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#JioUsers जियो यूज़र्स पर अब क्यों लगेगा IUC चार्ज

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, गुरुवार, 10 अक्टूबर 2019 (15:04 IST)
अनंत प्रकाश
अगर आप एक रिलायंस जियो यूज़र हैं तो 10 अक्टूबर यानी आज से आपको एयरटेल या वोडाफ़ोन समेत दूसरी किसी अन्य कंपनी के मोबाइल यूज़र्स को फ़ोन करने पर प्रति मिनट के हिसाब से छह पैसे देने होंगे।
 
हालांकि, अगर आप रिलायंस जियो इस्तेमाल करते हैं तो किसी अन्य जियो यूज़र को फ़ोन करने पर आपको कुछ भी नहीं देना होगा। जियो ने दूसरे नेटवर्क में कॉल करने के लिए 10 रुपये से लेकर 100 रुपए तक के रिचार्ज वाउचर उपलब्ध कराए हैं। इन वाउचरों का इस्तेमाल करने पर जियो उपभोक्ता को कुछ आईयूसी मिनट मिलेंगे। लेकिन आईयूसी के वाउचर पर जियो यूज़र जितना पैसा खर्च करेंगे, उसके बदले में जियो उन्हें उतनी ही क़ीमत का डेटा फ्री में देगा।
 
आईयूसी चार्ज क्या है? : आईयूसी यानी इंटर कनेक्शन यूजेज़ चार्ज वह राशि है जो दो टेलिकॉम कंपनियां अपने ग्राहकों की आपस में बातचीत कराने के लिए वसूलती हैं।
 
सरल शब्दों में कहें तो अगर आपका कोई दोस्त एयरटेल का सिम यूज़ करता है और आप रिलायंस जियो का सिम यूज़ करते हैं तो जब भी आप अपने रिलायंस जियो वाले फ़ोन से एयरटेल वाले नंबर पर फ़ोन करेंगे तो जियो को आईयूसी चार्ज के रूप में एयरटेल को छह पैसे प्रति मिनट की दर से एक राशि अदा करनी होगी।
 
रिलायंस ने अपनी लॉन्चिंग के बाद से अब तक आईयूसी के रूप में दूसरी टेलिकॉम कंपनियों को 13, 500 करोड़ रुपए दिए हैं। रिलायंस ने ये भी बताया है कि जियो नेटवर्क पर हर रोज़ 25 से 30 करोड़ मिस्ड कॉल आती हैं। इसके बाद रिलांयस जियो के नंबरों से हर रोज़ 65 से 70 करोड़ मिनट की कॉल दूसरे नेटवर्क पर की जाती हैं। ऐसे में जियो को इन कंपनियों को आईयूसी चार्ज के रूप में छह पैसे प्रति मिनट देने पड़ रहे हैं।
 
जियो ने क्यों उठाया ये क़दम? : जियो ने कहा है कि आईयूसी शुल्क पर टेलिकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया की बदलती नीतियों की वजह से वह ये फ़ैसला लेने के लिए मजबूर हुई है। वो लगातार एक लंबे समय से आईयूसी के रूप में बड़ी राशि दूसरी कंपनियों को दे रही है।
 
वे ये मानकर चल रही थी कि साल 2019 के बाद आईयूसी चार्ज ख़त्म कर दिया जाएगा। ट्राई ने अब इस विषय पर सभी स्टेक होल्डर्स के विचार मांगे हैं। लेकिन अगर आईयूसी चार्ज के इतिहास पर नज़र डालें तो साल 2011 के बाद से आईयूसी चार्ज को ख़त्म करने को लेकर कवायद जारी है। साल 2017 में ट्राई ने प्रति मिनट आईयूसी चार्ज को 14 पैसे से घटाकर छह पैसे किए थे।
 
ट्राई ने ये भी कहा था कि एक जनवरी, 2020 से इस शुल्क को पूरी तरह ख़त्म कर दिया जाएगा। हालांकि, ट्राई ने ये भी कहा था कि इस मसले पर एक बार फिर पुनर्विचार किया जा सकता है। ऐसे में सवाल उठता है कि जब जियो ने साल 2016 में अपनी लॉन्चिंग के दौरान कहा था कि वह वॉइस कॉलिंग के लिए कभी भी अपने ग्राहकों से पैसे नहीं लेगा। और अब यूज़र बेस के लिहाज़ से रिलायंस देश की सबसे बड़ी टेलिकॉम कंपनी है तो उसने ऐसा फ़ैसला क्यों लिया।
 
टेलिकॉम मामलों के जानकार प्रशांतो बनर्जी मानते हैं कि रिलायंस जियो अब उस दौर से निकल चुकी है जब वह किसी तरह का नुकसान बर्दाश्त कर सके। वो बताते हैं कि रिलायंस इस समय निवेश के दौर से आगे निकल चुका है। ऐसे में रिलायंस अब इस स्थिति में नहीं है कि वह आईयूसी के रूप में अपने ख़ज़ाने से पैसा खर्च करता रहे। वह अब फ़ायदा कमाने के दौर में है। ऐसे में वह ये नहीं चाहेगी कि ट्राई के आने वाले फ़ैसले की वजह से उसे किसी भी तरह का नुकसान हो। इसलिए रिलायंस ने अपनी नीति में बदलाव किया है।"
 
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क्या इससे रिलायंस को फ़ायदा होगा? : पहली नज़र में देखें तो ऐसा लगता है कि रिलायंस को इससे किसी तरह का कोई फ़ायदा नहीं होगा क्योंकि जियो अपने यूज़र्स से जो पैसा लेगा, वह पैसा वो एयरटेल या दूसरे टेलिकॉम ऑपरेटर्स को देगा। इसके साथ ही वह आईयूसी वाउचर पर हुए खर्च के बदले में फ्री डेटा भी देगा।
 
लेकिन आईयूसी के गणित को समझें तो पता चलता है कि इससे उस कंपनी को फ़ायदा होता है जिसका यूज़र बेस ज़्यादा होता है। रिलायंस जियो की आधिकारिक प्रेस रिलीज़ के मुताबिक़, जियो के पास इस समय 35 करोड़ यूज़र्स हैं। वहीं, ट्राई के मुताबिक़, एयरटेल के पास 30 करोड़ यूज़र्स हैं।
 
पहली नज़र में एयरटेल और रिलायंस जियो में यूज़र्स के लिहाज़ से बड़ा अंतर दिखाई नहीं देता है। लेकिन रिलायंस जियो लगातार नई और आकर्षक योजनाएं लागू करके धीरे-धीरे एयरटेल को पीछे छोड़ता हुआ दिख रहा है।
 
प्रशांतो बनर्जी बताते हैं, "ये सही है कि इस फ़ैसले से रिलायंस को सीधा-सीधा कोई बड़ा फ़ायदा होता नहीं दिख रहा है। रिलायंस की सभी योजनाएं आईयूसी चार्ज के ख़त्म होने पर टिकी हुई थीं। लेकिन ये बात भी सही है कि साल 2017 में जब ट्राई ने आईयूसी को कम करने का फ़ैसला किया था तब रिलांयस को इसका बहुत फ़ायदा मिला था। तब जियो उपभोक्ताओं की संख्या काफ़ी कम थी।"
 
"लेकिन हम एक चीज़ को नज़रअंदाज नहीं कर सकते हैं कि रिलायंस के इस फ़ैसले के बाद जियो यूज़र्स के कम होने की जगह बढ़ने की संभावना नज़र आती है। अगर एक परिवार के पांच लोगों में से तीन के पास जियो है तो इस फ़ैसले के बाद बाकी बचे दो लोगों के जियो में शामिल होने की संभावनाएं प्रबल होती दिख रही हैं।
 

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