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100 साल की ज़िंदगी चाहिए तो ये काम कीजिए

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, शनिवार, 15 दिसंबर 2018 (16:04 IST)
- जेमी फ़ेल्डमर (बीबीसी कैपिटल)
 
"ब्लू ज़ोन्स" के लेखक डान ब्यूटनर ने दुनिया के उन पांच जगहों का अध्ययन किया जहां के लोग लंबी ज़िंदगी जीने के लिए मशहूर हैं। ये हैं- जापान का ओकिनावा, कोस्टा रिका का निकोया, ग्रीस का इकारिया, कैलिफोर्निया का लोमा लिंडा और इटली का सर्डिनिया।
 
 
यहां के बाशिंदों में कुछ बातें एक जैसी देखी गईं- सामाजिक सुरक्षा तंत्र, रोजाना कसरत की आदत और शाकाहार। उनमें एक और बात समान देखी गई। इन सभी समुदायों के लोग बुढ़ापे तक बागवानी करते हैं- 80 साल, 90 साल या उससे बूढ़े हो जाने भी। क्या पौधों की देखभाल करके आप भी 100 साल का जीवन पा सकते हैं?
 
 
मिज़ाज अच्छा सेहत दुरुस्त
यह मानी हुई बात है कि कुछ शारीरिक श्रम के साथ बाहर घूमने-फिरने का रिश्ता लंबी उम्र से है। बागवानी दोनों को पूरा करने का एक आसान तरीका है। ब्यूटनर कहते हैं, "अगर आप बागवानी करते हैं तो आप दिन भर कुछ हल्का शारीरिक श्रम करते हैं और आप नियमित रूप से काम करते हैं।"
 
 
ब्यूटनर के मुताबिक इस बात के सबूत हैं कि बागवानी करने वाले लोग लंबी ज़िंदगी गुजारते हैं और कम तनाव में रहते हैं। कई तरह के अध्ययनों से यह बात साबित हुई है कि उनकी शारीरिक और मानसिक सेहत दोनों दुरुस्त रहती है।
 
 
रिसर्च में क्या नतीजा निकला?
नीदरलैंड में हाल में हुई एक रिसर्च में प्रतिभागियों से एक मुश्किल काम करने को कहा गया, फिर उनको दो समूहों में बांट दिया गया। एक समूह को 30 मिनट तक घर के अंदर पढ़ने को कहा गया और दूसरे समूह को इतने ही समय के लिए बाहर बागवानी करने भेज दिया गया।
 
 
जो लोग घर के अंदर बैठकर पढ़ रहे थे उनका मिज़ाज और बिगड़ गया। बागवानी करने वाले लोगों में न सिर्फ़ तनाव बढ़ाने वाले कार्टिसोल हार्मोन का स्तर घटा, बल्कि उनका मिज़ाज भी अच्छा हो गया।
 
 
60 साल के पुरुषों और महिलाओं पर अध्ययन कर रहे ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं ने पाया कि नियमित रूप से बागवानी करने वाले लोगों में दूसरों के मुक़ाबले डिमेन्शिया (याददाश्त घटने की बीमारी) का ख़तरा 36 फीसदी तक कम था।
 
 
बगीचे में रहने और हॉर्टिकल्चर थेरेपी से डिमेन्शिया और अल्जाइमर जैसी संज्ञानात्मक बीमारियों से ग्रसित बुजुर्गों को फ़ायदा होता है। सूरज की रोशनी और ताज़ी हवा बुजुर्गों को शांत रहने में मदद करती है। पौधों और सब्जियों के रंग और उनकी बनावट देखने और छूकर समझने की क्षमता में सुधार करती है। बुढ़ापे का कोई रामबाण इलाज नहीं है, फिर भी विज्ञान कहता है कि बागवानी से जीवन की गुणवत्ता बेहतर होती है।
 
 
कुदरत आपको संभाल लेगी
बागवानी का असर सिर्फ़ सेहत पर नहीं होता। इसके सामाजिक फ़ायदे भी उम्र लंबी कर सकते हैं। हवाई यूनिवर्सिटी के डॉक्टर ब्रैडले विल्कॉक्स ने ओकिनावा में 100 साल पूरे कर चुके लोगों पर अध्ययन किया है। ओकिनावा में 100 साल के लोगों का अनुपात दुनिया में सबसे ज्यादा है। हर एक लाख आबादी में से करीब 50 लोग 100 साल से अधिक उम्र के हैं।
 
 
यहां के कई लोग बुढ़ापे में भी एक छोटे निजी बगीचे की देखरेख करते हैं। विल्कॉक्स कहते हैं कि बागवानी अन्य आवश्यक कारकों के साथ मिलकर उम्र बढ़ाने में मदद करती है। "ओकिनावा में वे कहते हैं कि सेहतमंद बुजुर्गों को जीने की एक वजह (ikigai) चाहिए। बागवानी आपको हर सुबह उठने के लिए प्रेरित करती है।"
 
 
विल्कॉक्स कहते हैं कि ओकिनावा के लोग सामाजिक साझेदारी की अवधारणा (yuimaru) को भी बहुत महत्व देते हैं। "साथ-साथ बाज़ार जाना, अपनी उपज लाना और बगीचे की नई चीजों को साझा करना बड़ी सामाजिक गतिविधि है। इससे लोगों को जड़ से जुड़े होने का अहसास मिलता है।"
 
 
कुदरती नुस्खा
दूसरे लोगों के साथ जुड़े होने की भावना बहुत अहम है। इतना ही महत्वपूर्ण प्रकृति के साथ जुड़ना भी है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन से पता चला है कि जो लोग हरियाली के बीच रहते हैं, उनकी उम्र लंबी होती है। उनमें कैंसर और सांस की बीमारियां होने का ख़तरा भी कम रहता है।
 
 
स्कॉटलैंड के डॉक्टर ब्लड प्रेशर और चिड़चिड़ेपन समेत कई बीमारियों को दूर करने और खुशी बढ़ाने के लिए कुदरती हरियाली के बीच टहलने का नुस्खा लिखते हैं। बागवानी, भले ही शहरों के छोटे प्लॉट में क्यों न हो, अपने दैनिक जीवन में प्रकृति को शामिल करने का आसान रास्ता है।
 
 
लंबी उम्र के लिए आहार भी अहम है, जिसमें बागवानी से मदद मिल सकती है। सब्जी, फल, अनाज, दाल, सूखे मेवे, मछली और जैतून के तेल से समृद्ध "भूमध्यसागरीय आहार" बूढ़े होने की रफ़्तार धीमी कर देते हैं।
 
 
विल्कॉक्स कहते हैं कि स्थानीय बगीचों और बाज़ार की ताज़ी सब्जियां भरपूर मात्रा में खाना लंबी उम्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, भले ही आहार तकनीकी रूप से भूमध्यसागरीय हो या न हो।
 
 
ओकिनावा में अधिकतर लोग अपने बगीचे में कड़वे तरबूज और मीठे आलू जैसी सब्जियां उगाते हैं। "जब आप अपनी उगाई हुई सब्जियां खाते हैं तो यह सब कुछ बदल देता है। उनमें ज्यादा स्वाद मिलता है और भोजन की गुणवत्ता भी अलग होती है।"
 
 
बगीचे में उगाई गई सब्जियों में बीमारी बढ़ाने वाले फाइटोएक्टिव कंपाउंड कम होते हैं। "ब्लू ज़ोन्स" के विशेषज्ञ ब्यूटनर खाने में 90 फीसदी तक शाकाहार, खासकर पत्तियां और बीज, की सलाह देते हैं। वह कहते हैं, "बागवानी करने वाले अधिकतर वही पौधे लगाते हैं जिनको वे खाते हैं।"
 
 
लंबे जीवन के लिए खेती?
यदि बागवानी अच्छी है तो क्या खेती उससे भी अच्छी है? लंबी ज़िंदगी से जीवनशैली के कई कारक जुड़े होते हैं- जैसे गांवों में रहना और बहुत वर्जिश करना। किसानों के लिए यह सामान्य बात है। कुछ सबूत संकेत देते हैं कि खेती सबसे सेहतमंद रखने वाले पेशों में से एक है।
 
 
ऑस्ट्रेलिया में हुए शोध से पता चला कि किसानों के गंभीर बीमारियों की चपेट में आने की आशंका एक तिहाई कम रहती है। गैर-कृषि श्रमिकों के मुक़ाबले डॉक्टर के पास जाने की उनकी संभावना 40 फीसदी तक कम रहती है।
 
 
अमेरिका में शोधकर्ताओं ने किसानों और आम आबादी की मृत्युदर की तुलना की तो पाया कि किसानों के कैंसर, हृदय रोग या डायबिटीज़ से मरने की संभावना कम रहती है। स्वीडन और फ्रांस में हुए अध्ययन ने भी दिखाया है कि किसान गैर-किसानों से ज्यादा सेहतमंद होते हैं।

 
टोक्यो की वसेडा यूनिवर्सिटी के डॉक्टर मसाहिको जेम्मा ने साइतामा के मध्य प्रांत में अपने खेतों में काम करने किसानों का अध्ययन किया। उनकी औसत उम्र गैर-किसानों से ज्यादा पाई गई। वे उम्रदराज होने पर भी काम करते हैं।

 
जेम्मा के शोध में शामिल कई उत्तरदाता अंशकालिक किसान या रिटायर लोग थे। उनकी जिम्मेदारियां किसी बगीचे की देखरेख करने के बराबर थीं। वह कहते हैं, "जापान में छोटे पारिवारिक खेत आम हैं।"
 
 
जेम्मा के सर्वेक्षण में बड़े पैमाने पर कॉरपोरेट खेती करने वाले किसानों को शामिल नहीं किया गया था। उन्होंने पाया कि अपने खेतों में काम करने वाले किसान छोटे-मोटे काम करने के बाद मानसिक और शारीरिक रूप से सकारात्मक बदलाव महसूस करते हैं। "हमारा अनुमान है कि खेती के काम करने से अच्छा स्वास्थ्य और जोश बरकरार रहता है।"
 
 
रियलिटी चेक
जेम्मा को मिले नतीजे खुश करने वाले हैं, लेकिन सभी तरह की खेती पारंपरिक और कम तकनीक वाले जापानी मॉडल से नहीं होती। ज्यादातर पश्चिमी देशों में खेती एक उद्योग है और संभव है कि किसान मुश्किल या ख़तरनाक स्थितियों में काम कर रहे हों और वे कर्ज़ में डूबे हों। यह भी संभव है कि वे खेती में मशीनों का इस्तेमाल कर रहे हों।
 
 
यूएन के संगठनों में खाद्य नीति सलाहकार थॉमस फोरेस्टर कहते हैं, "कम से कम अमरीका में खेती ऐसी ही है। किसान कंप्यूटर पर उतना ही वक़्त बिता सकते हैं जितना दूसरे लोग। वे ब्रॉयलर चलाते हुए या वातानुकूलित कमरों में बैठकर कंप्यूटर चला सकते हैं या वीडियो देख सकते हैं।"
 
 
ऐसी स्थिति में खेती को बुढ़ापा रोकने वाली जादू की गोली समझना मुश्किल है। न ही खेती और न ही बागवानी लंबी उम्र की गारंटी देगी। लेकिन दोनों के साथ जुड़ी जीवनशैली के कुछ कारक- जैसे बाहर जाना, हल्का शारीरिक श्रम करना और स्वस्थ शाकाहार इसकी गारंटी दे सकता है।
 
 
अंत में संतुलन ही काम आता है
विल्कॉक्स कहते हैं, "मैं एक कुर्सी का उदाहरण देता हूं। आहार, शारीरिक गतिविधियां, मानसिक व्यस्तता और सामाजिक संबंध इसके चार पैर हैं।" "अगर इन चार पैरों में से कोई एक नहीं है तो संतुलन बिगड़ने से आप गिर जाएंगे और आपकी ज़िंदगी छोटी रह जाएगी।"
 

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