दीपक मंडल, बीबीसी संवाददाता
3 दिन पहले अरब सागर में संदिग्ध ड्रोन हमले का शिकार जहाज एमवी केम प्लूटो जब 25 तारीख़ को मुंबई पहुंचा तो भारतीय नौसेना की विस्फोटक डिस्पोजल टीम ने इसकी शुरुआती जांच की। विमान पर लाइबेरिया का झंडा लगा था और इसमें इसके चालक दल में 21 भारतीय एक वियतनामी शामिल था।
जहाज के जिस हिस्से पर हमला हुआ था, उसे और वहाँ पड़े मलबे को देखने के बाद ऐसा लग रहा है कि शायद इस पर ड्रोन से हमला किया गया है। हालांकि इसकी जांच की जा रही है। सऊदी अरब से मंगलुरू आ रहे इस जहाज पर शनिवार को अरब सागर में हमला किया गया था।
हालांकि इस बीच भारतीय नौसेना ने व्यापारिक जहाजों पर हमलों की घटनाओं के बाद अरब सागर के विभिन्न क्षेत्रों में आईएनएस मोर्मुगाओ, आईएनएस कोच्चि और आईएनएस कोलकाता नाम के गाइडेड मिसाइल विध्वंसक तैनात कर दिए। इससे पहले अफ्रीकी देश गैबॉन का झंडा लाकर जा रहे जहाज पर हमला हुआ था। इस पर तेल लदा था।
एम साई बाबा नाम का ये जहाज भारत की ओर आ रहा था और इसमें चालक दल के 25 सदस्य सवार थे। सभी भारतीय थे। रविवार को इस जहाज पर ड्रोन से हमला किया गया था। इससे पहले नॉर्वे के झंडे साथ आ रहे एक जहाज पर हमला हुआ था।
रविवार को गैबॉन के जिस जहाज पर हमला हुआ था उसके बारे में पहले ये ख़बर आई कि भारतीय झंडे के साथ आ रहे जहाज पर हमला हुआ है।
अमेरिका ने ये दावा किया था कि भारतीय जहाज पर हमला हुआ है। लेकिन बाद में भारतीय नौसेना ने स्पष्ट किया है कि इस पर गैबॉन का झंडा लगा था।
अमेरिकी सेना के सेंट्रल कमान का कहना था कि रविवार को गैबॉन का झंडा लगा कर जा रहे जहाज पर हमला हूती विद्रोहियों ने किया था।
वहीं शनिवार को 'एमवी केम प्लूटो' पर हमला ईरान की तरफ से आए ड्रोन से हुआ था। हालांकि ईरान ने कहा था कि भारत आ रहे जहाज पर उसके इलाक़े की ओर से हमला नहीं किया गया।
भारत की प्रतिक्रिया
भारत आ रहे जहाजों पर हमले ऐसे वक्त में हो रहे हैं, जब पहले से ही लाल सागर में यमन के हूती विद्रोहियों के यूएवी और मिसाइल हमले जारी हैं।
ये हमले इसराइल और हमास युद्ध के बाद इसराइल की ओर जाने वाले समुद्री जहाजों पर हो रहे हैं।
अमेरिकी सेंट्रल कमान ने एक ट्वीट कर इन हमलों की गंभीरता की ओर ध्यान दिलाया। उसका कहना था कि ऐसे हमले अंतरराष्ट्रीय समुद्री मार्ग की सुरक्षा के लिए ख़तरे पैदा कर सकते हैं। ये हमले सात अक्टूबर को हमास की ओर इसराइल पर हमले और फिर उसकी ओर से जवाबी कार्रवाई के बाद शुरू हुए थे।
सबसे पहले 21 नवंबर को इसराइली कार्गो जहाज गैलेक्सी लीडर पर हमला हुआ था। यह जहाज भी तुर्की से भारत क की ओर आ रहा था। इसमें सवार 25 लोगों को ईरान के सहयोगी हूती विद्रोहियों ने अपहरण कर लिया था।
उस वक़्त हूती विद्रोहियों के मुख्य वार्ताकार और प्रवक्ता मोहम्मद अब्दुल सलाम ने कहा था कि इसराइल के दुश्मनों के सभी जहाजों का ऐसा ही हश्र होगा। इससे पहले हूती विद्रोहियों के प्रवक्ता ने उन देशों को इसराइली जहाजों से अपने नागरिकों को वापस बुला लेने को कहा था।
कहा जा रहा है हमास का समर्थन कर रहे ईरान की ओर से हूती विद्रोहियों को ड्रोन, बैलेस्टिक और क्रूज मिसाइल चलाने की ट्रेनिंग दी जा रही है।
25 नवंबर को कार्गो जहाज गैलेक्सी लीडर पर हमले के बाद भी तीन दिसंबर तक दो इसराइली जहाजों और एक अन्य व्यापारिक जहाज पर हमला हुआ। और अब पिछले दो-तीन दिनों के अंदर भारत आ रहे दो जहाजों पर हमलों से हालात काफ़ी गंभीर हो गए हैं।
भारत सरकार को अपने समुद्री इलाक़ों की ओर लाइबेरिया और गैबॉन के झंडे के साथ आ रहे विमानों पर हमलों के बाद अरब सागर के विभिन्न क्षेत्रों में आईएनएस मोर्मुगाओ,आईएनएस कोच्चि और आईएनएस कोलकाता नाम के गाइडेड मिसाइल विध्वंसक तैनात करने पड़े।
भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ''भारत की बढ़ती आर्थिक और सामरिक ताक़त ने कुछ ताकतों को ईर्ष्या से भर दिया है। अरब सागर में हाल में हुए एमवी केम प्लूटो पर ड्रोन हमले और कुछ दिन पहले लाल सागर में एमवी साई बाबा पर हमले को भारत सरकार ने बहुत गंभीरता से लिया है। जिन्होंने भी इस हमले को अंजाम दिया है, उन्हें सागर तल से भी ढूंढ निकाल कर सज़ा दी जाएगी।''
लाल सागर की अहमियत
भारतीय नौसेना के एक बड़े अधिकारी ने नाम प्रकाशित करने की शर्त पर बीबीसी हिंदी को बताया,'' हमास और इसराइल का संघर्ष अब अरब सागर की ओर आता दिख रहा है। इस तरह के युद्ध के मोर्चे खुलने से भारत पर बड़ा असर पड़ सकता है।''
''बल्कि ये कहें कि भारत पर असर पड़ने लगा है। यही वजह है कि भारत ने मिसाइल विध्वंसक जहाज तैनात कर दिए हैं। भारत का ज़्यादातर आयात-निर्यात मुंबई, कोच्चि, मेंगलुरु, गोवा और चेन्नई से होकर आगे जाता है। इसलिए भारत के लिए यह स्थिति चिंताजनक है।''
भारत का 80 फीसदी व्यापार समुद्री मार्ग से होता है। इसके साथ ही इसका 90 फ़ीसदी ईंधन समुद्री रास्ते से आता है। ऐसे में समुद्री रास्ते में कोई भी हमला सीधे भारत के कारोबार और इसकी सप्लाई चेन के लिए ख़तरा बन जाएगा।
आज पूरी दुनिया का 12 फ़ीसदी शिपिंग ट्रैफिक लाल सागर और स्वेज नहर से होकर गुजरता है। लाल सागर अदन की खाड़ी में खुलता है और अदन की खाड़ी अरब महासागर खुलती है। स्वेज नहर भूमध्यसागर में खुलती है।
भूमध्यसागर और उसके पीछे पूरा यूरोप है और उसके बगल में अटलांटिक सागर के पीछे उत्तर और दक्षिण अमेरिका। ये व्यापारिक मार्ग की पूरी श्रृंखला है। इसमें कोई भी दिक्क़त पूरे ग्लोबल कारोबार को नुक़सान पहुंचा सकती है।
भारत पर इन हमलों का क्या असर?
भारत और इस रूट के बीच आयात-निर्यात ज्यादातर मुंबई, कोच्चि, मेंगलुरु, गोवा और चेन्नई से होकर सिंगापुर, मलेशिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड वियतनाम जैसे दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के बाद चीन, जापान, कोरिया, ऑस्ट्रेलिया तक जाने वाले सारे जहाज अरब सागर में आते हैं।
पहले ये हिंद महासागर में आते हैं और फिर अरब महासागर में। अरब महासागर से अदन की खाड़ी, लाल सागर और इसके बाद स्वेज नहर और भूमध्यसागर और फिर यहां से डायवर्ट होकर यूरोप और फिर वहां से स्ट्रेट ऑफ जिब्राल्टर से अटलांटिक सागर और फिर अमेरिका में जाता है।
अगर इन पर कोई समस्या आती है तो पूरा रूट चेंज हो जाएगा। इसके बाद पूरे सामान को केप ऑफ गुड होप से लाना पड़ेगा। इससे पूरे कारोबारी रूट की लंबाई 40 फ़ीसदी बढ़ जाएगी।
जाहिर है अब ज्यादा दूरी के लिए ज्यादा ईंधन खर्च करना पड़ेगा और व्यापार की लागतें बढ़ जाएंगी। भारत के लिए ये बड़ा आर्थिक दबाव होगा।
क्या भारत पर दबाव के लिए हो रहे हैं हमले?
पहले इसराइल या इसके कारोबार या सहयोगियों से जुड़े व्यापारिक जहाजों पर हमले हो रहे थे और अब भारत आने वाले जहाजों पर हमले हो रहे हैं।
आखिर भारत की ओर आने वाले जहाजों पर हमले हो रहे हैं। क्या हमास पर इसराइल के हमलों को रोकने के लिए बनाए जाने वाले दबाव को बढ़ाने के लिए ऐसा किया जा रहा है। हूती विद्रोहियों का कहना है कि जब तक हमास पर हमले बंद नहीं होंगे ये हमले होते रहेंगे।
भारतीय नौसेना के इस पूर्व अधिकारी ने कहा, ''इस तरह के युद्ध के मोर्चे खुलने से भारत पर बड़ा असर पड़ सकता है। बल्कि ये कहें कि भारत पर असर पड़ने लगा है। यही वजह है कि भारत ने मिसाइल विध्वंसक जहाज तैनात कर दिए हैं।''
दरअसल हमास और उससे जुड़ी ताक़त इसराइली हमलों को रुकवाने के लिए दबाव डाल रही है। रूस और चीन पहले से इसराइल को हमले रोकने के लिए कर रहे हैं। अब भारत पर दबाव डाला जा रहा है। अगर भारत के हितों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश हुई तो वो चाहेगा कि इसराइल और हमास की जंग बंद हो।
भारत के नेतन्याहू से अच्छे संबंध है और वो इस दिशा में पहल कर सकता है। यही वजह है कि भारत पर दबाव की रणनीति बनाई जा रही है।
भारतीय मिसाइल विध्वंसक जहाजों में कितनी ताक़त
आईएनएस मोरमुगाओ युद्धपोत बनाने की शुरुआत सितंबर 2016 से हुई थी और समंदर में इसका ट्रायल 19 दिसंबर 2021 में हुआ था। इस युद्धपोत में अत्याधुनिक सेंसर लगे हुए हैं जो दुश्मन के हमले का अंदाज़ा लगा सकते हैं और हथियारों से लैस यह दुनिया का सबसे आधुनिक मिसाइल कैरियर है
ये युद्धपोत ज़मीन से हवा में मध्यम दूरी तक मार करने वाली मिसाइलें, ज़मीन से ज़मीन पर मार करने वाली मिसाइल ब्रह्मोस से लैस है।
समंदर के भीतर दुश्मन की पनडुब्बियों को निशाना बनाने के लिए इसमें देश में ही बने टॉरपीडो ट्यूब लॉन्चर और रॉकेट लॉन्चर लगे हैं।
नेवी के अनुसार, ये युद्धपोत परमाणु, बायोलॉजिकल और केमिकल युद्ध की स्थिति के लिए पूरी तरह से तैयार है।
इसमें आधुनिक सर्विलांस रडार सिस्टम लगा है, जो दुश्मन के हमले का सटीक आकलन करने में सक्षम है।
आईएनएस कोच्चि 7500 टन वजन के साथ 30 नॉट्स की स्पीड से चल सकता है। इसमें इस पर 16 सुपरसोनिक ब्रम्होस मिसाइल से लैस है।
इसके अलावा, 76-एमएम की सुपर रैपिड गन और एके-630 भी शामिल हैं। इस पर सी-किंग और चेतक जैसे दो हेलिकॉप्टर भी रखे जा सकते हैं।
ईएनएस कोलकाता 164 मीटर लंबा और 18 मीटर चौड़ा है। इसकी ऊंचाई एक पांच मंज़िली इमारत जितनी है। पहली बार भारतीय नौसेना के किसी युद्ध पोत में थ्री डी रडार इस्तेमाल किया गया है।
ये ब्रह्मोस मिसाइल, 76 एमएम गन, दो रॉकेट लॉन्चर, एंटी-सर्फेस गन, एंटी सबमरीन रॉकेट लॉन्चर से लैस है।सबमरीन डिटेक्टर और चार टॉरपीडो भी मौजूद हैं।
कौन हैं हूती और उनका मक़सद क्या है?
हूती यमन के अल्पसंख्यक शिया ज़ैदी समुदाय का एक हथियारबंद समूह है। इस समुदाय ने 1990 के दशक में तत्कालीन राष्ट्रपति अली अब्दुल्लाह सालेह के कथित भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए इस समूह का गठन किया था।
उनका नाम उनके अभियान के संस्थापक हुसैन अल हूती के नाम पर पड़ा है। वे ख़ुद को 'अंसार अल्लाह' यानी ईश्वर के साथी भी कहते हैं।
2003 में अमेरिका के नेतृत्व में इराक़ पर हुए हमले में हूती विद्रोहियों ने नारा दिया था, “ईश्वर महान है। अमेरिका का ख़ात्मा हो, इसराइल का ख़ात्मा हो। यहूदियों का विनाश हो और इस्लाम की विजय हो।”
उन्होंने ख़ुद को हमास और हिज़्बुल्लाह के साथ मिलकर इसराइल, अमेरिका और पश्चिमी देशों के ख़िलाफ़ ईरान के नेतृत्व वाली प्रतिरोध की धुरी का हिस्सा बताया था।
यूरोपियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ पीस के एक विशेषज्ञ हिशाम अल-ओमेसी कहते हैं कि इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि हूती क्यों खाड़ी से इसराइल की ओर जा रहे जहाज़ों को निशाना बना रहे हैं।
वह कहते हैं, “दरअसल वे अब औपनिवेशकों से लड़ रहे हैं। वे इस्लामिक राज्य के दुश्मनों से लड़ रहे हैं। यह विचार उनके आधार के साथ अच्छे से मेल भी खाता है।”
कौन कर रहा है हूती विद्रोहियों की मदद?
हूती विद्रोही लेबनान के सशस्त्र शिया समूह हिज़बुल्लाह के मॉडल से प्रेरणा लेते हैं। अमेरिका के रीसर्च इंस्टिट्यूट कॉम्बैटिंग टेररिज़म सेंटर के अनुसार, हिज़्बुल्लाह ही उन्हें 2014 से बड़े पैमाने पर सैन्य विशेषज्ञता और ट्रेनिंग दे रहा है।
हूती ख़ुद को ईरान का सहयोगी भी बताते हैं क्योंकि उनका साझा दुश्मन है सऊदी अरब। शक जताया जाता है कि हूती विद्रोहियों को ईरान हथियार भी दे रहा है। हूती लाल सागर के एक बड़ी तटीय इलाक़े पर नियंत्रण रखते हैं। यहीं से वे जहाज़ों को निशाना बना रहे हैं।
यूरोपियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ पीस के एक विशेषज्ञ हिशाम अल-ओमेसी कहते हैं कि इन हमलों से उन्हें सऊदी अरब के साथ जारी शांति वार्ता में अपना पलड़ा भारी करने में मदद मिली है।
वह कहते हैं, “ये दिखाकर कि वे बाब अल-मंदब यानी कि लाल सागर के पतले से समुद्री रास्ते को बंद कर सकते हैं, उन्होंने सऊदी अरब पर रियायतें देने का दबाव बढ़ा दिया है।