-दिव्या आर्य
जेट एयरवेज़ की एयर होस्टेस निधि छापेकर की वो तस्वीर मार्च 2016 में ब्रसेल्स एयरपोर्ट पर हुए धमाकों का प्रतीक बन गई थी।
इस तस्वीर में बदहवासी की हालत में निधि बैठी हुई दिखती हैं। उनकी एक टांग ऊपर उठी है और उनके कपड़े धमाके में जल गए हैं। एयरपोर्ट और मेट्रो स्टेशन पर हुए इन धमाकों में 35 लोग मारे गए थे और 300 से ज़्यादा घायल हुए थे।
निधि गहरी चोटों के साथ बच गई थीं पर चार महीने बाद भी उनका इलाज चल रहा है। निधि उस कठिन लम्हे को याद करते हुए बताती हैं, ''मुझे उस तस्वीर के बारे में धमाके के क़रीब एक महीने बाद पता चला। मेरे पति ब्रसेल्स से वापस भारत लौट रहे थे और उन्होंने इंटरनेट पर मुझे ये तस्वीर दिखाई।''
वे कहती हैं, ''मैं उसे देखकर दंग रह गई। उसमें मैं बहुत डरी और असहाय लग रही थी। तस्वीर से मुझे अहसास हुआ कि वो लम्हा कैसा रहा होगा। मेरा बदन उस तस्वीर में पूरी तरह से नहीं ढका था। मुझे चिंता थी कि मेरे 14 साल के बेटे और 10 साल की बेटी को ये देखकर कैसा लगा होगा।'' मैंने उनसे पूछा कि क्या वो तस्वीर देखकर शर्मिंदा हुए?
निधि बताती हैं, ''मेरी बेटी ने कहा, बिल्कुल नहीं। बल्कि हम तो गर्व महसूस कर रहे थे कि ऐसे व़क्त में भी आप कितनी साहसी लग रही थीं। मेरी बेटी मुझे टाइग्रेस बुलाती है। उसने कहा तस्वीर को देखकर उसे लगा मैं जीना चाहती थी। धमाके का वो दिन मुझे कभी नहीं भूलेगा।
वो भयानक आवाज़ के साथ एक आग के गोले के फटने जैसा अहसास था। मैं सन्न रह गई। मेरे आसपास अजीब सा सन्नाटा था जिसको सिर्फ़ लोगों के रोने और अपने बच्चों को पुकारने जैसी आवाज़ें भेद रही थीं। वो आवाज़ें आज भी मेरे कानों में गूंजती हैं।
पर मैं उस व़क्त कुछ नहीं कर पाई। मैं उठकर आसपास के लोगों की मदद करना चाहती थी पर मेरी टांगों में जान बची ही नहीं थी। एयर होस्टेस के तौर पर हमें यही सिखाया जाता है कि अपने से पहले औरों को बचाओ, पर उस दिन मैं इस हालत में ही नहीं थी। पर मैं डरी नहीं हूं। मैं वापस अपने काम पर लौटना चाहती हूं।
इस हादसे ने यही सिखाया है कि रुकना नहीं है, बढ़ते जाना है। और हो सके तो किसी की मदद भी करते जाना है। इसी का नाम ज़िन्दगी है।