Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

'लवगुरु मटुक नाथ' को छोड़ गईं उनकी जूली

हमें फॉलो करें 'लवगुरु मटुक नाथ' को छोड़ गईं उनकी जूली
, गुरुवार, 19 अप्रैल 2018 (17:53 IST)
सीटू तिवारी
 
"12 साल की लड़ाई के बाद ये सुकून का पल आया है।" चेहरे पर एक लंबी लड़ाई की थकान, लेकिन होठों पर मुस्कुराहट लिए 61 साल की आभा ने मुझसे ये कहा। आभा चौधरी पटना विश्वविद्यालय में हिन्दी के प्रोफेसर मटुक नाथ चौधरी की पत्नी हैं। 17 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने लव गुरु के नाम से चर्चित प्रोफेसर मटुकनाथ चौधरी को आदेश दिया कि वे अपने वेतन का एक तिहाई हिस्सा अपनी पत्नी आभा चौधरी को गुज़ारा भत्ता के रूप में देंगे।
 
मटुकनाथ साल 2006 में खुद से 30 साल छोटी छात्रा जूली के साथ संबंधों को लेकर पूरे देश में चर्चा में आए थे। जूली मटुक नाथ के साथ 2007 से 2014 तक लिव इन रिलेशनशिप में भी रही। लेकिन इसके बाद वो पटना से चली गईं। फिलहाल जूली कहां हैं, इसके बारे में मटुकनाथ कोई जानकारी नहीं है।
 
मटुक-जूली की प्रेम कहानी : सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद पटना के शास्त्रीनगर मोहल्ले में अपने तीन बेड रूम वाले फ्लैट में अकेले रह रहे, मटुकनाथ से मैंने पूछा कि क्या उनको कोई पछतावा है?
 
इस सवाल पर वो हंसे, और कहा, "जूली और मेरे ज़रिए इतना बड़ा काम हो गया, प्रेम का प्रकाश पूरी दुनिया में फैला, ऐसे में पछतावा कैसा? प्रेम अभी प्राप्त हुआ, ये कल भी प्राप्त हो, इसकी कामना नहीं, लेकिन मिल जाए तो अहो भाग्य।" जूली और मटुक की पहली मुलाकात साल 2004 में हुई थी। मटुक नाथ पटना के बीएन कॉलेज में पढ़ाते थे और जूली छात्रा थीं।
 
मटुक बताते हैं, "वो काली पोशाक में क्लास आई थी और क़रीब 7 मिनट लेट थी, मुझे वो पहली नज़र में अच्छी लगी लेकिन कक्षा में देर से आने वाले विद्यार्थी मुझे पसंद नहीं, इसलिए जूली को मैने डांटा और कहा कि अगर लेट आना है तो मेरी क्लास करना छोड़ दे।"
 
लेकिन इस पहली डांट से इतर दोनों की नजदीकियां बढ़ीं। मटुक नाथ के मुताबिक उनकी क्लास के दूसरे स्टूडेंट 'घुसगोलाचार्य' यानी बेवकूफ़ थे लेकिन जूली उन सबमें बहुत तेज़ थी, हालांकि जूली की भाषा 'उल जुलूल' थी जिसकी आलोचना वो करते रहते थे।
 
बढ़ती नजदीकियां, घर में तकरार : बढ़ती नजदीकियों के बीच पहली मुलाकात के 6 माह बीतते-बीतते जूली ने मटुक नाथ को प्रेम का प्रस्ताव दिया। आलम ये था कि प्रोफेसर मटुक नाथ ने पहला मोबाइल फोन खरीदा ताकि वो जूली से बात कर सकें, बाद में दोनों की कॉलेज के बाहर मुलाकात होने लगी।
 
मटुक बताते हैं, "बहुत मुश्किल था, एक अधेड़ उम्र का आदमी एक जवान लड़की के साथ पार्क में बैठ जाए तो लोगों की नजरें उसे घूरती रहती हैं, उस वक्त ऐसा लगता है कि पटना में कोई एकांत प्रेमियों के लिए नहीं है।"
 
इस बीच जूली ने मटुक के घर भी आना-जाना शुरू किया, जिस पर जल्द ही पत्नी और बेटे ने आपत्ति जताई। पत्नी आभा कहती हैं, "जूली से पहले भी इनके प्रेम संबंध रहे और हर बार मैंने इसका विरोध किया। लेकिन विरोध करने पर ये हिंसक हो जाते थे, ऐसे में कोई कब तक सहेगा?"
 
मटुक नाथ भी अपने प्रेम संबंधों को बेहिचक स्वीकारते हैं। वो बताते हैं कि 1978 में आभा से शादी हुई लेकिन दो साल बाद ही उन्हें अधूरापन सा लगने लगा।
 
बकौल मटुक नाथ, " मैंने उसी वक्त तय कर लिया कि मैं किसी दूसरी स्त्री के पास जाऊंगा। जूली से पहले मुझे दो बार प्रेम हुआ, 1981 में एक छात्रा से और फिर एक बार 1994 में एक महिला से घनघोर प्रेम हुआ जिसके टूट जाने पर मैं 3 साल तक विक्षिप्त हालत में रहा।"
webdunia
कोर्ट के चक्करों में कर ली कानून की पढ़ाई : दिलचस्प है कि मटुक नाथ की पत्नी आभा चौधरी ने मटुक के जाने के बाद 53 साल की उम्र में कानून की पढ़ाई की। आभा अपने इस फैसले के बारे में बहुत फख़्र से बताती है, "2007 से ही कोर्ट के चक्कर लगाना शुरू किया लेकिन वहां जाकर बेवकूफ की तरह बैठे रहते थे, इसलिए अपनी लड़ाई लड़ने के लिए लॉ ग्रेजुएट हुई और अपने मामले को बेहतर तरीके से समझ पाई, अभी भी प्रोफेसर साहब (मटुक नाथ) से जो पैसे मिलेंगे वो मैं पति से परेशान पत्नियों की मदद पर ही खर्च करूंगी।"
 
फिलहाल मटुक नाथ और आभा चौधरी पटना शहर के दो अलग अलग कोनों पर रह रहे हैं। वहीं मटुक नाथ के मुताबिक़ जूली अध्यात्म की तरफ जा चुकी हैं। वो अपने प्रेम संबंध पर कहते है, "जूली के साथ मन से मेरा अलगाव नहीं हुआ है, हमारा प्रेम चालू है, बस हम दोनों ने अलग-अलग रहने का फ़ैसला किया है, बाक़ी प्रेम की प्यास तो मेरे भीतर जीवन भर बनी रहेगी।"

हमारे साथ WhatsApp पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
Share this Story:

वेबदुनिया पर पढ़ें

समाचार बॉलीवुड ज्योतिष लाइफ स्‍टाइल धर्म-संसार महाभारत के किस्से रामायण की कहानियां रोचक और रोमांचक

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

मोदी अपना गुणगान कर बन जाते हैं 'फकीर'