Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

ब्लॉग: मोदी जी, बेचारे विकास को ढूँढ लाइए

हमें फॉलो करें ब्लॉग: मोदी जी, बेचारे विकास को ढूँढ लाइए
, मंगलवार, 2 मई 2017 (11:54 IST)
- राजेश प्रियदर्शी (डिजिटल एडिटर)
'विकास तुम जहाँ कहीं भी हो, लौट आओ, घर में तुम्हें कोई कुछ नहीं कहेगा'...ये व्हाट्सऐप ठिठोली अब घिस गई है। विकास शायद रास्ता भटक कर कहीं चला गया है, अगर उसका अपहरण हुआ होता तो अब तक कोई फिरौती ज़रूर माँगता।
 
मोदी जी चाहें तो विकास को ढूँढकर ला सकते हैं। बिहार चुनाव से पहले कवि रामधारी सिंह दिनकर और अब बंगाल चुनाव से पहले श्यामा प्रसाद मुखर्जी जैसी दिवंगत विभूतियाँ खोजी जा सकती हैं तो मासूम विकास क्यों नहीं?
 
विकास सर्जिकल स्ट्राइक से ठीक पहले गुम हुआ, उसकी उम्र दो साल कुछ महीने है, वह ठीक से बोल नहीं पाता। लड़ाई-भिड़ाई के चक्कर में किसी ने बेचारे बच्चे की परवाह ही नहीं की और वो गुम हो गया। उसके बाद नोटबंदी की अफ़रा-तफ़री मची और उसकी तरफ़ किसी का ध्यान ही नहीं गया।
 
'सबका साथ, सबका विकास' के नारे ने भी भ्रम पैदा किया, सबने सोचा कि विकास तो सबका है, कोई न कोई ढूँढ देगा लेकिन अब यही पता नहीं चल रहा कि वो 'सब' कौन हैं जिनका विकास है।
 
कुछ लोगों ने कहा कि नोटबंदी से गुमशुदा विकास के भविष्य पर बुरा असर पड़ेगा, किसी ने बात नहीं सुनी, जब एटीएम के आगे लगी कतारें छँट गईं तो भी किसी को विकास की याद नहीं आई।
webdunia
यूपी के चुनाव में अखिलेश को विकास की याद तो आई थी लेकिन जनता ने ज्यादा तालियाँ श्मशान-कब्रिस्तान की बात पर बजाईं, चुनाव के नतीजों से यही साबित हुआ कि विकास को खोजने से ज़्यादा कई ज़रूरी काम अभी बाक़ी हैं। यूपी में योगीजी के मुख्यमंत्री बनने की देर थी, काफ़ी समय के लिए लोग विकास तो छोड़िए, मोदी जी को भी भूल गए। योगीजी का कुत्ता और बंदर तक ढूँढ लिए गए लेकिन विकास की बारी नहीं आई।
 
विकास को खोजने से पहले योगीजी ने रोमियो खोजने और उनका सफ़ाया करने का बीड़ा उठाया, उसके बाद उनका ध्यान अवैध बूचड़खानों पर गया, फिर लाल बत्ती पर और उसके बाद पान-गुटके की पीक पर, बच्चों के स्कूल की यूनिफॉर्म तक बदल गई लेकिन विकास का नंबर नहीं आया। 
 
अभी विकास का नंबर आने वाला भी नहीं है क्योंकि मंदिर बनाने के काम ज़्यादा ज़रूरी है, अगर भगवान श्रीराम प्रसन्न हो गए तो विकास उनकी कृपा से मिल जाएगा।
 
छत्तीसगढ़ में सड़क और कश्मीर में सुरंग बनाना भी तो विकास है, लेकिन दुर्भाग्य है कि वहाँ रहने वाले कई लोग इसे सेना और सैनिक साज़ो-सामान भेजने के इंतजाम के तौर पर देखते हैं। ऐसा नहीं है कि मोदी जी विकास को पूरी तरह भूल गए हों, उन्हें विकास की याद अक्सर आती है, विकास को याद रखने की ज़िम्मेदारी उन्होंने अकेले उठा रखी है।
 
उनके बाक़ी साथी मुसलमानों के कल्याण में लगे हैं। मुसलमान महिलाओं को तीन तलाक से छुटकारा दिलाना, उन्हें अवैध माँस खाने से रोकना, उनके परिवार को नियोजित करना ये सब ज़रूरी नहीं हैं क्या? मोदी जी अकेले क्या-क्या करेंगे?
 
विकास के भविष्य को लेकर लोगों ने क्या-क्या सपने देखे थे, जैसे कि वो स्मार्टसिटी में रहेगा, उसके पास डिजिटल इंडिया में 4-जी कनेक्टिविटी होगी, वो स्किल्ड इंडिया का नागरिक होगा जिसे मेक इन इंडिया के तहत रोज़गार मिलेगा, लेकिन अभी भारत स्वच्छ नहीं हो पाया है और वो गुम हो गया है।
 
विकास की बातें कितनी प्यारी-प्यारी थीं, आर्थिक महाशक्ति बनने के सपने कितने सुहाने थे, कैसे भारत बिज़नेस करने के लिए दुनिया का बेहतरीन देश बनने वाला था, कैसे तो मिलियन-बिलियन डॉलर-पाउंड लेकर विदेशी निवेशक क़तार में खड़े होने वाले थे...
 
कोई गुड़ न दे, मीठे बोल ही बोले, मोदी जी, विकास की बड़ी याद आती है, प्लीज़ उसे ढूँढकर ले आइए, जब तक नहीं मिल जाता, कम से कम उसके बारे में प्यारी-प्यारी बातें तो करिए, उसे इस तरह भुला न दीजिए।


हमारे साथ WhatsApp पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
Share this Story:

वेबदुनिया पर पढ़ें

समाचार बॉलीवुड ज्योतिष लाइफ स्‍टाइल धर्म-संसार महाभारत के किस्से रामायण की कहानियां रोचक और रोमांचक

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

नज़रिया: 'भारत पर सर्जिकल स्ट्राइक जैसी कार्रवाई का दबाव'