- नीरज सहाय (पटना से)
नीतीश कुमार सरकार ने शराबबंदी क़ानून के तहत महज़ नौ माह में 25 हजार से अधिक लोगों को जेल में डालने के बाद अब सरकारी कर्मचारियों के शराब पीने को लेकर एक नया फ़रमान जारी किया है।
इसके तहत सरकार का अधिकारी या कर्मचारी अगर राज्य या राज्य के बाहर शराब पीते पकड़ा जाता है तो उन पर संशोधित क़ानून के अंतर्गत कड़ी विभागीय कारवाई की जाएगी।
ये क़ानून राज्य में काम करने वाले यूपीएससी अधिकारियों पर भी लागू होगा और राज्य से बाहर काम करने वाले बिहार काडर के अधिकारियों पर भी।
सरकार के इस फ़ैसले को विपक्षी दल हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष वृष्णि पटेल ने हास्यास्पद और अव्यवहारिक बताया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने 70 के दशक में जनसंख्या नियंत्रण के लिए अच्छा क़ानून बनाया था, लेकिन वो व्यवहारिक नहीं था, और शराबबंदी क़ानून का क्रियान्वयन भी बीते हुए कल को दुहराएगा।
इरादे पर संदेह
बिहार के पूर्व पुलिस महानिदेशक डीएन गौतम को भी इस क़ानून के क्रियान्वयन पर संदेह है। वे कहते हैं कि राज्य सरकार को ऑल इंडिया सर्विसेज़ कंडक्ट रूल को संशोधित करने का अधिकार नहीं होता और ऐसा कोई प्रस्ताव सरकार की ओर से केंद्र को भेजा गया है या नहीं यह स्पष्ट नहीं है।
उन्होंने कहा कि सरकार को क़ानून बनाने का अधिकार है लेकिन यह स्पष्ट नहीं हो रहा कि इस निर्णय से सरकार अपना इरादा व्यक्त करना चाहती है या छवि चमकाना चाह रही है।