़ों में टूटी हुई दिखाई देती है।
 
इराक़ी सेना का कहना है कि ईरान ने 5 मिसाइलें इरबिल एयर बेस की तरफ भेजी थीं, जो कि उत्तरी कुर्दिस्तान में स्थित हैं। यह फ़िलहाल नहीं कहा जा सकता कि इनमें से कितनी मिसाइलें एयर बेस में गिरीं, पर इराक़ के सरकारी टीवी चैनल के अनुसार इन 5 में से 2 मिसाइलें इरबिल शहर से क़रीब 16 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में स्थित सिडान गांव में गिरीं।
 
कुछ रिपोर्टों में यह भी कहा गया है कि इरबिल कैंप की तरफ भेजी गईं मिसाइलों में से एक मिसाइल इरबिल शहर से 47 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में गिरी थी।
webdunia
क्या ईरान ने जान-बूझकर ऐसा किया?
 
अमेरिका और यूरोपीय सरकारों के सूत्रों ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा है कि उन्हें विश्वास है कि ईरान ने जान-बूझकर ऐसा किया है ताकि कम से कम नुक़सान हो और ईरान ने इस हमले में अमेरिकी कैंपों को काफ़ी हद तक बचा दिया ताकि जो संकट मंडरा रहा है, वो नियंत्रण से बाहर न हो जाए जबकि दोनों देशों के बीच अभी भी समाधान का संकेत मिल रहा है।
 
अमेरिकी न्यूज़ चैनल सीएनएन के पत्रकार जेक टैपर ने पेंटागन के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से ट्वीट किया है कि ईरान ने जानकर ऐसे टारगेट चुने, जहां जान-माल का न्यूनतम नुक़सान हो।
 
अमेरिकी अख़बार 'द वॉशिंगटन पोस्ट' ने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा है कि अमेरिकी अधिकारियों को मंगलवार दोपहर को ही पता चल गया था कि ईरान, इराक़ में स्थित अमेरिकी ठिकानों पर हमला करने का मन बना चुका है, लेकिन यह अंदाज़ा नहीं था कि ईरान किस कैंप पर हमला करेगा?
 
अख़बार ने लिखा है कि अमेरिका को इराक़ से अपने खुफ़िया सूत्रों के ज़रिये यह चेतावनी मिल गई थी कि ईरान कोई स्ट्राइक करने वाला है। अमेरिका में बीबीसी के सहयोगी न्यूज़ चैनल सीबीएस के संवाददाता डेविड मार्टिन ने एक वरिष्ठ रक्षा अधिकारी के हवाले से कहा है कि अमेरिका को हमले से कई घंटे पहले चेतावनी मिल गई थी जिसकी वजह से अमेरिकी सैनिकों को बंकरों में शरण लेना का पर्याप्त समय मिला।
 
रक्षा विभाग के इस सूत्र ने कहा है कि अमेरिका को यह चेतावनी सैटेलाइटों और सिग्नलों के कॉम्बिनेशन की मदद से मिली। ये वही सिस्टम है, जो उत्तर कोरिया के मिसाइल परीक्षणों पर नज़र रखता है। ये अधिकारी इस अटकल से सहमत नहीं थे कि ईरान ने जानकर निशाने ग़लत लगाए।
 
मार्टिन ने कहा कि उन्हें अमेरिकी रक्षा विभाग का कोई ऐसा वरिष्ठ अधिकारी नहीं मिला, जो यह बता सके कि इराक़ के प्रधानमंत्री द्वारा भी अमेरिका को कोई पूर्व-सूचना दी गई थी। इस अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि हमारे सैनिक अपनी जगहें बदलने की वजह से सुरक्षित रहे।
 
बीबीसी के डिफ़ेंस संवाददाता जॉनाथन मार्कस कहते हैं कि वजह डिज़ाइन की थी या फिर ईरानी मिसाइलों के निर्माण की जिसकी वजह से निशाना सटीक नहीं था, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है। हालांकि अमेरिकी सैन्य ठिकानों के ख़िलाफ़ लंबी दूरी की मिसाइलें लॉन्च करना ईरान के लिए जोखिमभरा रास्ता था।
 
बीबीसी संवाददाता ने कहा कि प्रारंभिक सैटेलाइट तस्वीरों को देखकर लगता है कि अल-असद एयर बेस पर ईरानी मिसाइलों ने कई ढांचों को नुक़सान पहुंचाया है, लेकिन अगर इस हमले में सैनिक हताहत नहीं हुए तो इसकी वजह डिज़ाइन में कोई कमी नहीं, बल्कि सैनिकों की किस्मत लगती है।

हमारे साथ WhatsApp पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
Share this Story:

वेबदुनिया पर पढ़ें

समाचार बॉलीवुड ज्योतिष लाइफ स्‍टाइल धर्म-संसार महाभारत के किस्से रामायण की कहानियां रोचक और रोमांचक

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

रूस ने परमाणु हमले की आशंका जताई, भारत ने जारी की एडवाइजरी