- सर्वप्रिया सांगवान
कुछ लोग सही कहते हैं कि 'म्हारी छोरियां छोरों से कम हैं के!' हरियाणा के पानीपत ज़िले के एक कस्बे समालखा की जाह्नवी पंवार आठ अलग-अलग विदेशी लहजों में बात करती हैं। वो दिल्ली यूनिवर्सिटी की छात्रा हैं। ख़ास बात ये है कि वो अभी सिर्फ़ 13 साल की हैं।
बीबीसी के दफ्तर में जब उन्होंने लंदन से आए संवाददाता जेम्स से ब्रितानी लहज़े में बात की तो वो भी हैरान हुए बिना नहीं रह सके। यहाँ तक कि उनके ऑस्ट्रेलियाई लहजे की उन्होंने काफी तारीफ़ की।
जाह्नवी को अंग्रेज़ी में लिखा कुछ भी दीजिए और वो उसे ब्रिटिश, कैनेडियन, अमरीकी, ऑस्ट्रेलियाई, स्कॉटिश, फ्रेंच, जापानी और पॉश लहजों में बेहतरीन तरीके से बोल कर दिखा सकती हैं। और उन्होंने बीबीसी दफ़्तर में ऐसा किया भी।
जाह्नवी ने बताया कि उन्होंने एक साल में 2 क्लास पास की हैं और सीबीएसई से इजाज़त लेकर उन्होंने दसवीं और बारहवीं की बोर्ड परीक्षा कम उम्र में ही पास कर लीं। फ़िलहाल वो 13 साल की उम्र में बीए की पढाई कर रही हैं।
जाह्नवी ने ये सब सीखने के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल किया और उनके पिता ने भी इसके लिए काफ़ी मदद की। उसके पिता पेशे से शिक्षक हैं। उन्होंने बताया कि जाह्नवी बहुत जल्दी कुछ भी याद कर लेती है। जाह्नवी बहुत सुंदर गाती भी हैं। उन्होंने जब हमें रेबेका ब्लैक का 'हार्ट फ़ुल ऑफ़ स्कार' सुनाया तो पूरे न्यूज़रूम ने तालियां बजाई।
अब वो फ्रेंच भाषा भी सीख रही है और रशियन, इतालवी, जर्मन भाषाएं भी सीखना चाहती हैं। वो चाहती हैं कि जब वो दुनिया घूमें तो वहां पर कोई उन्हें दूसरे देश से आया ना समझे, वो सबसे उन्हीं की भाषा और लहज़े में बात करना चाहती हैं।