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'फ़ौज ने ठीक किया, नागरिकों ने बेड़ा ग़र्क किया'

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, शुक्रवार, 4 अगस्त 2017 (12:26 IST)
- जावेद सुमरो
पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ ने कहा है कि देश में जब भी मार्शल लॉ लगाए गए वे उस समय स्थिति की मांग थे, पाकिस्तान में सेना देश को पटरी पर लाती है और नागरिक आकर फिर इसे पटरी से उतार देते हैं।
 
तानाशाही सही
पाकिस्तान की स्वतंत्रता के 70 वर्ष पूरे होने पर बीबीसी उर्दू ने पाकिस्तानी नेताओं के साथ साक्षात्कार की एक सिरीज़ की है। इसी सिरीज़ के तहत दुबई में जब मैंने परवेज़ मुशर्रफ़ से ख़ास बातचीत की तो उन्होंने कहा, ''चाहे डेमोक्रेसी हो या डिक्टेटरशिप हो, साम्यवाद हो या समाजवाद, जनता को या देश को इससे कोई ज़्यादा फ़र्क नहीं पड़ता। देश को विकास और आर्थिक सम्पन्नता चाहिए। जनता को रोज़गार, समृद्धि और सुरक्षा चाहिए।''
 
उन्होंने कहा कि एशिया के सारे देशों में देखें, ''जहां भी विकास हुआ है केवल तानाशाहों की वजह से हुआ। पाकिस्तान को भी तानाशाहों ने ठीक किया, लेकिन जब वे गए तो सिविलियंस ने बेड़ा ग़र्क़ कर दिया।''
 
मुशर्रफ़ ने आगे कहा, ''नागरिक सरकारों और सैन्य सरकारों के रिकॉर्ड देख लें। फ़़ौजी डिक्टेटरशिप में देश ने हमेशा विकास किया है''।
एक सवाल के जवाब में पूर्व राष्ट्रपति ने कहा, ''अगर चुनाव करा दिए, आज़ादी दे दी लेकिन, समृद्धि नहीं दी तो उसका क्या लाभ?'
उन्होंने कहा कि 'पाकिस्तान को तोड़ना सेना नहीं भुट्टो का कसूर था। कुछ आरोप याहिया ख़ान पर भी आता है, लेकिन अयूब ख़ान के दस साल की सरकार में देश ने विकास के रिकॉर्ड बनाए।'
 
'सेना ने पैसे नहीं बनाए'
हालांकि ज़ियाउल हक़ को लेकर जनरल मुशर्रफ़ ने स्वीकार किया, ''मुझे स्वीकार करना होगा कि उन्होंने देश को धार्मिक चरमपंथ की ओर धकेला। उन्होंने ऐसी राह चुनी जिसका असर देश पर आज भी है। लेकिन जो उन्होंने सोवियत संघ के ख़िलाफ़ तालिबान और अमरीका की मदद की वो बिल्कुल ठीक किया।''
 
उन्होंने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान युद्ध में सेना ने पैसे नहीं बनाए, लेकिन कुछ ऐसे लोग हो सकते हैं जो हथियार ख़रीद रहे हों, अफ़ग़ानिस्तान में पैसे बांट रहे हों, उनमें से कुछ शामिल हो सकते हैं जिन्होंने पैसे बनाए हों। लेकिन सेना ने बतौर संगठन कोई पैसे नहीं बनाए।
 
एक सवाल के जवाब में पूर्व जनरल ने कहा कि ''सरकार को हटाने का अधिकार जनता को होना चाहिए, लेकिन पाकिस्तान में हालात अलग हैं। जनता तब होती है जब संविधान के अंदर चेक एंड बैलेंस हो। जनता ख़ुद भागकर सेना के पास आती है कि हमारी जान बचाओ। लोग मेरे पास आकर कहते थे कि हमारी जान बचाएं। मैंने जनता की मांग पर टेक ओवर किया था।''
 
उन्होंने कहा कि संविधान पवित्र है, लेकिन संविधान से अधिक लोग पवित्र हैं, 'हम संविधान को बचाते हुए राष्ट्र को नष्ट नहीं कर सकते, लेकिन लोगों को बचाने के लिए संविधान की थोड़ी उपेक्षा की जा सकती है।'
 
जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ ने पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ पर आरोप लगाया कि उनकी भारत नीति 'टोटल सेल आउट' नीति थी, 'भारत बलूचिस्तान में शामिल है और जो कोई पाकिस्तान को नहीं मानेगा, देश के अस्तित्व के लिए उसे मारना चाहिए।'
 
देश से निकलने में मदद के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि, ''मैं सेनाध्यक्ष रहा हूँ और मुझे विश्वास है कि सेना हमेशा मेरी भलाई चाहती है।''

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